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जो शांति का प्रस्ताव लेकर आए गद्दार वही है!

“जो शांति का प्रस्ताव लेकर आए — समझ लो असली गद्दार वही है!”

भारत की सुरक्षा नीति और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता पर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण

जो व्यक्ति तुम्हारे पास शांति का प्रस्ताव लेकर आए समझ लो असली गद्दार वही है।
यह सिर्फ गॉडफादर का संवाद नहीं, आज के भारत के लिए एक रणनीतिक चेतावनी बन चुका है।

1. शांति का प्रस्ताव: युद्ध की नई चाल

कभी शांति के नाम पर गांधीवाद का इस्तेमाल हुआ — और भारत के टुकड़े कर दिए गए।
आज वही चाल कूटनीतिक शांति प्रस्तावों के रूप में दोहराई जा रही है।
जब भी भारत निर्णायक कार्रवाई करता है, तभी अचानक अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ से “शांति बनाए रखने की अपील” आने लगती है।

पर सवाल ये है —

  • क्यों नहीं आई ये अपील जब हिन्दुओं के गले काटे गए?
  • क्यों नहीं आई जब घाटी में पंडितों को घर से खदेड़ा गया?
  • क्यों नहीं आई जब बंगाल में सनातनियों की हत्याएं हुईं?

2. साजिशें अब सिर्फ सीमा पर नहीं हर मंच पर हो रही हैं

हमारी लड़ाई अब सिर्फ LOC या LAC पर नहीं —
यह लड़ाई UN के गलियारों, Davos की बैठकों, G20 की घोषणाओं और IMF की शर्तों में भी लड़ी जा रही है।

  • जब भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया,
    अमेरिका ने कहा, “सीज़फायर कर लो।”
  • जब भारत ने चीन को गलवान में मुँहतोड़ जवाब दिया,
    अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने हमें ही ‘aggressor’ बता दिया।
  • जब भारत वैक्सीन देने लगा,
    WHO और Pharma लॉबीज़ ने सवाल उठाने शुरू कर दिए।

3. ये शांति नहीं भारत को रोकने का षड्यंत्र है

इस शांतिका असली अर्थ है भारत को दबाओ, थकाओ, और फिर झुकाओ।
ये वही स्क्रिप्ट है जो इतिहास में बार-बार दोहराई गई:

  • 1947 में नेहरू ‘शांति’ के नाम पर कश्मीर मुद्दा UN ले गए — आज तक जल रहा है।
  • 1962 में चीन से युद्ध हुआ, और ‘शांति’ के नाम पर हमें अपनी ही ज़मीन गंवानी पड़ी।
  • 1999 में कारगिल युद्ध जीतने के बाद, ‘शांति वार्ता’ के नाम पर हमें फिर धोखा दिया गया।

4. लेकिन अब भारत बदल चुका है

अब भारत वो नहीं जो पहले दुख प्रकटकरता था। अब भारत वो है जो चुपचाप जवाब देता है और ऐसा देता है कि दुश्मन गिन नहीं पाता।

भारत अब आत्मनिर्भर है।

  • हथियारों में — AK-203 से लेकर तेजस फाइटर तक।
  • दवाओं में — कोरोना वैक्सीन से लेकर जेनेरिक मेडिसिन तक।
  • टेक्नोलॉजी में — सेमीकंडक्टर मिशन से लेकर ISRO मिशनों तक।

भारत अब डरता नहीं और झुकता भी नहीं।

5. शांति की असली शर्त भारत की शक्ति है

भारत तभी शांत रहता है, जब वह शक्तिशाली हो।
शांति की सबसे बड़ी गारंटी भारत की निर्णायक क्षमता है।

अब वो दिन नहीं जब हम ‘No First Use’ कहकर आत्मरक्षा छोड़ देते थे।
अब हम ‘Preemptive Strike’ की नीति पर काम कर रहे हैं।

क्योंकि अगर दुश्मन का इरादा है हमला करने का
तो हमारी नीति है उसके इरादे को ही मिटा देने की।

अब वक्त है गद्दारों को पहचानने का

  • जो कश्मीर में जिहादियों के लिए आँसू बहाएं,
  • जो पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने की बात करें,
  • जो शांति के नाम पर हमारे वीरों का बलिदान व्यर्थ करें
    वही असली गद्दार हैं।

मास्टरस्ट्रोकअब सिर्फ एक शब्द नहीं ये भारत की नई पहचान है।

  • यह मोदी की विदेश नीति है।
  • यह भारत की रणनीति है।
  • यह सनातन की आत्मा है जो युद्ध भी धर्म से लड़ती है, और शांति भी धर्म से मांगती है।

जय भारत। भारत माता की जय। वंदे मातरम्।

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