“इस्लामिक जिहाद” के नाम पर चल रही हिंसा और उग्रता का शिकार अक्सर वे लोग बनते हैं जिन्हें ‘काफिर’ कहा जाता है — यानी गैर-मुस्लिम या वे जो इस्लाम की मान्यताओं को नहीं मानते। यह प्रश्न आज अधिक प्रासंगिक हो गया है कि आखिर ये निर्दोष लोग इस कट्टर सोच का शिकार कब तक बनते रहेंगे?
एक वैश्विक जागरूकता की पुकार – एकजुट हो जाओ और आतंकवाद का अंत करो
1. कट्टर इस्लाम की खूनी कहानी
चाहे कश्मीर हो या केन्या, पेरिस हो या पेशावर — एक विचारधारा आज भी दुनिया को तबाह कर रही है: कट्टर इस्लामवाद, जो जिहादी नफरत से भरा हुआ है।
विश्व आतंकवाद डाटाबेस और स्वतंत्र ट्रैकर्स के अनुसार:
- 1979 से 2025 तक 66,000 से अधिक इस्लामिक आतंकी हमले हुए हैं।
- इन हमलों में ढाई लाख से ज्यादा निर्दोष लोग मारे गए — मासूम बच्चे, महिलाएं, बुज़ुर्ग — केवल इसलिए कि वे ग़ैर–मुसलमान थे।
- 84% से ज्यादा हमले 2013 के बाद हुए हैं, जो जिहादी गतिविधियों में भयानक उछाल को दर्शाते हैं।
कोई भी सुरक्षित नहीं है — हिंदू, ईसाई, यहूदी, बौद्ध, यज़ीदी — सबने जिहादी बर्बरता का शिकार झेला है।
2. कश्मीर की त्रासदी – वैश्विक जिहाद का प्रतिबिंब
22 अप्रैल 2025, कश्मीर के पहलगाम में एक भयावह हमला हुआ जिसने पूरे भारत को झकझोर दिया।
TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) — पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन — के आतंकियों ने पर्यटकों को रोककर धर्म की जांच की और हिंदू पहचान वालों को गोली मार दी।
मुसलमानों को छोड़ा और कहा:
“जाकर मोदी को बताओ।”
28 लोग मारे गए, दर्जनों घायल हुए।
यह कोई आकस्मिक हिंसा नहीं थी — यह थी योजनाबद्ध जिहादी बर्बरता।
ऐसे हमले केवल भारत में ही नहीं, बल्कि:
- फ्रांस (शार्ली हेब्दो, बाटाक्लान)
- श्रीलंका (ईस्टर बम धमाके)
- नाइजीरिया (बोको हराम)
- इज़रायल (हमास आतंक)
- थाईलैंड (बौद्धों पर हमले)
हर जगह एक जैसी सोच और पैटर्न नजर आता है।
3. जड़ें कहाँ हैं? — कट्टर इस्लामी विचारधारा में
इस्लामिक जिहाद केवल कुछ उग्रवादियों की बात नहीं है। यह है एक विचारधारा, जो बचपन से बच्चों के दिमाग में ज़हर घोलती है।
- जहरीले मदरसे: जहाँ बच्चों को सिखाया जाता है कि गैर-मुसलमान नीच हैं, शत्रु हैं।
- धार्मिक वैधता: कुरान की 26 से ज्यादा आयतें, जब बिना संदर्भ के ली जाएँ, तो वे ग़ैर–मुसलमानों के प्रति हिंसा को正 ठहराती हैं।
- शहादत की संस्कृति: आत्मघाती हमले, जिहाद, और शरीया की सर्वोच्चता को महिमामंडित किया जाता है।
- यह अध्यात्म नहीं, हथियारबंद कट्टरता है।
और जब कोई बच्चा इस ज़हर में पलता है, तो वह दया नहीं, मौत बाँटने वाला बनता है।
4. जिहादियों की कायरता और वामपंथ की दोगलापन
ये जिहादी कभी सामने से नहीं लड़ते।
छिपकर, धोखे से — स्कूल, बस, मंदिर, चर्च पर हमला करते हैं।
लेकिन इससे भी शर्मनाक हैं वो वामपंथी और सेकुलर तबके, जो:
- आतंकियों को पीड़ित दिखाते हैं
- जिहाद का विरोध करने वालों को “इस्लामोफोबिक” कहते हैं
- पीड़ितों की आवाज़ दबाते हैं
- अमेरिका में जज ट्रंप के मुस्लिम बैन को रोकते हैं
- इंग्लैंड में पाकिस्तानी गैंगरेप पीड़ितों को चुप कराया जाता है
- भारत में गैर-मुस्लिमों की रक्षा के कानूनों को “अल्पसंख्यक विरोधी” बता दिया जाता है
दुनिया आखिर किस डर में सच बोलने से कतरा रही है?
5. यह अब केवल भारत की समस्या नहीं — यह वैश्विक संकट है
भारत इस्लामिक जिहाद का सबसे बड़ा शिकार हो सकता है, लेकिन यह आग पूरी दुनिया में फैल चुकी है।
जिहाद अब क्षेत्रीय नहीं, वैश्विक महामारी बन चुका है।
यह फंडिंग के ज़रिए पनप रहा है, सोशल मीडिया से फैल रहा है, और धर्म की आड़ में जहर उगल रहा है।
यदि दुनिया ने एकजुट होकर कदम नहीं उठाया — तो और शहर जलेंगे, और संस्कृतियाँ मिटेंगी।
6. समाधान: वैश्विक एंटी–जिहाद गठबंधन का गठन
अब ज़रूरत है एक वैश्विक निर्णायक कार्रवाई की, जिसकी अगुवाई करें मजबूत इच्छाशक्ति वाले नेता:
- नरेंद्र मोदी (भारत)
- डोनाल्ड ट्रंप (अमेरिका)
- बेंजामिन नेतन्याहू (इज़रायल)
- व्लादिमीर पुतिन (रूस)
- यूरोप, अफ्रीका, एशिया के राष्ट्राध्यक्ष
इन नेताओं को मिलकर एक “वैश्विक एंटी–जिहाद टास्क फोर्स“ बनानी चाहिए, जो:
- सभी आतंकी नेटवर्क को खत्म करे
- जिहादी मदरसों और संस्थानों को बंद कराए
- आतंकी फंडिंग को रोके और दंडित करे
- पाकिस्तान जैसे आतंक प्रायोजक देशों को अलग–थलग करे
- कट्टर धार्मिक हिंसा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानून लागू करे
तभी हम बना पाएँगे एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण विश्व।
7. समय कम है — अब निर्णायक कदम उठाना होगा
इतिहास गवाही देता है:
- स्पेन ने रीकॉनक्विस्टा में वापसी की
- चीन ने कट्टरता के खिलाफ कड़े कदम उठाए
- इज़रायल सिर्फ अपने साहस से आज तक बचा है
सभ्यताएँ बचती हैं जब वे झुकती नहीं, बल्कि लड़ती हैं।
अब चुनाव एक ही है:
- जिहादी आतंकवाद को कुचलो — या खुद कुचले जाओ।
- सभ्यता को बचाओ — नहीं तो वो इतिहास बन जाएगी।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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