एक कटु लेकिन ज़रूरी आत्ममंथन
आज जब धर्म और आस्था पर बहसें ज़ोरों पर हैं, एक जरूरी सवाल उठता है — क्या हम असली हिंदू की पहचान को समझते हैं या सिर्फ प्रतीकों और दिखावे में उलझ गए हैं? समय आ गया है कि हम अपने भीतर झांकें और सोचें कि एक असली हिंदू होना वास्तव में क्या मतलब रखता है — क्या वह सहिष्णुता, सत्य और करुणा का मार्ग है या महज़ एक राजनीतिक पहचान?
एक शिक्षक ने कक्षा में पूछा —
“सबसे अधिक हिंदुओं वाला देश कौन सा है?”
छात्र ने उत्तर दिया — “पाकिस्तान।”
शिक्षक चौंक गया —
“तो सबसे कम हिंदुओं वाला देश कौन सा है?”
छात्र बोला — “हिंदुस्तान।”
यह उत्तर चौंकाने वाला था, लेकिन उसकी व्याख्या और भी गहरी चोट कर गई।
छात्र ने समझाया —
“भारत में हिन्दू नाम मात्र के रह गए हैं। यहाँ हिंदू कहने की बजाय लोग जातियों में बंटे हुए हैं — ब्राह्मण, ठाकुर, पटेल, यादव, चमार, पासी, कुर्मी, दलित, और न जाने क्या–क्या। सबको अपनी जाति पर गर्व है, लेकिन धर्म पर शर्म। यहां हर कोई सेकुलर कहलाना चाहता है, पर हिंदू होने का साहस नहीं दिखाता।”
यह कटु सत्य है। भारत में हिन्दू धर्म, जो एक समय में भारत की आत्मा था, आज जातियों, क्षेत्रवाद, और राजनीतिक स्वार्थों की दीवारों में कैद हो गया है।
अगर भारत सचमुच हिंदू राष्ट्र होता तो…
- क्या अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले को सत्ता मिलती?
- क्या “भगवान राम काल्पनिक हैं” कहने वालों को संसद भेजा जाता?
- क्या “भगवा आतंकवाद”का झूठ फैलाने वालों को वोट दिए जाते?
- क्या दशहरा का जुलूस रोका जाता और मोहर्रम को सरकारी सम्मान मिलता?
- क्या भगवान श्रीराम का “प्रमाणपत्र”मांगा जाता?
- क्या हिंदू तीर्थस्थलों को तोड़ा जाता और मूक दर्शक बना हिंदू समाज चुप रहता?
अगर हम वास्तव में धर्मनिष्ठ हिंदू होते, तो क्या हम अपने अपमान का समर्थन करते?
पड़ोसी देश के हिंदू असली हिंदू हैं
पाकिस्तान में जो हिंदू बचे हैं, वे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए भी अपने धर्म से नहीं डिगे। उन्होंने अपमान, धमकी, जबरन धर्मांतरण के बावजूद ‘हिंदू’ कहने का साहस दिखाया।
लेकिन भारत में, जहाँ हिंदू बहुसंख्यक हैं, वहां हिंदू अपने ही धर्म को ‘छुपाकर‘ चलना पसंद करता है।
भारत: एक अनोखा विरोधाभासी देश
- जहाँ गद्दार खुले घूमते हैं, और देशभक्त जेलों में सड़ते हैं।
- जहाँ आतंकवादियों के मानवाधिकारों की रक्षाहोती है, लेकिन शहीद सैनिकों की विधवाएं न्याय के लिए तरसती हैं।
- जहाँ ‘सेक्युलर‘ नेताओं को पाकिस्तान–चीन अच्छे लगते हैं, और भारत माता बोलने वाले को सांप्रदायिक कह दिया जाता है।
- जहाँ पांचवी पास शिक्षा मंत्रीबन सकता है, लेकिन योग्य लोग जातिगत समीकरणों में हार जाते हैं।
- जहाँ बाहरी घुसपैठिए राशन कार्ड पाते हैं, और असली नागरिक पहचान को तरसते हैं।
- जहाँ इतिहास में अकबर महानऔर भगतसिंह आतंकीकहलाते हैं।
धोखा कहाँ हो रहा है?
- हमें सेक्युलरिज़्म के नाम पर ठगा जा रहा है।
- हमें जाति-धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है।
- हमें अपने धर्म से विमुख किया जा रहा है।
- हिंदू अब अपनी जाति से पहचाना जाता है, धर्म से नहीं।
समाधान क्या है?
- जाति नहीं, धर्म को पहचान बनाओ।
- राजनीतिक समझदारी और आत्मसम्मान के आधार पर वोट दो।
- इतिहास को सही ढंग से पढ़ो और समझो।
- अपने बच्चों को गौरवपूर्ण हिन्दू विरासत से परिचित कराओ।
- सच्चे हिन्दू बनो — साहसी, सत्यनिष्ठ और संगठित।
समाप्ति नहीं, एक आह्वान
“हिंदू जागो! अब भी समय है!”
जातियों को भूलो, राजनीति के पिट्ठू बनने से बचो।
अपने अस्तित्व, अपने धर्म, अपने देश, और अपनी संस्कृति की रक्षा करो।
आज अगर हमने यह नहीं किया, तो कल इतिहास हमसे यही सवाल करेगा —
“भारत में हिंदू थे भी, या सिर्फ जाति के गुलाम?”
🇮🇳जयभारत, वन्देमातरम🇮🇳
अधिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.inपर जाएं।
👉Join Our Channels👈