काँग्रेस सरकार का ‘बिरयानी सरेंडर’ – जब आतंकी VIP ट्रीटमेंट में छूट गए!
1993 में कश्मीर के हज़रतबल दरगाह पर आतंकियों के कब्जे के दौरान, काँग्रेस सरकार ने सख्त कार्रवाई की जगह VIP ट्रीटमेंट दिया। यही घटना आज ‘बिरयानी सरेंडर’ के नाम से जानी जाती है।
📜 बात है अक्टूबर 1993 की।
कश्मीर के श्रीनगर शहर की हज़रत बल दरगाह — जो डल झील के किनारे स्थित है और जहां कहा जाता है कि हज़रत मोहम्मद साहब का एक बालपवित्र रूप में सुरक्षित है — अचानक एक भयानक आतंकी संकट का केंद्र बन गई।
👉 40 से ज़्यादा पाकिस्तानी और अफगानी आतंकवादी भारी मात्रा में हथियारों, रॉकेट लॉन्चर और मशीनगनों के साथ दरगाह में घुस गए।
👉 उन्होंने सबसे पहले वही किया जो इस्लामी आतंकियों का ट्रेंड रहा है — धार्मिक स्थल को ढाल बना लिया और पवित्र कक्ष का ताला तोड़कर कब्जा जमा लिया।
🧠 यह वह समय था जब केंद्र में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की काँग्रेस सरकार थी और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन चल रहा था। राज्यपाल थे सेवानिवृत्त जनरल कृष्ण राव, और उनके सलाहकार थे सेवानिवृत्त जनरल एम.ए. ज़ाकी।
💥 जैसे ही खबर मिली, BSF (सीमा सुरक्षा बल) ने इलाके को घेर लिया। कमांडो ऑपरेशन की सलाह दी गई, ताकि दरगाह को साफ कराया जाए। लेकिन दिल्ली में बैठे काँग्रेसी नेताओं की हालत ऑपरेशन ब्लू स्टार के डर से काँप रही थी। उन्हें डर था कि फिर से “धार्मिक स्थल पर हमला” का टैग लगेगा।
🧎♂️ सरकार ने मजबूरी में घुटनों पर आना चुना।
👉 वरिष्ठ नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह को मध्यस्थ बना कर अंदर भेजा गया।
👉 आतंकी से हाथ जोड़कर कहा गया – “प्लीज़ भाई, सरेंडर कर दो।”
👉 उन्होंने civilians को छोड़ने को कहा – आतंकियों ने हामी भरी, लेकिन civilians खुद बाहर नहीं आए, क्योंकि वो “मुजाहिदीन” को सपोर्ट कर रहे थे।
🔌 फौज ने सुझाया था ‘ब्लैक थंडर’ जैसी रणनीति:
👉 बिजली-पानी काट दो, घेराबंदी करो, और शौचालय बंद कर दो — जैसे 1988 में स्वर्ण मंदिर में किया गया था।
👉 सरकार ने थोड़ी देर ऐसा किया, लेकिन फिर “मानवाधिकार” और मुस्लिम वोट बैंक के दबाव में घबरा गई।
👉 उधर घाटी में नमाज़ के नाम पर प्रदर्शन होने लगे, और बीजबेहड़ा में एक प्रदर्शन में BSF की फायरिंग से 37 लोग मारे गए।
🤦♂️ काँग्रेस पूरी तरह सरेंडर मोड में आ गई।
👉 BSF को हटाकर सेना तैनात कर दी गई, ताकि BSF कहीं खुद से अंदर न घुस जाए।
👉 आतंकियों ने कहा – “हमारे पास राशन नहीं है।”
👉 सरकार बोली – “कोई बात नहीं, हम बिरयानी भेजते हैं।”
🥘 पहली बार बिरयानी सरकारी कैंटीन से गई — आतंकियों ने ठुकरा दी।
👉 फिर श्रीनगर के 5-स्टार होटल से बिरयानी भेजी गई।
👉 साथ में आई Bisleri की बोतलें, कंबल और रज़ाई — पूरी VIP ट्रीटमेंट के साथ।
💡 फौज ने कहा — “बिरयानी वाली वैन में ही 20 कमांडो भेज दो, 10 मिनट में सब खत्म।”
👉 सरकार बोली – “नहीं! धोखा हो जाएगा!”
📦 15 दिन तक आतंकियों को खिलाया गया, पिलाया गया।
👉 आखिरकार काँग्रेस सरकार ने उन्हें Safe Passage ऑफर कर दिया।
👉 बोली – “बस हथियार छोड़ दो और चले जाओ।”
👉 आतंकियों ने कहा – “हथियार भी साथ चाहिए।”
👉 काँग्रेस सरकार मान गई।
🚶♂️ और फिर…
AK-47 लहराते हुए 40 पाकिस्तानी-अफगानी आतंकवादी हमारी फौज के सामने से निकल गए… कोई उन्हें रोक न सका।
👉 सेना ने एक आखिरी बार कहा – “अब ठोक देते हैं, कुछ नहीं बचेगा।”
👉 दिल्ली से हुक्म आया – “नहीं! वादा निभाना है।”
📌 नतीजा?
➡️ आतंकियों को VIP सेवा देकर, Safe Exit दिया गया।
➡️ आतंकवादियों का मनोबल और बढ़ा।
➡️ और काँग्रेस ने अपनी कायरता और वोटबैंक की राजनीति का सबसे शर्मनाक अध्याय लिखा।
🛑 आज जो कंधार-कंधार चिल्लाते हैं, वो पहले हज़रत बल बिरयानी कांड पर जवाब दें!
👉 आतंकवाद से लड़ने की जगह उन्हें दामाद बनाकर बिरयानी खिलाना काँग्रेस की नीति थी!
👉 एक दरगाह में छिपे 40 जिहादियों को 15 दिन VIP ट्रीटमेंट देकर छोड़ देना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं था?
🔴 सीख:
- अगर आप आतंकियों से डरकर झुकते हैं, तो वो फिर खंजर ले कर ही लौटते हैं।
- अपने चौकीदार पर विश्वास रखिए। उसका हर कदम राष्ट्रहित मैं ही होगा।
- देश से गद्दारी करने के लिए तो हमारे पास महागठबंधन और पूरा देशविरोधी तंत्र मौजूद है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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