कानून और न्याय के लागू करने में दोहरे मापदंड
आज हमारे देश में कानून और न्याय के लागू करने में दोहरे मापदंड साफ दिख रहे हैं। यही भेदभाव समाज में असंतोष और अव्यवस्था बढ़ा रहा है। अब वक्त है कि न्याय सबके लिए समान रूप से लागू हो।
भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे का बयान भले ही तीव्र प्रतीत हो, पर जब प्रसिद्ध वैज्ञानिक और विचारक आनंद रंगनाथन ने सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर 10 गंभीर सवाल उठाए, तब यह स्पष्ट हुआ कि यह देश केवल चुनावी युद्ध नहीं, आस्थाओं और अस्तित्व के संघर्ष से गुजर रहा है।
पिछले 60 वर्षों में कांग्रेस–प्रेरित व्यवस्था ने हमारे लोकतंत्र के तीनों स्तंभों – विधायिका, न्यायपालिका और नौकरशाही – को अपने स्वार्थ, वंशवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण के मकड़जाल में जकड़ लिया।
इन संस्थानों ने ईमानदारी की जगह चापलूसी, योग्यता की जगह वंश, और राष्ट्रीयता की जगह सेक्युलरिज्म की आड़ में तुष्टिकरण को महत्व देना शुरू कर दिया।
क्या यह न्याय है?
- कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर कोई सुनवाई नहीं होती, पर आतंकी या अलगाववादी विचारधारा वाले लोगों की याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई होती है।
- हिंदू मंदिरों की संपत्ति सरकार नियंत्रित करती है, लेकिन वक्फ बोर्ड बिना जवाबदेही के 6 लाख एकड़ जमीन पर मालिकाना हक जमाए बैठा है।
- हिंदू त्योहारों को पर्यावरण के नाम पर प्रतिबंधित किया जाता है, लेकिन अन्य धर्मों की हिंसक और असंवैधानिक परंपराओं पर मौन साध लिया जाता है।
- न्यायपालिका महिलाओं के शबरीमाला प्रवेश के नाम पर हस्तक्षेप करती है, लेकिन मस्जिदों और चर्चों में असमानता पर एक शब्द नहीं कहती।
यह केवल दोहरे मापदंड नहीं – हिंदू अस्मिता पर योजनाबद्ध हमला है।
अब बदलाव की शुरुआत हो चुकी है…
पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने वो किया है जो 60 वर्षों में नहीं हुआ:
- भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई,
- डिजिटलीकरण से पारदर्शिता,
- जनधन, आधार, मोबाइल (JAM) से लाभार्थियों को सीधा लाभ,
- गरीबी, बेरोजगारी, असमानता पर ठोस योजनाएं,
- उद्योग, अवसंरचना, विदेश नीति में प्रभावशाली नेतृत्व,
- और सबसे अहम – मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति को किनारे कर राष्ट्रहित को प्राथमिकता।
आज भारत:
- विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
- उद्योगों और निवेश के लिए पहली पसंद है।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आत्मविश्वास से बोलने वाला राष्ट्र है।
- डिजिटल क्रांति और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा है।
पाकिस्तान–चीन जैसे शत्रु देशों को जवाब देने में सक्षम बन चुका है।
लेकिन खतरा अभी टला नहीं…
- जो ताकतें भारत को तोड़ना चाहती हैं – टुकड़े–टुकड़े गैंग, मजहबी कट्टरपंथी, भारत विरोधी विदेशी ताकतें, और देश के अंदर बैठे वामपंथी–छद्म सेक्युलर गुट – वे आज भी सक्रिय हैं।
- उनका लक्ष्य है – मोदी को हटाना, ताकि वे पुनः भारत को भ्रष्टाचार, वंशवाद, तुष्टीकरण, और अराजकता की खाई में धकेल सकें।
- वे भारत को लेबनान, पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान बनाना चाहते हैं –
जहाँ राजनीति मजहबी जहर से चलती है, कानून का राज नहीं होता, और आम जनता की आवाज दम तोड़ देती है।
अब समय है अंतिम निर्णय का…
क्या आप चाहते हैं:
- एक मजबूत, सुरक्षित, और आत्मनिर्भर भारत
- या फिर एक बंटा हुआ, हिंसाग्रस्त, तुष्टिकरण से जर्जर भारत?
भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए हमें एकजुट होकर मोदी जी और राष्ट्रवादी ताकतों का समर्थन करना होगा।
अब समय है कि हम जाति, क्षेत्र, भाषा और व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित और सनातन धर्म के पक्ष में खड़े हों।
यही समय है – “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए!” – स्वामी विवेकानंद
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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