आज हिंदू समाज की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उसने मैकाले की गुलामी–युक्त शिक्षा प्रणाली को सफलता का अंतिम सत्य मान लिया है।
बच्चों से उनका बचपन छीनकर, उन्हें केवल अंक (मार्क्स) और प्रतिशत (परसेंटेज) के पीछे दौड़ाया जा रहा है।
लेकिन…
क्या ये मार्कशीट उन्हें आत्म-सुरक्षा करना सिखा रही है?
किताबें उन्हें संस्कृति और धर्म की रक्षा करना सिखा रही हैं?
क्या हमारे बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से इस बात के लिए तैयार हैं कि अगर भारत में एक और बंगाल, कश्मीर या मल्लापुरम जैसी स्थिति हो जाए, तो वे उसका सामना कर सकें?उत्तर है – नहीं!
1000 वर्षों का सबक जो हिंदुओं ने अब तक नहीं सीखा… 
- अरब, तुर्क, मुग़ल और ब्रिटिश आक्रांताओं ने हमारे करोड़ों भाइयों को मौत के घाट उतारा।
- हमारी माताओं, बहनों, बेटियों के साथ बलात्कार और अत्याचार हुआ।
- नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों को जला दिया गया।
- मंदिरों को तोड़ा गया, धर्म ग्रंथों को अपवित्र किया गया।
- हमारी संस्कृति को मिटाने की हरसंभव कोशिश की गई।
लेकिन हम क्या कर पाए? हजारों सालों के संघर्ष के बावजूद, आज भी हम उतने ही बिखरे हुए हैं।
हमारी आत्मा गुलामी से बाहर नहीं निकली है।
शस्त्र और शास्त्र – दोनों जरूरी हैं! 
- अगर हमने शास्त्रों की रक्षा के लिए शस्त्र उठाए होते, तो नालंदा जलता नहीं।
- अगर हमने आत्मरक्षा को धर्म का कर्तव्य माना होता, तो आज बंगाल और बांग्लादेश के हिंदू दर-दर न भटकते।
- अगर हमने संघर्ष को अपवित्र नहीं समझा होता, तो हमारी बेटियों को न्याय मिलता।
अब भी वक्त है – चेतो, जागो, और संगठित हो जाओ! 
आज सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट लिखने, वीडियो शेयर करने, या रोष जताने से कुछ नहीं होगा।
हमें अब जमीन पर उतर कर कार्य करना होगा। बच्चों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल से तैयार कीजिए।
अपने क्षेत्र में संगठनों का निर्माण कीजिए – जो आत्मरक्षा, सेवा और धर्म-रक्षा में कार्यरत हों।
संघठित हिंदू शक्ति ही सबसे बड़ा शस्त्र है।
राजनीतिक रूप से भी केवल उन्हीं नेताओं और पार्टियों को समर्थन दें जो हिंदू संस्कृति, परंपरा और आत्मसम्मान की रक्षा करें।
जात-पात छोड़कर एक ही संकल्प लीजिए – “मैं पहले हिंदू हूँ!”
“धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। 
अब भी अगर हम नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कायर, असहाय और स्वार्थी पूर्वजों के रूप में याद करेंगी।
वो कहेंगी – “जब उनका सब कुछ छीना जा रहा था, तब वो सिर्फ सोशल मीडिया पर रोते रहे।”
हिंदू जागो – अब समय कम है, और कार्य बहुत!
| जय भारत, वन्देमातरम |
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