भारत में इस्लामिक राजनीति की जड़ें गहरी हैं। मुसलमानों का नियंत्रण मस्जिदों से होता है, और इनका संचालन मौलवियों और शाही इमामों के जरिए किया जाता है। दिल्ली की जामा मस्जिद इस इस्लामिक नेटवर्क की केंद्रबिंदु है, जहां से निर्देश देशभर की मस्जिदों तक पहुंचाए जाते हैं।
इसका एक ताजा उदाहरण हमने दिल्ली चुनावों में देखा, जहां मुसलमानों ने 100% वोट केजरीवाल को दिया। इसी तरह, CAA का विरोध हो, लव जिहाद का प्रसार हो, या भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश—सबकुछ जामा मस्जिद से ही संचालित होता है।
मोदी से नफरत क्यों?
अगर यह समझना है, तो 1984 में लौटना होगा। उस समय भाजपा सिर्फ 2 सीटों पर सिमट गई थी। पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए नरेंद्र मोदी को गुजरात भाजपा की जिम्मेदारी दी गई।
गुजरात में हिंदू-मुस्लिम संघर्ष नया नहीं था, लेकिन मोदी ने हिंदुओं को संगठित कर राजनीति की दिशा बदल दी। अहमदाबाद नगर निगम का चुनाव हिंदू–मुस्लिम मुद्दे पर लड़ा गया, और कांग्रेस 35 साल में सिर्फ एक बार जीत पाई। धीरे-धीरे गुजरात में मुस्लिम राजनीति हाशिये पर चली गई।
गुजरात दंगों ने बदली मानसिकता
2001 में मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, और 2002 में गोधरा कांड हुआ, जिसमें हिंदू कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया। इसके बाद हुए दंगों ने गुजरात और भारत की राजनीति बदल दी।
मोदी ने गुजरात में मुस्लिम तुष्टीकरण खत्म कर दिया—अवैध कब्जे हटाए, बिजली चोरी रोकी, अपराधियों पर लगाम कसी। इसने मुसलमानों की दबंगई खत्म कर दी, और हिंदुओं में आत्मविश्वास जगाया।
2014 के बाद मोदी का निर्णायक प्रहार
मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति को समाप्त करने की नींव रखी। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जो इस्लामिक कट्टरपंथियों और मुस्लिम राजनीति के लिए घातक साबित हुए:
- मुसलमान होना भारतीय राजनीति में बोझ बन गया—आज अगर भाजपा के खिलाफ मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा होता है, तो उसकी हार तय मानी जाती है।
- मुस्लिम तुष्टीकरण पर लगाम—धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों को खुश करने की राजनीति कमजोर हो गई।
- नोटबंदी से पाकिस्तान की फंडिंग ठप—आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी गई।
- सर्जिकल स्ट्राइक—मोदी ने पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया कि ‘कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे‘। इससे भारत में कट्टरपंथी मुसलमानों में घबराहट बढ़ गई।
- CAA लागू कर पाकिस्तान–बांग्लादेश में सताए हिंदुओं को बचाया—यह इस्लामिक तुष्टीकरण के खिलाफ बड़ा कदम था।
- तीन तलाक खत्म कर मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी दिलाई—इससे मौलवियों का हलाला और जबरन निकाह का धंधा बंद हो गया।
- NRC से 3-4 करोड़ घुसपैठियों को निकालने की तैयारी—यह कदम मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति के लिए आखिरी कील साबित होगा।
- कश्मीर से 370 हटाया—मुसलमानों का ‘कश्मीर इस्लाम का गढ़ है‘ वाला भ्रम तोड़ दिया।
हिंदुओं की जागरूकता—मुस्लिम वर्चस्व का अंत
मोदी के इन फैसलों ने भारत में इस्लामिक राजनीति की जड़ें हिला दीं। इसी कारण मुसलमान मोदी से नफरत करते हैं। लेकिन अब हिंदू जाग चुके हैं—वे समझ चुके हैं कि मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति देश के लिए खतरा है।
🚩 हिंदू एकजुट हो रहे हैं, और आने वाले समय में मोदी को और ज्यादा ताकत देंगे।
🚩 भारत अब ‘इस्लामिक राष्ट्र‘ बनने का सपना नहीं देख सकता।
🚩 मुसलमानों का राजनीतिक दबदबा खत्म हो रहा है, और यह सिलसिला जारी रहेगा।
🔥 काश हर भारतीय यह समझ जाए! 🔥
जय भारत, वन्देमातरम
अधिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.in पर जाएं। हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/HxGZvlycYPlFvBO17O3eGW