- भारत के लोकतंत्र की ताक़त हमेशा से रही है — जनता का विश्वास और पारदर्शिता।
- लेकिन दशकों तक इस विश्वास के साथ छल किया गया।
सत्ता बचाने के लिए फर्जी वोटर, डुप्लीकेट नाम, मृतकों के पहचान पत्र और अवैध घुसपैठियों तक को वोटर लिस्ट में शामिल किया गया। - वोट बैंक की इस गंदी राजनीति पर कोई उंगली नहीं उठाता था, क्योंकि सब इसमें हिस्सेदार थे।
लेकिन अब दौर बदल चुका है।
यह मोदी युग है — और यहाँ सत्य को दबाया नहीं जाता, उजागर किया जाता है।
यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज विपक्ष की गले की हड्डी बने हुए हैं।
बिहार से शुरू हुई सच्चाई — 65 लाख नाम हटाए गए
- हाल ही में बिहार की मतदाता सूची की Statewide Intensive Revision (SIR)हुई। परिणाम चौंकाने वाले थे। 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए।
सोचिए — 65 लाख! ये सिर्फ़ संख्याएँ नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र से खेल का सबूत हैं।
- इनमें डुप्लीकेट नाम थे।
- कई जगह एक ही व्यक्ति अलग-अलग जगह वोटर बना हुआ था।
- हजारों नाम मृत व्यक्तियों के थे।
- और कई नाम उन लोगों के थे जिनकी पहचान ही अस्तित्व में नहीं थी।
- यह सब दशकों से चलता आया। यही था विपक्ष का असली वोट बैंक।
- और जब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महज़ 56 घंटे के भीतर पूरी सूची सार्वजनिक कर दी, तो विपक्ष का झूठा नैरेटिव धराशायी हो गया।
लेकिन यह सिर्फ़ बिहार की कहानी नहीं… यह हर राज्य की सच्चाई है
- बिहार का मामला तो बस शुरुआत है।
- असलियत यह है कि लगभग हर राज्य की वोटर लिस्ट में यही गड़बड़ीहै।
- दशकों से यह खेल चलता रहा है।
👉 कहीं मृतक वोटरों को जिंदा दिखाकर वोट डलवाए जाते रहे।
👉 कहीं एक ही व्यक्ति का नाम कई निर्वाचन क्षेत्रों में था।
👉 कहीं बांग्लादेशी घुसपैठियों और अवैध प्रवासियों को वोटर कार्ड दिए गए।
यही कारण है कि अब केवल बिहार नहीं, बल्कि हर राज्य में SIR लागू होना चाहिए।
क्योंकि अगर यह गंदगी साफ़ नहीं हुई, तो लोकतंत्र पर से जनता का भरोसा उठ जाएगा।
- और असली नागरिक का अधिकार हमेशा फर्जी वोटों के बोझ तले दबा रहेगा।
विपक्ष की पुरानी रट और नया झूठ
- विपक्ष हमेशा यही रोता आया है —
“लोकतंत्र खतरे में है, चुनाव आयोग बिक गया है, वोटर लिस्ट से नाम गायब हैं।” - लेकिन जब आयोग ने 65 लाख नाम हटाकर सच्चाई उजागर कर दी,
तो विपक्ष का पुराना राग तुरंत फुस्स हो गया।
असलियत यह निकली —
👉 फर्जी वोटर बाहर, असली वोटर सुरक्षित!
यह वह झटका था जिसकी विपक्ष ने कल्पना भी नहीं की थी।
क्योंकि अब साफ हो गया कि वर्षों से लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ़ गड़बड़ी और घोटाला हो रहा था।
सुप्रीम कोर्ट का झटका और राहुल गांधी की बौखलाहट
- सुप्रीम कोर्ट ने जब चुनाव आयोग को आदेश दिया कि “लिस्ट जारी करो”,
तो विपक्ष को लगा कि अब आयोग नाकाम साबित होगा और उन्हें नया मुद्दा मिलेगा। - लेकिन जब आयोग ने सिर्फ़ 56 घंटे में यह ऐतिहासिक काम कर दिया,
तो विपक्ष का सारा दांव उल्टा पड़ गया। - यह वह पल था जब अदालत का आदेश विपक्ष के लिए उम्मीद नहीं, शर्मिंदगी बन गया।
- और इसी वजह से आज राहुल गांधी बुरी तरह बौखलाए हुए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट में हार चुके हैं, नैरेटिव भी ध्वस्त हो चुका है,
- तो अब वे “बिहार यात्रा” का नया ड्रामा करने की तैयारी में हैं।
👉 सड़क पर शोर मचाएँगे,
👉 मीडिया के सामने रोएँगे कि “लोकतंत्र खतरे में है”,
👉 और जनता का ध्यान असली सच्चाई से भटकाने की कोशिश करेंगे।
- लेकिन ज़मीन की सच्चाई यह है कि जब हार सामने खड़ी हो,
- तो राहुल जैसे नेता केवल शोर-शराबा ही कर सकते हैं।
- उनके पास न नीति है, न नैतिकता, न नेतृत्व।
65 लाख — यह आंकड़ा विपक्ष की राजनीति का पोस्टमार्टम है
- 65 लाख नाम हटाना कोई छोटी बात नहीं।
- यह साफ़ करता है कि भारत की राजनीति दशकों से फर्जी वोटरों पर टिकी थी।
- सोचिए — अगर एक राज्य में 65 लाख फर्जी नाम हैं,
- तो पूरे देश में यह संख्या कितनी होगी? करोड़ों में!
यही कारण है कि विपक्ष आज इतना घबराया हुआ है।
- क्योंकि उनकी पूरी राजनीति इसी गड़बड़ी पर टिकी थी।
- अब वह जमीन खिसक रही है।
मोदी युग का अंतर — सत्य उजागर बनाम इमरजेंसी में सत्य का दमन
- इमरजेंसी के दौर में सत्ता ने सत्य को दबाया था।
- लोकतंत्र को कैद कर लिया गया था।
लेकिन मोदी युग में स्थिति उलटी है।
👉 यहाँ सत्ता का उद्देश्य है — सत्य को उजागर करना।
👉 भ्रष्टाचार और घोटालों को बेनक़ाब करना।
👉 फर्जी वोट बैंक की राजनीति को खत्म करना।
- यही कारण है कि आज विपक्ष बिलबिला रहा है।
- क्योंकि उनकी राजनीति का आधार — फर्जी वोटर और झूठे नैरेटिव —
- अब सबकुछ एक-एक कर टूट रहा है।
अब असली लोकतंत्र की जीत होगी
भारत का लोकतंत्र अब फर्जी वोटरों की कैद में नहीं रहेगा।
अब असली जनता तय करेगी कि देश की बागडोर किसके हाथ में होगी।
- और यही है मोदी युग की सबसे बड़ी जीत।
🚩 जब देश पुकारे, तो हर नागरिक को सैनिक बनना पड़ता है।
आज हर जागरूक भारतीय की जिम्मेदारी है कि
👉 SIR हर राज्य में लागू हो
👉 फर्जी वोटरों की सफाई हो
👉 और लोकतंत्र का असली चेहरा जनता के सामने आए।
🔥 याद रखिए — “राष्ट्र पहले” केवल एक नारा नहीं है,
- यह हमारे जीवन का सिद्धांत बनना चाहिए।
क्योंकि जब पूरा राष्ट्र अपने नेता के साथ खड़ा होता है,
- तभी लोकतंत्र की असली जीत होती है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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