कल से रमज़ान का महीना शुरू हुआ, और इसी के साथ एक बार फिर कट्टरपंथी मानसिकता की झलक हरदोई (उत्तर प्रदेश) में देखने को मिली। दून एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश दो नाबालिग मुस्लिम लड़कों—इबादुल्लाह और मोहम्मद अनवारुल—द्वारा रची गई। इनकी उम्र महज 15-16 साल है, लेकिन सोचिए, इतनी कम उम्र में भी इनके दिल में इतनी नफरत और कट्टरता भरी हुई थी कि इन्होंने रेलवे ट्रैक पर लोहे के बोल्ट और भारी पत्थर रख दिए ताकि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए।
लेकिन, ईश्वर की कृपा और लोको पायलट की सतर्कता से ट्रेन रुक गई। इंजन और ट्रैक को नुकसान हुआ, लेकिन सैकड़ों लोगों की जान बच गई। ट्रेन प्रबंधक ने दोनों को पकड़कर हरदोई स्टेशन पर आरपीएफ को सौंप दिया।
अब सवाल उठता है—इतनी कम उम्र में इतनी कट्टरता कहां से आई?
मदरसा तालीम: आतंक का कारखाना?
- इन लड़कों को किसने सिखाया कि ग़ैर–मुसलमानों को मारना पुण्य का काम है?
- ये सोच क्यों बनी कि हिंदुओं की जान की कोई कीमत नहीं है?
- आखिर मदरसों में पढ़ाई के नाम पर क्या सिखाया जा रहा है?
यह घटना कोई इकलौती घटना नहीं है। मदरसों में बचपन से ही गैर–मुस्लिमों के प्रति ज़हर भरा जाता है। यह कोई आरोप नहीं, बल्कि कई आतंकियों की गिरफ्तारी इस बात को साबित कर चुकी है।
👉 क्या हमें अब भी मदरसों को धार्मिक शिक्षा संस्थान मानना चाहिए, या फिर इन्हें कट्टरपंथी आतंक की फैक्ट्री कहा जाए?
क्या नाबालिग होने से अपराध माफ़ हो जाएगा?
अब इन लड़कों को क़ानूनी तौर पर Juvenile Justice Act के तहत नाबालिग मानकर सिर्फ़ तीन साल बाल सुधार गृह में रखा जाएगा। क्या यह उचित दंड है?
👉 अगर इनकी ट्रेन पलटाने की साजिश सफल होती, तो सैकड़ों लोग मारे जाते। फिर भी इन्हें सिर्फ़ सुधार गृह भेजा जाएगा?
👉 क्या अब समय नहीं आ गया कि नाबालिग अपराध की उम्र को 18 से घटाकर 10 साल किया जाए?
क्या भारत भी ब्रिटेन जैसा बनने की राह पर है?
देखिए ब्रिटेन का हाल—वहां शरिया कानून की मांग हो रही है, ब्रिटिश शहरों के मेयर मुस्लिम बन चुके हैं, और ब्रिटिश समाज अपनी पहचान खो चुका है।
👉 क्या भारत भी उसी रास्ते पर है?
👉 क्या हम भी अपनी संस्कृति और अस्तित्व को मिटने देंगे?
अब हिंदू त्योहार भी निशाने पर?
1️⃣ फराह खान का होली पर विवादित बयान – बॉलीवुड की फराह खान ने होली को ‘छपरियों‘ का त्योहार कहकर हिंदुओं का अपमान किया। यह वही मानसिकता है जो बॉलीवुड में बैठकर हिंदू त्योहारों और परंपराओं का मज़ाक उड़ाती है।
👉 क्या ऐसे लोगों का बायकॉट नहीं होना चाहिए?
2️⃣ बरेली में कट्टरपंथियों की धमकी – उलेमाओं ने धमकी दी है कि अगर होली खेली गई, तो ‘खून की होली‘ होगी।
👉 सोचिए, हिंदू त्योहारों को मनाने तक के लिए अब धमकियां मिलने लगी हैं!
👉 क्या ऐसे माहौल में हम सुरक्षित हैं?
3️⃣ मथुरा के संतों की मांग – संतों ने स्पष्ट कहा है कि होली के दौरान मुस्लिमों का प्रवेश निषेध हो।
👉 क्या यह ज़रूरी नहीं कि हिंदू त्योहारों में सिर्फ़ वे ही आएं जो दिल से सम्मान करते हों, न कि वे जो हिंसा फैलाने आते हैं?
4️⃣ रामनवमी, हनुमान जयंती, कांवड़ यात्रा और गणेश चतुर्थी – हर साल इन त्योहारों की शोभायात्राओं पर पत्थरबाज़ी और हिंसा होती है।
👉 आखिर हर हिंदू त्योहार पर ही दंगे क्यों होते हैं?
👉 कौन हैं ये लोग जो रोज़गार नहीं, लेकिन दंगे करने में आगे रहते हैं?
1947 की स्थिति दोहराने की साजिश?
यह सब देखकर ऐसा लगता है कि भारत में 1947 जैसे हालात दोबारा बनाए जा रहे हैं।
👉 हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है, उनके त्योहारों को अपमानित किया जा रहा है, उनकी लड़कियों पर लव जिहाद हो रहा है, और उनकी आस्थाओं पर हमले हो रहे हैं।
👉 लेकिन विपक्ष चुप है, मीडिया चुप है, सेक्युलर गैंग चुप है!
अब वक्त आ गया है – हिंदू समाज को जागना होगा!
✅ मदरसों को सरकारी अनुदान देना तुरंत बंद हो!
✅ नाबालिग अपराधियों के लिए सख्त सज़ा का प्रावधान हो!
✅ हिंदू विरोधी बॉलीवुड का पूर्ण बहिष्कार हो!
✅ हर हिंदू को राष्ट्रीयता और धर्म रक्षा के लिए संगठित होना होगा!
✅ जो लोग त्योहारों को अपमानित करें, उनका सामाजिक बहिष्कार हो!
🚩 अगर आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी! 🚩
🚩 भारत माता की जय! सनातन धर्म की जय! 🚩