1947 से 2025 तक — भारत में क्या खेला चला, कैसे सिस्टम टूटा, कैसे जनता पीड़ित हुई और अब कैसे एक नया युग शुरू हो रहा है
🔻 SECTION 1: असली कहानी — स्वतंत्रता के बाद से न्यायिक पतन की शुरुआत और 70 वर्षों तक उसका जारी रहना
आज़ाद भारत को एक ऐसी न्याय व्यवस्था मिली थी जो जनता की रक्षा कर सके।
लेकिन यह व्यवस्था बन गई:
- धीमी
- भ्रष्टाचार-प्रवण
- राजनीतिक हस्तक्षेप वाली
- अभिजात वर्ग के नियंत्रण में
- वैचारिक पक्षपात से ग्रस्त
और सबसे बड़ा अपराध — दशकों तक किसी सरकार ने इसे सुधारने की इच्छा ही नहीं दिखाई।
📌 क्यों?
क्योंकि एक टूटी हुई न्याय व्यवस्था हमेशा लाभ पहुंचाती है:
- घोटालेबाज़ नेताओं को
- वोट-बैंक वाले दलों को
- विदेशी फंडेड नेटवर्क को
- अलगाववादी ताकतों को
- भ्रष्ट अफसरशाही को
- माफिया और संस्थागत अपराधियों को
क्योंकि धीमी न्याय व्यवस्था का मतलब है— न सज़ा, न जवाबदेही, न डर। भारत 70 साल तक इसी अंधेरे में चलता रहा।
🔻 SECTION 2: 18 तथ्य जो साबित करते हैं कि भारत की न्यायिक व्यवस्था भीतर से टूट चुकी है
🟥 न्यायिक घोटाले
- 20 वर्षों में 17 बड़े न्यायिक घोटाले उजागर
- 98% मामलों में कोई कार्रवाई नहीं
🟥 सुधार रोक दिए गए
- 2014–2024 में 56 बार “ज्यूडिशियल रिफॉर्म” संसद में उठाया गया
- लेकिन आज तक एक भी मूल सुधार लागू नहीं
🟥 संरचनात्मक विफलता
- भारत में 1 जज प्रति 71,000 नागरिक
- दुनिया का सबसे खराब अनुपात
🟥 लोगों का भरोसा टूट चुका है
- 62% लोगों का मानना—न्याय अमीरों के पक्ष में झुकता है
- 42% भारतीय न्यायपालिका पर भरोसा खो चुके (Pew 2024)
🟥 अंडरट्रायल का दर्द
- 75% अंडरट्रायल बाद में निर्दोष निकलते हैं
- यानी सिस्टम ही लोगों को पीड़ित बनाता है
🟥 सुप्रीम कोर्ट का बोझ
- 30 वर्षों में केस लोड 500% बढ़ा
- सुधार 0%
📌 ये राय नहीं, प्रमाण हैं — कि सिस्टम बहुत पहले से बीमार था।
🔻 SECTION 3: क्यों राकेश किशोर समस्या नहीं — बल्कि सिस्टम का सच्चा आईना हैं
🟩 वे सुधारक हैं, अपराधी नहीं
- 50 साल न्याय का काम करने वाला व्यक्ति अचानक “अपराधी” नहीं हो जाता।
🟩 उन्होंने उसी बीमारी को दिखाया जिससे देश दशकों से पीड़ित है
- उनका निशाना व्यक्ति नहीं — तंत्र था।
🟩 वे जनता की आवाज हैं
- हर वह इंसान जो 10–20 साल केस में बर्बाद हुआ — वही आवाज उठाता।
🟩 उनका विरोध प्रतीकात्मक था
- न हिंसा
- न अवमानना
- न कोई गलत इरादा
🟩 उन्होंने वही कहा जिसे कहने की हिम्मत किसी सरकार ने दशकों तक नहीं की
- सिस्टम की पोल खोलना अपराध नहीं — राष्ट्रधर्म है।
🔻 SECTION 4: मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक और कानूनी आधार
✔ मनोविज्ञान
- 20 साल न्याय का इंतजार किसी भी व्यक्ति को मानसिक रूप से तोड़ देता है।
ऐसे में प्रतीकात्मक विरोध प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।
✔ अंतरराष्ट्रीय कानून
- लोकतांत्रिक देशों में संस्थाओं की आलोचना एक संरक्षित अधिकार है।
✔ शास्त्र
- वेद और महाभारत दोनों कहते हैं— अन्याय के विरुद्ध सत्य बोलना धर्म है।
🔻 SECTION 5: न्यायिक विफलता से भारत को हुए गहरे नुकसान
🟥 न्याय में देरी = अपराध को प्रोत्साहन
- भ्रष्ट नेता और माफिया फलते-फूलते रहे।
🟥 आतंकवाद और अलगाववाद बढ़ा
- धीमी अदालतें कट्टरपंथियों का हथियार बन गईं।
🟥 अपराधियों को जमानत, देशभक्तों को सज़ा
- यह वर्षों से चल रहा असंतुलन है।
🟥 विदेशी फंडेड लॉबी न्यायपालिका को प्रभावित करती रही
- जो राष्ट्रविरोधी हित साधती थी।
🟥 आर्थिक विकास रुका
- लाखों प्रोजेक्ट, सड़कें, उद्योग—सालों फाइलों में पड़े रहे।
🔻 SECTION 6: मोदी युग — जब भारत ने खुद को खोई गहराइयों से बाहर निकाला
2014 में भारत:
- दिवालिया होने की कगार पर
- भ्रष्टाचार में डूबा
- वैश्विक मंच पर कमजोर
- अंदर से अस्थिर
लेकिन 11 वर्षों में भारत बन गया:
- दुनिया की सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था
- डिजिटल दुनिया का नेता
- 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- ग्लोबल पावर
- मजबूत सैन्य राष्ट्र
- निर्णायक सरकार वाला देश
इतिहास में दुनिया मैं कभी भी कहीं भी इतनी तेज़ गति से बदलाव नहीं आया।
❗ लेकिन अब इस विकास को न्यायिक मजबूती की जरूरत है
क्योंकि:
- भ्रष्टाचार के मामले अटक जाते हैं
- आतंकवादी लाभ उठाते हैं
- राष्ट्र विरोधी तत्व कोर्ट का दुरुपयोग करते हैं
- इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं रुक जाती हैं
यदि भारत को टॉप-3 सुपरपावर बनना है, तो न्यायपालिका को राष्ट्रवादी और ईमानदार और तेज होना ही होगा।
🔻 SECTION 7: CJI सूर्यकांत — भारत के न्याय इतिहास का निर्णायक मोड़
दशकों में पहली बार भारत को ऐसा CJI मिला है जो:
✔ ईमानदार हैं
✔ राष्ट्रवादी दृष्टिकोण रखते हैं
✔ न्यायिक ढांचे की कमियाँ स्वीकारते हैं
✔ सुधार की बात करते हैं
✔ एक्टिविस्ट लॉबी के दबाव में नहीं आते
✔ राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं
उनकी हालिया टिप्पणियाँ और फैसले बताते हैं:
- न्यायपालिका अब राष्ट्र-विरोधी तत्वों के लिए ढाल नहीं रहेगी
- न्याय अब तेज, पारदर्शी और जनता–केन्द्रित होगा
- सरकार के विकास और सुरक्षा प्रयासों को न्यायपालिका अब सहयोगात्मक दृष्टि से देखेगी
📌 यह भारत के लिए वरदान है।
🔻 SECTION 8: भारत का सबसे बड़ा खतरा — बाहर नहीं, भीतर है
भारत का सबसे खतरनाक दुश्मन है आंतरिक इकोसिस्टम:
- विपक्ष की भ्रष्ट राजनीति
- वामपंथी विचारधारा
- विदेशी फंडेड NGOs
- pseudo-secular लॉबी
- Urban Naxal नेटवर्क
- कट्टरपंथ के संरक्षक
- प्रोपेगेंडा मीडिया
यह सब मिलकर:
- मोदी को हटाना चाहते हैं
- देश की विकास गति रोकना चाहते हैं
- देश को विदेशी ताकतों का गुलाम बनाना चाहते हैं
- पुराना भ्रष्टाचार वाला शासन वापस लाना चाहते हैं
और न्यायपालिका जितनी कमजोर होगी, ये उतने ही मजबूत होंगे।
🔻 SECTION 9: भारत के सुपरपावर बनने के लिए राकेश किशोर जैसी आवाज़ें क्यों आवश्यक हैं
क्योंकि वे:
- जनता का दर्द बोलते हैं
- न्याय की पीड़ा समझते हैं
- सुधार की बात करते हैं
- सत्य का पक्ष लेते हैं
यह आवाज़ दब गई, तो:
- सिस्टम और सड़ जाएगा
- भ्रष्टाचारी फिर हावी हो जाएंगे
- जनता फिर पीड़ित होगी
🔻 SECTION 10: अंतिम राष्ट्रवादी संदेश — अब सुधार का युग शुरू हो चुका है
- भारत जाग चुका है।
- भारत बदल चुका है।
- भारत आगे बढ़ चुका है।
अब हमें चाहिए:
✔ मजबूत सरकार
✔ मजबूत न्यायपालिका
✔ मजबूत राष्ट्रवाद
✔ मजबूत प्रशासन
✔ मजबूत जवाबदेही
- और यह सब मोदी सरकार + CJI सूर्यकांत के ऐतिहासिक संयोजन से संभव है।
- भारत अब विष्वगुरु बनने की अंतिम यात्रा पर है।
हमें इस परिवर्तन को बचाना है, आगे बढ़ाना है, मजबूत करना है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम
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