स्वास्थ्य सेवा, जो सेवा का माध्यम होना चाहिए, आज एक भयावह व्यापार का रूप ले चुकी है। डॉक्टर्स, अस्पताल और दवा कंपनियों की मिलीभगत से आम जनता का खुलेआम शोषण हो रहा है। यह लूट इतनी संगठित है कि सरकार और मीडिया तक भी इसे रोकने में नाकाम दिखते हैं।
कैसे हो रही है जनता की लूट?
❗ महंगे इंजेक्शन:
हार्ट अटैक के मरीज के लिए ज़रूरी Streptokinase इंजेक्शन की असली कीमत ₹700-900 है, लेकिन डॉक्टर MRP ₹9,000 लिख देता है। आप क्या करेंगे?
❗ टाइफाइड के इलाज में धोखा:
Monocef इंजेक्शन का होलसेल रेट ₹25 है, मगर अस्पताल का केमिस्ट इसे ₹53 में देता है। आप क्या करेंगे?
❗ डायलिसिस के बाद का इंजेक्शन:
जिसकी असली कीमत ₹500 है, उसे डॉक्टर ₹1,800 में बेचता है और इसे केवल डॉक्टर ही मंगवा सकता है।
❗ महंगी एंटीबायोटिक:
एक ही Salt की जेनेरिक दवा ₹45 में उपलब्ध है, मगर डॉक्टर वही ब्रांड लिखता है जो ₹540 में बिकती है।
❗ टेस्ट में कमीशनखोरी:
✅ अल्ट्रासाउंड का बाज़ार रेट ₹750 है, लेकिन चैरिटेबल डिस्पेंसरी में यही टेस्ट ₹240 में होता है।
✅ MRI में डॉक्टर का कमीशन ₹2,000-₹3,000 तक है।
❗ अनावश्यक सर्जरी का धंधा:
कॉर्पोरेट अस्पतालों में डॉक्टरों पर ‘टारगेट’ पूरे करने का दबाव रहता है। इसी कारण मरीज को डराकर या गुमराह करके कई बार ऐसी सर्जरी करवा दी जाती है, जिसकी ज़रूरत ही नहीं होती थी।
❗ सस्ती दवाएं देने से इनकार:
अधिकांश केमिस्ट कम दाम वाली जेनेरिक दवाएं रखने से मना कर देते हैं क्योंकि उन्हें महंगी दवाओं से अधिक मुनाफा मिलता है।
क्यों बनी है यह स्थिति?
🔹 फार्मास्यूटिकल कंपनियों की मज़बूत लॉबी डॉक्टरों और अस्पतालों को मोटा मुनाफा दिलाकर उन्हें अपने महंगे उत्पाद बेचने पर मजबूर कर रही है।
🔹 मीडिया की चुप्पी: TRP के लालच में मीडिया इस सच्चाई को उजागर नहीं करता। वे प्रिंस के गड्ढे में गिरने, राखी सावंत के विवाद, क्रिकेटर्स की गर्लफ्रेंड, बिग बॉस जैसे तमाशे तो दिखाते हैं, लेकिन मेडिकल माफिया के इस नंगे नाच पर चुप रहते हैं।
🔹 सरकार की लाचारी: मेडिकल लॉबी का प्रभाव इतना गहरा है कि सरकार भी अक्सर उनके सामने झुक जाती है।
हमें क्या करना चाहिए?
✅ जागरूक बनें: अपने अधिकारों को जानें और डॉक्टर द्वारा महंगी दवा या टेस्ट की सिफारिश पर सवाल करें।
✅ जेनेरिक दवाओं को प्राथमिकता दें: सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाएं महंगी ब्रांडेड दवाओं का बेहतरीन विकल्प हैं।
✅ महंगे टेस्ट और इलाज पर पुनर्विचार करें: जरूरत पड़ने पर चैरिटेबल डिस्पेंसरी या सरकारी अस्पताल में भी जांच कराएं।
✅ दूसरी राय (Second Opinion) लें: यदि डॉक्टर सर्जरी या महंगे इलाज की सलाह दे रहा है, तो किसी अन्य विशेषज्ञ से राय अवश्य लें।
✅ इस संदेश को फैलाएं: जितना अधिक लोग जागरूक होंगे, उतना ही इस लूट को रोकने में सहायता मिलेगी।
आइए मिलकर बदलाव लाएँ
अगर आपको लगता है कि यह संदेश सत्य है, तो इसे आगे बढ़ाएँ। पांच लोगों को भेजें और उनसे भी अनुरोध करें कि वे इसे पांच और लोगों को भेजें। जागरूकता ही इस मेडिकल माफिया का सबसे बड़ा जवाब है।
🚩 जय भारत! वंदे मातरम्! 🚩