25 नवंबर 1947 — मीरपुर जनसंहार की वो काली तारीख जिसे कांग्रेस, नेहरू और सेक्युलर इतिहासकार भूलना चाहते हैं… लेकिन भारत कभी नहीं भूलेगा!
🩸 भागते रहे हिंदू, जलते रहे गांव — लेकिन दिल्ली में गांधी और नेहरू मौन थे!
1947 में जब देश को “आज़ादी” मिली, तो करोड़ों भारतीयों के मन में एक नया सूर्योदय हुआ। लेकिन इस आज़ादी के साथ ही भारत माता के दो टुकड़े कर दिए गए। कहा गया कि अब शांति होगी, लेकिन उसी वक़्त मीरपुर, मुल्तान, ननकाना साहिब, रावलपिंडी, और लाहौर जैसे कस्बों में हिंदुओं और सिखों की नृशंस हत्याएँ शुरू हो गईं।
📍 मीरपुर जनसंहार:
- 25 नवम्बर 1947 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर नगर में 20,000 से अधिक हिंदू–सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई।
- औरतों के साथ बलात्कार, फिर सरेआम हत्या। बच्चों को जमीन पर पटक कर मारा गया।
- हजारों को बंधक बना लिया गया — और गुलाम बना दिया गया।
- पाकिस्तान सरकार के साथ मिली पठानों और कबीलाइयों ने सेना की मदद से हमला किया।
लेकिन भारत सरकार क्या कर रही थी?
❌ कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं
❌ कोई बचाव दल नहीं
❌ कोई बयान नहीं
❌ और… गांधी-नेहरू मौन!
⚔️ यह सिर्फ मीरपुर जनसंहार नहीं था — यह एक सुनियोजित हिंदू संहार था
🇵🇰 पाकिस्तान में दर्जनों जगहों पर हुए हिंदू–सिख नरसंहार:
- रावलपिंडी (1947): 7,000+ सिख मारे गए, गाँव जलाए गए।
- मुल्तान, सिंध, बलूचिस्तान: मंदिर जलाए गए, महिलाओं को उठा लिया गया।
- लाहौर, पेशावर: ट्रेनों में लाशें भेजी गईं — लेकिन नेहरू को “सांप्रदायिक तनाव“ की चिंता थी।
👉 इन सभी घटनाओं में एक चीज़ समान थी:
✋ भारत सरकार की चुप्पी और तुष्टिकरण नीति!
💣 कश्मीर — मीरपुर की पुनरावृत्ति
📅 1990: कश्मीरी हिंदुओं का पलायन — “रालिव, चालिव या गालिव“
- हजारों की हत्या, लाखों विस्थापित, बेटियों के साथ बलात्कार — और फिर मंदिरों को तोड़ा गया।
- कांग्रेस की सरकार फिर से मौन, सेना को खुली छूट नहीं, और हिंदुओं को ‘शांति बनाए रखने‘ की सलाह!
क्या यह सिर्फ विफलता थी? नहीं! यह एक राजनीतिक और वैचारिक अपराध था।
🏛️ हमारे इतिहास की किताबों में क्या है?
- हिंदू नरसंहारों पर मौन
- मीरपुर, नोआखाली, कश्मीर — गायब!
- औरंगज़ेब, बाबर, खिलजी जैसे इस्लामी हमलावरों को “महान प्रशासक” बताया गया।
- गांधी–नेहरू को ईश्वरतुल्य महिमामंडित किया गया।
- नेताजी, सावरकर, भगत सिंह, लक्ष्मीबाई, वीर दुर्गादास — हाशिये पर डाल दिए गए।
👉 यह इतिहास का नहीं, एक विचारधारा का निर्माण था — जिसमें हिंदू ग़ुलाम रहे, मुस्लिम राजा और कांग्रेस नेता तारणहार!
🚫 नेहरू–गांधी की सच्चाई: भारत के सबसे बड़े ऐतिहासिक अपराधी
🔍 क्या किया इन तथाकथित “राष्ट्र निर्माताओं” ने?
- विभाजन स्वीकारा, पाकिस्तान को जन्म दिया।
- पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को उपेक्षित किया, लेकिन मुसलमानों की रक्षा पर ज़ोर दिया।
- कश्मीर पर सैन्य प्रतिक्रिया रोक दी।
- और पूरे स्वतंत्र भारत में इस्लामीकरण के बीज बो दिए।
👉 1947 से 2014 तक एक ही नीति चली — “मुस्लिम हित सर्वोपरि, हिंदू मरता रहे तो भी चलेगा।“
🌅 फिर 2014 में सूरज निकला — सनातन भारत के पुनर्जागरण का आरंभ
🙏 मोदी सरकार का आगमन — एक युग परिवर्तन
- CAA और NRC — असली पीड़ित हिंदुओं को नागरिकता।
- 370 हटाना — कश्मीर को भारत में पूर्ण रूप से विलय।
- अयोध्या मंदिर निर्माण — 500 साल की प्रतीक्षा समाप्त।
- तीन तलाक पर प्रतिबंध — महिलाओं को न्याय।
- बांग्लादेशी घुसपैठियों पर शिकंजा — राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता।
👉 अगर 2014 में मोदी न आते, तो आज भारत:
🔴 शरिया कानून के अधीन होता
🔴 सनातन धर्म पर प्रतिबंध लगते
🔴 और हिंदू एक शरणार्थी बन चुका होता अपने ही देश में!
🕯️ जन जागरण: अब इतिहास को दोहराने नहीं देना है
🛑 अब हमें यह करना होगा:
- मीरपुर और कश्मीर जैसे नरसंहारों को पाठ्यक्रम में शामिल कराना।
- इतिहास से गांधी–नेहरू और मुस्लिम हमलावरों की झूठी महिमा हटाना।
- नेताजी, सावरकर, भगत सिंह को इतिहास के केंद्र में लाना।
- राजनीतिक रूप से हिंदू एकता बनाना — जाति, भाषा, क्षेत्र के पार।
- कांग्रेस–वाम–सेक्युलर गठबंधन को लोकतांत्रिक रूप से हराना।
- मंदिर, संस्कृति, गौरव और राष्ट्र की रक्षा हेतु संकल्प लेना।
📢 “मीरपुर की चिता पर शपथ लो — अब कोई हिंदू न मरे, न विस्थापित हो, न अपमानित!”
🙏 यह केवल मीरपुर की बात नहीं है, यह भारत की आत्मा का पुकार है — उठो, जागो और सत्य के लिए संघर्ष करो।
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