मेवात — हरियाणा का वह इलाका, जिसे कभी हरियाणा के शांत, मेहनतकश गांवों के लिए जाना जाता था — आज भारत का “नो–गो ज़ोन“ बन चुका है।
508 गांव, 1,784 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र, और एक सच्चाई जो किसी को हिला दे:
यहां हिन्दू समुदाय लगभग समाप्त हो चुका है।
जो कुछ गिने-चुने हिन्दू बचे हैं, वे रोज़ाना डर और अपमान के बीच जी रहे हैं।
यहां क्या हो रहा है?
- हिन्दू बेटियों का अपहरण और जबरन निकाह – लव जिहाद की सुनियोजित रणनीति।
- जबरन धर्मांतरण – धमकियों, लालच और दबाव से।
- आर्थिक उत्पीड़न – दुकानों से सामान न खरीदना, उधार न लौटाना, व्यापार चौपट करना।
- जमीन पर कब्ज़ा – मंदिर और श्मशान भूमि तक नहीं छोड़ी गई।
- बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना – जनसंख्या संतुलन पूरी तरह बदलना।
सिर्फ़ जनसंख्या बदलना नहीं — एक सुनियोजित सफाया
पूर्व सरपंच रामजी लाल (गांव मढ़ी) बताते हैं:
- “कुछ साल पहले तक हमारे गांव में 25 हिन्दू घर थे, अब सिर्फ़ 4 हैं। बाकी या तो औने-पौने दामों पर ज़मीन बेचकर चले गए, या धमकियों से भागने पर मजबूर हुए।”
यह कोई एक गांव की कहानी नहीं, पूरे मेवात का सच है।
राजनीतिक और संस्थागत पक्षपात
नूंह जैन समाज के अध्यक्ष विपिन कुमार जैन का आरोप साफ है:
- “मेवात से हिन्दुओं को साफ़ करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी लगभग पूरी तरह मुस्लिमों को ही दिया जाता है।”
उदाहरण: 70 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट वाली ‘मेवात विकास एजेंसी’ — हिन्दुओं को इसमें से हिस्सा नाममात्र का मिलता है।
लव जिहाद की व्यक्तिगत त्रासदियां
- 2012 में अग्रवाल समुदाय की एक लड़की का अपहरण और पहले से विवाहित मुस्लिम से जबरन निकाह।
- नगीना के ओमवीर का केस — पहले बहला-फुसलाकर मुसलमान बनाया, फिर जब वापस हिन्दू धर्म में लौटे तो जान से मारने की धमकी और शादी रोकने की कोशिश।
आर्थिक नाकेबंदी और सामाजिक बहिष्कार
- हिन्दू दुकानदारों का बहिष्कार।
- मुस्लिम चौकीदार बैठाकर निगरानी।
- कर्ज लेकर पैसा न लौटाना — और विरोध करने पर हिंसा की धमकी।
उद्देश्य स्पष्ट है: हिन्दुओं को आर्थिक रूप से तोड़ना, फिर क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर करना।
इतिहास और चेतावनी
इतिहासकार विल ड्यूरां ने लिखा था:
- “सभ्यताएं सिर्फ़ शांति और अहिंसा से नहीं बचतीं, बल्कि मज़बूत सुरक्षा से बचती हैं।”
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था:
- “मुसलमान हिन्दू सरकार को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि वे हिन्दुओं को ‘काफ़िर’ मानते हैं और काफ़िर के शासन को ‘दार-उल-हर्ब’ समझते हैं।”
आज का बड़ा सवाल
जब मेवात में 21वीं सदी में भी हिन्दुओं के साथ यह सब हो रहा है —
- संघ मौन क्यों है?
- भाजपा मौन क्यों है?
- हिन्दू समाज और हमारे धर्मगुरु मौन क्यों है?
- न्यायपालिका और मीडिया चुप क्यों हैं?
क्या हम इतिहास से कुछ सीखने वाले हैं, या वही गलती दोहराने वाले हैं?
निष्कर्ष
- मेवात सिर्फ़ हरियाणा का मुद्दा नहीं — यह भारत के भविष्य की चेतावनी है।
- आज अगर मेवात की आग नहीं बुझाई, तो कल यह आग बाकी राज्यों में भी पहुंचेगी।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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