मिशनरी धर्मांतरण और इस्लामी जिहाद आज सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के सामने दो गंभीर चुनौतियाँ बनकर खड़े हैं। ये न केवल सामाजिक संतुलन को प्रभावित करते हैं, बल्कि सदियों पुरानी सांस्कृतिक जड़ों पर भी गहरा असर डालते हैं। इस विषय को समझना इसलिए जरूरी है ताकि समाज जागरूक रहे और अपनी परंपराओं व पहचान की रक्षा कर सके।
मिशनरी धर्मांतरण व इस्लामी जिहाद
1. सनातन सभ्यता पर निरंतर प्रहार
- पाँच हजार वर्षों से अधिक पुरानी सनातन संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है — जो शांति, सहिष्णुता और ज्ञान का प्रतीक है।
- लेकिन दुर्भाग्य से, हम हिंदुओं ने सदियों से उन खतरों को नज़रअंदाज़ किया है जो आज हमारे अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न बन गए हैं — धर्मांतरण और जिहाद।
- मुगल आक्रमणों से लेकर ब्रिटिश मिशनरियों तक, सनातन धर्म पर निरंतर हमले हुए।
- स्वतंत्रता के बाद भी, जब इन ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जाना चाहिए था, तब कांग्रेस सरकारों ने मुस्लिम तुष्टिकरण और मिशनरी एजेंडे को संस्थागत रूप दिया।
- परिणामस्वरूप, हिंदू समाज को कमज़ोर, बांटा और अपराधबोध में डुबो दिया गया।
2. उपेक्षा ने कैसे लिया राष्ट्रीय संकट का रूप
हमने एक बहुत बड़ी भूल की — हमने सहिष्णुता को चुप्पी समझ लिया।
हमने वर्षों तक सहा:
- आक्रामक इस्लामी जिहाद, जो आतंक और हिंसा का माध्यम बना।
- विदेशी मिशनरी धर्मांतरण, जो गरीब और अशिक्षित हिंदुओं को छलने का साधन बना।
- 1947 के बाद, जब इन दोनों खतरों पर अंकुश लगाना चाहिए था, तब कांग्रेस और उसकी सेक्युलर लॉबी ने इन्हें और बढ़ावा दिया।
- धर्मांतरण रोकने की बजाय, उसे “धार्मिक स्वतंत्रता” का नाम दिया गया।
- इस्लामी चरमपंथियों को “अल्पसंख्यक अधिकारों” की आड़ में संरक्षण मिला।
- और इसी बीच, तीसरे मोर्चे पर नक्सलवाद को बढ़ाया गया — ताकि हिंदू क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों में अस्थिरता फैलाई जा सके।
- इन सबकी वजह से आज ये समस्याएँ महामारी की तरह फैल चुकी हैं।
3. कांग्रेस की नीति — वोट बैंक सर्वोपरि, राष्ट्र बाद में
कांग्रेस ने एक खतरनाक राजनीतिक फार्मूला बनाया:
👉 मुसलमानों को तुष्ट करो + ईसाई धर्मांतरण को बढ़ावा दो + हिंदुओं को बांटो = सत्ता पक्की करो
- एक ओर उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक को खुश रखने के लिए चरमपंथियों को संरक्षण दिया और कॉमन सिविल कोड जैसे सुधार रोके।
- दूसरी ओर विदेशी फंडिंग से चलने वाले मिशनरी संगठनों को खुली छूट दी ताकि वे गरीब और आदिवासी हिंदुओं को धर्मांतरित कर सकें।
- और जो हिंदू इसके खिलाफ बोले, उन्हें “सांप्रदायिक” करार देकर राजनीतिक रूप से अलग–थलग कर दिया गया।
- इस दोहरी नीति ने हिंदुओं को राजनीतिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक रूप से कमजोर कर दिया।
- आज जबकि मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, हिंदू जनसंख्या घट रही है — यह आगामी शताब्दियों के लिए भयावह संकेत है।
4. नक्सलवाद — सनातन के खिलाफ तीसरा मोर्चा
- जहाँ जिहाद और धर्मांतरण समाज को तोड़ रहे थे, वहीं नक्सलवाद ने देश की आंतरिक स्थिरता को चोट पहुंचाई।
- यह आंदोलन “वर्ग संघर्ष” के नाम पर शुरू हुआ, परंतु बाद में हिंदू–विरोधी और राष्ट्र–विरोधी हिंसा का औजार बन गया।
- विदेशी शक्तियों द्वारा वित्तपोषित नक्सलियों ने आदिवासी हिंदुओं, मंदिरों और सरकारी संस्थाओं पर हमला किया।
- कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इसे राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया, और इसके अत्याचारों पर मौन साध लिया।
लेकिन आज, मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्यों ने इस नेटवर्क को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने में बड़ी सफलता हासिल की।
5. हिंदू समाज की सबसे बड़ी भूल — मौन रहना
- यह कड़वा सच हमें स्वीकार करना होगा — हम हिंदू सदियों से सिर्फ देखते रहे और कुछ नहीं किया।
- हमने व्यक्तिगत हित, जातीय पहचान और सुविधा को धर्म और राष्ट्र से ऊपर रखा।
- हमने उन लोगों का साथ नहीं दिया जो हमारे धर्म और संस्कृति की रक्षा कर रहे थे।
- हमने कांग्रेस और उसके “ठगबंधन” (TMC, DMK, RJD, SP, आदि) को लगातार वोट देकर अपने ही भविष्य को कमजोर किया।
- हमारी यह चुप्पी अब हमारे अस्तित्व पर भारी पड़ रही है।
- यदि यह स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो आने वाले कुछ दशकों में सनातन धर्म सिर्फ इतिहास की किताबों में रह जाएगा।
6. अब समय है राष्ट्रीय जागरण का
अब समय है कि हर सनातनी यह समझे
- अगर हमने समय रहते अभी कदम नहीं उठाया, तो हमारी संताने बिना संस्कृति और पहचान के भविष्य में रहेंगी।
हमें चाहिए कि:
- राष्ट्रवादी सरकार का दृढ़ समर्थन करें, जो भारत की अस्मिता की रक्षा कर रही है।
- धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानून बनवाने में सहयोग करें।
- इस्लामी जिहाद और नक्सल अवशेषों को जड़ से खत्म करने के प्रयासों को मज़बूत करें।
- युवाओं को जागरूक करें, ताकि वे अपने धर्म पर गर्व करें और सत्य को समझें।
- जाति, भाषा या क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर एकजुट होकर धर्म और राष्ट्र की रक्षा करें।
7. आशा की किरण — मोदी युग में भारत का पुनर्जागरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पहली बार इन खतरों का साहसपूर्वक सामना किया है:
- नक्सली हिंसा में 80% से अधिक कमी, मज़बूत नीति और विकास योजनाओं से।
- CAA, NRC और UCC जैसे विषयों पर चर्चा से राष्ट्रीय एकता को बल मिला।
- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से हिंदू गौरव की पुनर्स्थापना हुई।
विदेशी फंड से चलने वाले धर्मांतरण नेटवर्क पर नकेल कसी जा रही है।
फिर भी, यह संघर्ष अभी समाप्त नहीं हुआ है।
- अब हर हिंदू और राष्ट्रभक्त को योद्धा बनकर ज्ञान, संगठन और साहस के साथ इस लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा।
8. अंतिम चेतावनी — धर्म या विनाश
यह राजनीति नहीं, यह धर्मयुद्ध है।
- हमारे पूर्वजों ने इस भूमि की रक्षा पराक्रम से, हमारे ऋषियों ने ज्ञान से, और अब हमें करनी है सजगता और एकता से।
यदि हम इस समय:
- मिशनरी धर्मांतरण,
- इस्लामी उग्रवाद, और
- मार्क्सवादी घुसपैठ
- और गैरकानूनी घुसपैठ
को नहीं रोक पाए, तो भारत, भारत नहीं रहेगा — और सनातन सिर्फ एक स्मृति बन जाएगा।
- अब निर्णय हमारा है — जागो या मिट जाओ।
9. आगे का मार्ग
हमें प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम:
- कांग्रेस और उसके ठगबंधन को पूरी तरह अस्वीकार करेंगे।
- राष्ट्रवादी नीतियों और नेतृत्व का समर्थन करेंगे।
- अपने बच्चों को धर्म, संस्कृति और इतिहास का सही ज्ञान देंगे।
- मंदिरों, समाजों और गांवों को धर्मांतरण और झूठे प्रचार से मुक्त करेंगे।
भारत का पुनर्जागरण संसद से नहीं, बल्कि हर जागरूक हिंदू के हृदय से शुरू होगा।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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