मोदी कौन है?
जब आप किसी राजनैतिक विश्लेषक या आम नागरिक से पूछते हैं – “मोदी कौन है?”
तो उसका उत्तर अक्सर उसकी राजनीतिक विचारधारा, धर्म, प्रवृत्ति और सूचनात्मक स्रोत (जैसे मीडिया) पर निर्भर होता है।
परंतु जब यह प्रश्न एक राजनैतिक वैद्य से किया गया – तो उन्होंने इसका उत्तर आयुर्वेदिक दृष्टांतों और प्रतीकों के माध्यम से कुछ इस प्रकार दिया:
✅ शहद: अमृत मानव के लिए, विष पिशाचों के लिए
- “शहद अमृत है — लेकिन यदि कुत्ता चाट ले तो मर जाता है।”
- शुद्ध शहद शरीर को रोगमुक्त करता है।
- पर कुत्ते की प्रकृति अमृत को समझने और पचाने की नहीं होती।
- जो पापी, हिंसक और संकीर्ण प्रवृत्तियों से भरे हैं, उनके लिए सच्चा राष्ट्रभक्त नेता असहनीय होता है।
➡️ मोदी उसी शहद की तरह है — जो देशभक्तों के लिए जीवनदायक है, लेकिन देशविरोधियों के लिए विष है।
✅ घी: पवित्र, औषधीय – पर हर जीव के लिए नहीं
- “देशी गाय का शुद्ध घी – संजीवनी है, लेकिन गंदगी में जीने वाली मक्खी उसे नहीं छूती।”
- मक्खियाँ सिर्फ सड़ांध, अपवित्रता और गंदगी की ओर आकर्षित होती हैं।
- उन्हें शुद्धता, सात्विकता और अनुशासन पचता नहीं।
➡️ मोदी वही पवित्र घी है — जिसे राष्ट्र की सुरक्षा, स्वावलंबन, सनातन मूल्यों और आत्मबल में विश्वास रखने वाले समझते हैं।
परंतु जिनका जीवन भ्रष्टाचार, जातिवाद, सेकुलर छल–कपट में बीता है, उन्हें मोदी असहज करता है।
✅ मिश्री: मिठास युक्त जीवन शक्ति – पर गधों को नहीं पचती
- “मिश्री बलवर्धक है – लेकिन गधे को खिला दो, तो वह मर जाता है।”
- बुद्धिहीनों, मूढ़ों और दुराग्रही लोगों को जब राष्ट्रवाद, अनुशासन, एकात्मता की बातें सुनाई जाती हैं, तो वे उसे तानाशाही मान लेते हैं।
- उन्हें “मोदी की रणनीति, दीर्घकालीन योजना और आत्मनिर्भर भारत” जैसे विचार समझ नहीं आते।
➡️ मोदी वही मिश्री है — जो जनमानस की ऊर्जा है, परंतु राजनीतिक गधों को केवल मीठा भ्रम और मुफ्त की लूट चाहिए।
✅ निम्बोली: तीखी लेकिन रोगनाशक
- “नीम की निम्बोली — कड़वी है, लेकिन रोग हर लेती है। कौवे उसे खाते ही मर जाते हैं।”
- कौवे कभी भी सीधे भोजन नहीं करते — वो झूठ, प्रपंच, गंध और अवसरवाद के प्रतीक हैं।
- ऐसे पेड पत्रकार, बिकाऊ मीडिया, और विदेशी परस्त एजेंडा चलाने वाले लोग — मोदी जैसे सच्चे राष्ट्रभक्त से डरते हैं।
➡️ मोदी वही निम्बोली है — जो देश की बीमारियों (भ्रष्टाचार, जिहाद, तुष्टिकरण, आतंकवाद) को दूर करता है।
लेकिन कौवे रूपी दलाल उसे निगल नहीं सकते।
🧭 दो परिदृश्य: एक सच्चाई, दूसरा आवश्यकता
🟥 वर्तमान सच्चाई (First Scenario):
- हिन्दू समाज का बड़ा भाग आज मौन, विभाजित, भ्रमित, सिर्फ धन कमाने में व्यस्त, और धर्म के लिए निष्क्रिय है।
- युवा, नौकरी और सोशल मीडिया के भ्रमजाल में खोए हैं।
- संत और संगठन अपने-अपने पंथ, संस्था, और अहंकार में बंटे हुए हैं।
- वोटबैंक, सेकुलरिज़्म और झूठे नरेटिव से आत्मा कुंद हो रही है।
🟩 आवश्यक परिदृश्य (Second Scenario):
- अब समय आ गया है कि हर सच्चा सनातनी, राष्ट्रवादी और हिन्दू उठ खड़ा हो:
- अपनी जाति, वर्ग, संगठन से ऊपर उठे।
- मोदी और योगी जैसे राष्ट्ररक्षकों के पीछे संगठित रूप से खड़ा हो।
- मुक्त मानसिकता, संघर्षशील नेतृत्व, और साहसी आचरण के साथ आगे बढ़े।
- धर्म, संस्कृति, राष्ट्र और आने वाली पीढ़ियों को बचाने के लिए तत्काल स्वयं को तैयार करे।
चेतावनी:
- यदि अब नहीं जागे, तो अगली पीढ़ी को “हम हिन्दू थे” यह बताने के लिए संग्रहालय बनवाने पड़ेंगे।
❗ “मोदी” एक व्यक्ति नहीं, एक वैचारिक औषधि है — जो केवल उन्हें लाभ देती है जो राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के प्रति निष्ठावान हैं।
🙏 इस औषधि को समय रहते पहचानिए, वरना बीमारी लाइलाज हो जाएगी।
🛡️ संदेश:
🔴 “पहला परिदृश्य आपकी वर्तमान निष्क्रियता है”
🟢 “दूसरा परिदृश्य वह है जिसकी अभी आवश्यकता है।”
- यदि सम्मानपूर्वक जीना है, तो ‘दूसरे परिदृश्य’ को तुरंत अपनाइए।
जल्दी कीजिए, इससे पहले कि देर हो जाए…
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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