- जब भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, तो खुफिया सूत्रों से संकेत मिला कि पाकिस्तान में एक गुप्त परमाणु ठिकानाउजागर हुआ है — संभवतः ऐसा ठिकाना जो अमेरिकी परमाणु हथियारों के “ऑफ द बुक्स” भंडारण से जुड़ा हुआ था।
- कुछ ही घंटों बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने अजीबोगरीब बयान देने शुरू कर दिए। 30 से ज्यादा बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि “भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर मैंने कराया है।”
- भारत सरकार ने तुरंत इसका खंडन किया। विश्व ने इसे नज़रअंदाज़ किया। मगर ट्रंप बार-बार वही राग अलापते रहे।
इसके बाद ट्रंप ने भारत पर दबाव डाला कि वह एक “मिनी ट्रेड डील” करे — जो पूरी तरह अमेरिकी घरेलू बिजनेस लॉबी के हित में थी, भारत के नहीं।
- भारत ने इंकार कर दिया।
और तभी रिश्तों की गर्माहट ठंडी पड़ गई।
🕵️ विपक्ष की रहस्यमयी विदेश यात्राएँ
इसी दौरान एक विपक्षी नेता की गुप्त विदेशी यात्राओंकी चर्चाएँ फैलने लगीं।
- यात्राओं के ठिकाने गुप्त रखे जाते, विवरण छिपाए जाते। अटकलें लगाई गईं कि ये दौरे मध्य-पूर्व और कुछ ऐसे स्थानों पर हो रहे हैं जिनका खुलासा हमें नहीं करना चाहिए।
- अजीब बात ये थी कि ये दौरे अक्सर भारत में अचानक होने वाले राजनीतिक उबाल से पहले होते।
- क्या ये संयोग था या साजिश?
फिर आया आर्थिक हमला।
- ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगा दिया।
- कारण बताया गया — भारत का रूस से तेल खरीदना।
- लेकिन चीन — जो रूस का सबसे बड़ा खरीदार है — उस पर कोई दंड नहीं।
- जब सवाल पूछा गया तो जे.डी. वेंस ने कहा: “चीन का मामला जटिल है।”
मतलब साफ था — अमेरिका ने चुनकर सिर्फ भारत को निशाना बनाया।
🔥 इतनी नाराज़गी क्यों?
दरअसल, वॉशिंगटन भीतर ही भीतर गुस्से से उबल रहा था।
- क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की एक बेहद संवेदनशील परमाणु साइट को उजागर कर दिया था — एक ऐसा स्थान जिसे कभी अमेरिकी परमाणु हथियारों के गुप्त भंडारण के लिए इस्तेमाल किया गया बताया जाता है।
- यह अमेरिका के लिए राष्ट्रीय अपमान था।
लेकिन यह गुस्सा यहीं तक सीमित नहीं था। मोदी पहले ही कई बार पश्चिमी ताकतों की “रेड लाइन” पार कर चुके थे:
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016) — पाकिस्तान के आतंकी ढाँचे को बेनकाब किया।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) — भारत की मारक क्षमता और इच्छाशक्ति दिखाई।
- अनुच्छेद 370 हटाना (2019) — दुनिया को दिखा दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है।
- रूस पर अमेरिकी दबाव न मानना — भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का संकेत।
- ईरान के साथ चाबहार पोर्ट — पश्चिमी रणनीति को चुनौती।
अमेरिका और पश्चिमी शक्तियों के लिए मोदी “असुविधाजनक” हो गए।
भारत के लिए मोदी “संप्रभुता” का प्रतीक थे।
📖 शासन परिवर्तन का पुराना नाटक
हमने ये पटकथा पहले भी देखी है:
- पाकिस्तान, 2022: इमरान खान को मॉस्को यात्रा के बाद हटाया गया।
- बांग्लादेश, 2024: शेख हसीना को तब हटाया गया जब उन्होंने अमेरिका की माँग पर सेंट मार्टिन आइलैंड देने से इंकार किया।
अब वही स्क्रिप्ट भारत में खेली जा रही थी।
पहला चरण: असफल प्रयास
- CAA विरोध — विदेशी फंडिंग के बावजूद ढह गया।
- किसान आंदोलन — बाहरी ताक़तों ने भुनाया, लेकिन अंततः फेल हो गया।
तो नए मोर्चे की तलाश शुरू हुई।
🗳️ मतदाता सूची का हथियारकरण
अब मैदान में उतारी गई डुप्लीकेट वोटर की कहानी।
- यह कोई संयोग नहीं था। यह एक सटीक प्रचार रणनीति थी।
- लीक हुई “लिस्ट” में ज़्यादातर हिंदू नाम दिखाए गए — ताकि भाजपा का आधार “फर्जी” लगे।
- फोकस रखा गया कम अंतर से जीती गई सीटों पर — जैसे बेंगलुरु सेंट्रल।
- वही पैटर्न कांग्रेस की सीटों (जैसे धुले, महाराष्ट्र) पर होने के बावजूद दबा दिया गया।
- उद्देश्य साफ था — नतीजों को अस्वीकार करवाना, न कि मतदाता सूची ठीक करना।
प्रचार के हथियार:
- इमोशनल वीडियो बनाने वाले इन्फ्लुएंसर
- विदेशी पोर्टल्स पर छपे “भंडाफोड़”
- टीवी डिबेट्स में बिना सबूत आरोप
लेकिन ध्यान दीजिए क्या नहीं किया गया:
- कोई केस कोर्ट में नहीं गया
- किसी ने शपथपत्र नहीं दिया
- चुनाव आयोग में पूरा सबूत के साथ शिकायत नहीं की
क्यों? क्योंकि मक़सद समाधान नहीं था। मक़सद था लगातार संदेह पैदा करना।
⚠️ इसका ख़तरा
झूठे “चुनावी धांधली” के आरोप लोकतंत्र के लिए सबसे घातक हथियार हैं। ये कर सकते हैं:
- जनता का भरोसा तोड़ना
- सड़कों पर बग़ावत खड़ी करना
- “अंतरराष्ट्रीय दखल” को न्योता देना
> यही फार्मूला पाकिस्तान (2022) और बांग्लादेश (2024) में चला।
> और यहाँ भी देखिए — टैरिफ युद्धऔर मतदाता सूची का नैरेटिव — दोनों सात दिनों के भीतर उभरे।
क्या यह महज़ इत्तेफ़ाक़ है? या एक सुनियोजित ऑपरेशन?
🎭 आधुनिक तख़्ता-पलट
आज के युग में तख़्ता-पलट के लिए न टैंक चाहिए, न जनरल।
अब इस्तेमाल होते हैं:
- टैरिफ — आर्थिक हथियार
- ट्रेंडिंग हैशटैग — मानसिक युद्ध
- डेटा लीक — झूठा वैधता प्रमाण
- विपक्षी नेता — स्थानीय मोहरे
और सबसे बड़ा इनाम है — भारत।
🕉️ असली युद्ध — सनातन बनाम षड्यंत्र
यह सिर्फ़ मोदी बनाम विपक्ष की लड़ाई नहीं है।
- यह मोदी बनाम पश्चिमी षड्यंत्र है।
- यह भारत की सभ्यता बनाम डीप स्टेट की टक्कर है।
- सदियों तक भारत को “साँप सपेरों का देश” कहकर मज़ाक बनाया गया। हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, हमारी धरोहर को दबाया गया।
मगर आज दुनिया मान रही है — सनातन धर्म ही श्रेष्ठ मार्ग है।
- योग दिवस आज 180+ देशों में मनाया जाता है।
- आयुर्वेद, ध्यान, प्राणायाम को करोड़ों लोग अपना रहे हैं।
- अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन पूरी दुनिया ने देखा।
- गीता, उपनिषद, संस्कृत पर पश्चिमी विश्वविद्यालयों में शोध हो रहा है।
यही बात वैश्विक डीप स्टेट को डराती है।
> क्योंकि सनातन में जड़ें जमाए भारतको वे कभी गुलाम नहीं बना सकते।
> इसलिए हमला मोदी पर नहीं है। हमला भारत की आत्मा पर है।
🇮🇳 सत्य
- ट्रंप — जो खुद अपनी “ट्रंपेट” बजाते हैं — आज अपने सलाहकारों की कठपुतली बन गए हैं।
- विपक्ष — चाहे जानबूझकर या मजबूरी में — बाहरी ताक़तों के मोहरे बन चुका है।
- लेकिन भारत न तो पाकिस्तान है, न बांग्लादेश।
- भारत है सनातन।
अनादि। अविनाशी। अटूट।
👉 कोई टैरिफ, कोई हैशटैग, कोई साजिश इस धर्म-आधारित सभ्यता को हरा नहीं सकती।
👉 भारत इन षड्यंत्रों को ध्वस्त करेगा।
👉 मोदी इन चालों को मात देंगे।
👉 सनातन धर्म पहले से कहीं ज़्यादा उज्ज्वल होकर उभरेगा।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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