मोदी राज
🔹 1. भ्रष्टाचार मुक्त शासन का नया युग
1.1 बड़े पैमाने पर सुधार
- मोदी की नोटबंदी 2016 में एक ही रात में ₹15 लाख करोड़ अमान्य हुए—काला धन टूटा, नकली करेंसी बंद हुई, डिजिटल ट्रांज़ैक्शन बढ़े।
- जीएसटी लागू (2017): एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली ने टैक्स की दोहराव दर खत्म की और टैक्स चोरी पर लगाम लगाई। हर इनवॉइस अब तकनीकी रूप से जुड़ा हुआ है, जिससे हेराफेरी की गुंजाइश नहीं रहती।
- ई–टेंडरिंग और पारदर्शिता: GeM, NIC, और CPGRAMS जैसे ऑनलाइन पोर्टल ने रीयल-टाइम टेंडरिंग शुरू की—हर लेन-देन अब ट्रेस और ऑडिट हो सकता है।
- डीबीटी + जनधन–आधार–मोबाइल त्रिकोण: 40 से अधिक योजनाओं के माध्यम से ₹30+ लाख करोड़ सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुँचे—बिचौलिए खत्म।
1.2 उजागर करना और दंडित करना
- ब्लैक मनी एक्ट लागू: मोदी सरकार में फर्जी चैरिटी और शेल कंपनियों के जरिए अरबों की संपत्ति का खुलासा हुआ, काले धन पर बड़ी कार्रवाई हुई।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY): ऑनलाइन बिलिंग और बायोमैट्रिक सत्यापन से फर्जी क्लेम और ‘घोस्ट पेशेंट’ बंद हुए।
- ‘विवाद से विश्वास’ योजना (2020): ₹1.25 लाख करोड़ के टैक्स विवादों का समाधान—बिना रियायत के।
🔹 2. कौन शक्ति खो रहा है—और क्यों हो रहा है विरोध?
2.1 संस्थागत बदलाव
- घोटालेबाज़ गायब: 2G, कोलगेट, CWG जैसे घोटाले अब अतीत हो चुके हैं।
- फाइलों के दलाल: मोदी सरकार में जो पहले फाइलों की आवाजाही पर हावी थे, वो अब ई-गवर्नेंस के ज़माने में बेनकाब हो चुके हैं।
- सशक्त एजेंसियाँ: CBI, ED, IT जैसी संस्थाएं अब बिना किसी रोकटोक के कार्रवाई कर रही हैं।
2.2 बदनाम करने की रणनीतियाँ
- “चौकीदार चोर है”, राफेल विवाद, फर्जी बजट झटके—ये सिर्फ भ्रम फैलाने की साजिशें हैं।
- विपक्ष तथ्यों की जगह, अफवाहों के ज़रिए जनता को भटकाता है।
🔹 3. जमीनी युद्ध: नौकरशाही, न्यायपालिका और लोकल भ्रष्टाचार
3.1 चुपचाप जारी रिश्वत सिस्टम
- भूमि रजिस्ट्रेशन कार्यालय: काम जल्दी हो सकता है, लेकिन ‘सुविधा शुल्क’ माँगा जाता है।
- पुलिस: एफआईआर दर्ज कराने या तेज़ी से कार्रवाई के लिए अब भी रिश्वत माँगी जाती है।
- निचली अदालतें: “फिक्सर” अब भी तारीख दिलाने के लिए पैसे लेते हैं।
3.2 शिक्षा और स्वास्थ्य में घोटाले
- प्राइवेट मेडिकल सीटें: कुछ कॉलेज अब भी एडमिशन में घूस लेते हैं।
- फर्जी डॉक्टर और नर्स पंजीकरण: बिना योग्यता के लोग स्वास्थ्य सेवा में शामिल।
3.3 स्थानीय स्तर पर गवर्नेंस की समस्याएँ
- ठेकेदार गिरोह: छोटे रोड वर्क्स में परिवार आधारित ठेका प्रणाली।
- PDS और राशन दुकानें: डिजिटल निगरानी के बावजूद चोरी चालू।
🔹 4. नागरिकों की ज़िम्मेदारी: एक राष्ट्रीय आत्म-सुधार का समय
4.1 सोच में बदलाव
- “सब करते हैं, मैं भी करूंगा” को बदलें—“न रिश्वत दूंगा, न लूंगा”।
- शॉर्टकट वाली ‘हसल संस्कृति’ को छोड़कर ईमानदारी और धैर्य अपनाएं।
4.2 व्यवहार में सुधार
- ₹10, ₹50 की “फैसिलिटेशन फीस” देना बंद करें। रसीद माँगें।
- ई-कोर्ट्स, डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और निश्चित शुल्क वाली पुलिसिंग का स्वागत करें।
- बच्चों को ईमानदारी की क़ीमत सिखाएं—न कि शॉर्टकट की।
4.3 ज़ीरो टॉलरेंस का समर्थन
- ईमानदार अधिकारियों का सार्वजनिक समर्थन करें।
- भ्रष्ट अधिकारियों को CVC या जन मंचों के माध्यम से गुमनाम रूप से उजागर करें।
- ऐसे मॉडल हॉस्पिटल्स या अफसरों का जश्न मनाएं जो भ्रष्टाचार को छूते नहीं।
🔹 5. प्रेरणा देने वाली जीत की कहानियाँ
- उज्जैन, राजकोट और सूरत: पूरी तरह डिजिटाइज़ स्थानीय शासन, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त व्यवस्थाएँ।
- पुडुचेरी (तमिलनाडु): सोशल मीडिया पर PDS ब्लैक मार्केटिंग रोकने में जनता की भूमिका।
- ई–हॉस्पिटल्स और ई–अटेंडेंस सिस्टम: सरकारी कर्मचारियों और सेवाओं में पारदर्शिता।
🔹 6. अंतिम लक्ष्य: अब ज़मीनी सफाई की बारी
- ऊपर से सफाई हो चुकी—अब नीचे तक करनी है।
- संस्थागत ईमानदारी + जन नैतिकता = राष्ट्रीय पुनरुत्थान
- केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, सभ्यतागत पुनर्जागरण चाहिए।
🔊 एक सरल सत्य:
- जब तक हम खुद रिश्वत देना बंद नहीं करेंगे, हर “संदिग्ध सुविधा” पर सवाल नहीं उठाएंगे, और ईमानदारी को ताक़त की तरह इनाम नहीं देंगे—तब तक भारत प्रगति नहीं करेगा।
- सरकार अपना पूरा प्रयास कर रही है। अब समय है कि हम नागरिक भी सरकार का सहयोग कर अपना कर्तव्य निभाएं और भारत को एक प्रगतिशील राष्ट्र बनाएं।
🌟 “मैं संकल्प लेता हूँ:
- ना मैं भ्रष्ट बनूंगा,
- ना भ्रष्टाचार सहूंगा;
- भारत का हर सरकारी पैसा—उसके असली हकदार तक पहुँचेगा।
अगर यह संकल्प सबका हो—तो यही बदलाव भारत को बदल देगा।”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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