“मोदी युग का रणघोष, भारत की रणनीतिक पराकाष्ठा!”—यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत के वैश्विक उत्थान की कहानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल अपनी आंतरिक सुरक्षा और सैन्य शक्ति को सुदृढ़ किया, बल्कि विदेश नीति, आर्थिक रणनीति और वैश्विक कूटनीति में भी एक नया अध्याय लिखा है। यह युग भारत के आत्मविश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदर्शी निर्णयों का प्रतीक बन चुका है, जहाँ देश ने निर्णायक नेतृत्व के साथ अपनी रणनीतिक दिशा को पुनर्परिभाषित किया है।
जब दुनिया सो रही थी, भारत ने एक ऐसा साहसिक कदम उठाया, जिसने केवल पाकिस्तान की नींव नहीं हिलाई, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन को भी झकझोर दिया।
1. क्यों तुम मोदी को कोस सकते हो? क्योंकि S-400 अब भी जाग रहा है!
आज तुम AC में बैठकर, इंटरनेट पर मोदी को गालियाँ दे पा रहे हो…
क्यों?
क्योंकि तुम्हारे आसमान को मोदी सरकार द्वारा लाया गया S-400 रक्षा कवच ढके हुए है।
जब पाकिस्तान जैसा भूखा, दीवालिया देश भारत की राजधानी को मिसाइल से निशाना बनाता है – तो समझ लो, दुश्मन की बौखलाहट, भारत की ताकत का प्रमाण है।
सोचो अगर वो मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुँच जाती – स्कूल, स्टेशन, मॉल पर गिरती – तब तुम सरकार को कोसते नहीं, किसी शवयात्रा में कंधा दे रहे होते।
2. राफेल और S-400 के रास्ते में रोड़े किसने अटकाए थे?
याद करो!
किसने राफेल डील को घोटाला कहा?
किसने संसद में चिल्लाया – “चौकीदार चोर है!”
वही लोग हैं, जिनकी दादी इमरजेंसी लगाने वाली ‘लौह महिला’ कहलाती थीं – लेकिन वही थीं जिन्होंने पाकिस्तान से युद्ध जीतकर 90,000 कैदी छोड़ दिए थे।
और आज…
मोदी वही नेता हैं जिन्होंने:
- बिना मीडिया हाइप के राफेल मंगवाए
- दुनिया की परवाह किए बिना S-400 तैनात किया
- और पाकिस्तान के 11 एयरबेस मिट्टी में मिला दिए – ऑपरेशन सिंदूर के तहत।
3. ऑपरेशन सिंदूर – एक युगांतकारी सैन्य अध्याय
इतिहास में पहली बार किसी परमाणु शक्ति राष्ट्र के 11 एयरबेस 90 मिनट में ध्वस्त!
सरगोधा जैसे परमाणु केंद्र को भी भारत ने धूल चटा दी।
परिणाम?
- रेडिएशन रिसाव
- अमेरिका की बेचैनी
- पाकिस्तान का सन्नाटा
- और भारत का दबदबा
भारत ने युद्धविराम की भीख नहीं मांगी, बल्कि पाकिस्तान को मजबूर किया!
4. भारत अब खुद फैसले लेता है!
ये नया भारत है।
जो न संयुक्त राष्ट्र की तरफ देखता है, न किसी “ग्लोबल ओपिनियन” का गुलाम है।
- अब गोली का जवाब गोले से
- आतंक का जवाब पराक्रम से
- और कूटनीति की जगह निर्णायक कार्रवाई
“ऑपरेशन सिंदूर” एक सिर्फ सैन्य मिशन नहीं, यह राष्ट्र के आत्मसम्मान का पुनर्जन्म है।
5. मोदी का भारत – शांति का पक्षधर, लेकिन युद्ध के लिए तैयार! l
हमें युद्ध नहीं चाहिए – हमें नवाचार, रोजगार, आत्मनिर्भर भारत चाहिए।
लेकिन जो हमारे रास्ते में आएगा – उसका वही हाल होगा जो पाकिस्तान का हुआ।
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है:
- आतंक अब सीमा पर नहीं रुकेगा
- पाकिस्तान अब बचेगा नहीं, बंटेगा!
- सिंधु जल अब भारत की संपत्ति है – कोई “संधि” अब नहीं चलेगी
6. विरोध करो, लेकिन तर्क के साथ!
- आज विपक्ष मोदी पर इसलिए हमला करता है क्योंकि:
- मोदी फिल्मों की तरह “डायलॉगबाज़ी” नहीं करता
- मोदी अपनी सेना को मीडिया शो के लिए नहीं भेजता
- मोदी राष्ट्रनीति को “मनोरंजन” नहीं बनाता
लेकिन याद रखो,
जो तुम आज लिख सकते हो, कह सकते हो – वह सब मोदी की रणनीति से संभव है।
जिस दिन ये सुरक्षा चक्र हटा – उस दिन तुम्हारा अभिव्यक्ति का अधिकार भी मलबे में दबा मिलेगा।
7. और अंत में – कौन हारा, कौन जीता?
- पाकिस्तान – बुरी तरह पिटा
- चीन – वैश्विक मंच पर शर्मसार
- बांग्लादेश – संकट में
- बलूचिस्तान – जाग उठा
- अफगानिस्तान – मज़ा ले रहा
- इज़राइल, रूस – भारत के साथ
- अमेरिका – भारत की शक्ति से चकित
विपक्ष – सबसे ज़्यादा दुखी!
राष्ट्रनीति कोई फिल्म नहीं होती – यह खून, रणनीति और साहस से लिखी जाती है!”
“ऑपरेशन सिंदूर” अभी खत्म नहीं हुआ है… यह तो भारत की भविष्य दृष्टि का पहला अध्याय है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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