मोदी युग में भारत एक नए आत्मविश्वास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। यह केवल राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि आत्मगौरव और राष्ट्र चेतना का पुनर्जन्म है।
मोदी युग का सनातनी पुनर्जागरण
🔷 1. “मोदी ने सर्वनाश कर दिया…” : हाँ, यह सच है, पर किसका?
जब वामपंथी बुद्धिजीवी, कांग्रेस के प्रवक्ता और तथाकथित सेक्युलर पत्रकार यह कहते हैं —
- “मोदी ने देश का माहौल बिगाड़ दिया, सर्वनाश कर दिया…”
 - तो वे अनजाने में सच बोल रहे होते हैं।
 - क्योंकि मोदी ने सर्वनाश किया है उस झूठे सिस्टम का, जिसने भारत के हिंदुओं को उनके ही देश में अपराधबोध में जीने पर मजबूर कर दिया था।
 
उन्होंने सर्वनाश किया है —
- नकली सेक्युलरिज़्म का, जो केवल हिंदू समाज के विरोध में प्रयोग किया जाता था।
 - झूठे इतिहास का, जिसने लुटेरों को महान और रक्षकों को गुमनाम बना दिया था।
 - उस सत्ता तंत्र का, जो हिंदुओं को बांटकर, मुस्लिम वोट बैंक बनाकर सत्ता चलाता था।
 
यह “सर्वनाश” नहीं, बल्कि पुनर्जागरण है — भारत के आत्मगौरव, आत्मविश्वास और सनातन पुनर्स्थापना का युग।
🔷 2. नेहरूवादी–वामपंथी तंत्र का निर्माण — हिंदू मन को गुलाम बनाने की साजिश
स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस और उसके वामपंथी मित्रों ने एक संगठित एजेंडा चलाया, जिसका लक्ष्य था —
- भारत की आत्मा यानी “हिंदुत्व” को कमजोर करना।
 
उनकी नीतियों का परिणाम यह हुआ कि:
- स्कूलों में बच्चों को सिखाया गया कि “सेक्युलरिज़्म” का मतलब धर्म से दूरी है।
 - विश्वविद्यालयों में भारतीय संस्कृति और पुराणों का उपहास उड़ाया गया।
 - मीडिया ने “हिंदू प्रतीकों” को अंधविश्वास और पिछड़ेपन से जोड़ा।
 - समाज को जाति, भाषा, और प्रांतों में बाँटकर एकता को समाप्त किया गया।
 - “गर्व से कहो, हम हिंदू हैं” — यह वाक्य जो स्वामी विवेकानंद ने कहा था,
उसे शर्म का कारण बना दिया गया। - लोग खुद को कुछ भी कहने लगे — भारतीय, एशियाई, ग्लोबल सिटीजन —
पर “हिंदू” कहने में झिझकने लगे। यही मानसिक गुलामी का सबसे खतरनाक रूप था। 
🔷 3. मोदी का आगमन — राष्ट्रवादी चेतना का पुनर्जन्म
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए, तब भारत ने 70 साल बाद पहली बार आत्मगौरव महसूस किया।
- उन्होंने जनता के मन से यह अपराधबोध मिटाया कि “हिंदू होना गलत है।”
 - अब भारत का हर नागरिक अपनी जड़ों, संस्कृति और धर्म पर गर्व महसूस कर रहा है।
 
🌿 मोदी युग में आस्था का पुनर्जागरण:
- प्रियंका गोस्वामी कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बाल गोपाल कान्हा जी को हाथ में लेकर खड़ी होती हैं।
 - मीराबाई चानू खुलकर कहती हैं, “मैं हनुमान भक्त हूँ” और अपने पूजन की तस्वीरें साझा करती हैं।
 - भारतीय पहलवान सार्वजनिक रूप से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
 - नीरज चोपड़ा जैसे युवा नायक पत्रकारों से कहते हैं — “हिंदी में बात करो, यह भारत है।”
 
इन सबने यह सिद्ध कर दिया कि आज का भारत अपनी संस्कृति पर गर्व करने वाला नया भारत है।
🔷 4. इतिहास का शुद्धिकरण — झूठे गौरव से सच्ची चेतना तक
मोदी सरकार ने यह तय किया कि भारत के बच्चों को अब झूठ नहीं, सच्चा इतिहास बताया जाएगा।
अब एनसीईआरटी की किताबों में यह बदलाव हो रहा है कि:
- बाबर, गौरी, गजनवी, अकबर, सिकंदर और चंगेज जैसे हमलावर “महान शासक” नहीं,
बल्कि विनाशक, कायर और लुटेरे थे। - असली नायक वे थे जिन्होंने इस भूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन अर्पण किया —
महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोबिंद सिंह जी, पृथ्वीराज चौहान। - अब बच्चों को बताया जा रहा है कि भारत हजारों वर्षों से एक अखंड सभ्यता है,
जिसे बार-बार तोड़ा गया, लेकिन कभी मिटाया नहीं जा सका। 
यह इतिहास का शुद्धिकरण नहीं, बल्कि इतिहास की मुक्ति है — वामपंथी विकृतियों से।
🔷 5. राष्ट्र की सर्वोच्च सत्ता में आस्था और संस्कृति का गौरव
मोदी सरकार ने यह संदेश दिया कि
भारत का शीर्ष नेतृत्व भी संस्कृति और धर्म के प्रति श्रद्धा रख सकता है — और रखना चाहिए।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो शिवभक्त हैं, गर्व से कहती हैं कि
“भगवान शिव की कृपा से ही मैं अवसाद से बाहर निकली।”
वे मंदिरों में झाड़ू लगाती हैं और इसे अपना सम्मान मानती हैं। - उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने बंगाल में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई, “राजनीतिक पद” से आगे बढ़कर “धार्मिक और मानवीय मूल्यों” के प्रहरी बने।
 
यह वही पद हैं जिन्हें कांग्रेस ने “औपचारिक प्रतीक” बना दिया था,
पर मोदी ने उन्हें जीवंत संस्कारों और संस्कृति के प्रतीक बना दिया।
🔷 6. विभाजन की राजनीति का अंत — हिंदू एकता का उदय
ब्रिटिशों ने “Divide and Rule” की नीति से भारत को तोड़ा,
और कांग्रेस ने आज़ादी के बाद उसी नीति को जारी रखा।
उनका खेल था —
- हिंदुओं को जातियों, भाषाओं और समुदायों में बाँटना ताकि उनका वोट विभाजित रहे।
 - और मुसलमानों को तुष्टिकरण देकर एक स्थायी वोट बैंक बना लेना।
 
पर आज स्थिति बदल रही है।
- हिंदू समाज समझ चुका है कि यह “वोट बैंक” की राजनीति उसके अस्तित्व के लिए खतरा है।
 - अब समय है कि हिंदू समाज एकजुट हो — जाति, भाषा, प्रांत से ऊपर उठकर।
 - यह एकता ही वह शक्ति है जो ठगबंधन और विभाजनकारी राजनीति को समाप्त कर सकती है।
 
🔷 7. आर्थिक पुनर्जन्म — दिवालिया भारत से वैश्विक शक्ति तक
- 2014 से पहले भारत आर्थिक पतन के कगार पर था।
 - बैंकिंग सेक्टर अस्थिर था, घोटाले चरम पर थे, और भ्रष्टाचार हर संस्था में व्याप्त था।
 
पर मोदी सरकार ने केवल 11 वर्षों में:
- भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया।
 - मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उपकरणों का निर्यात शुरू किया।
 - डिजिटल इंडिया से देश को तकनीकी क्रांति की दिशा में अग्रसर किया।
 - आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से रोजगार, उद्योग और नवाचार को नई ऊंचाई दी।
 - और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत, आत्मविश्वासी शक्ति के रूप में स्थापित किया।
 
अब भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई शक्ति भी है।
🔷 8. आंतरिक खतरे — असली युद्ध भीतर से
- भारत ने बाहरी शत्रुओं से निपटना सीख लिया है —
पर असली खतरा है भीतरी गद्दारों, वामपंथी प्रचारकों, और टुकड़े–टुकड़े गैंग से। - ये वही लोग हैं जो विपक्षी दलों, विदेशी एनजीओ और anti-Hindu ecosystem के माध्यम से भारत की अखंडता को चोट पहुँचा रहे हैं।
 - इनके विरुद्ध अब सहनशीलता नहीं, बल्कि कठोरता की आवश्यकता है।
हमें राजनीतिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से एकजुट होकर सरकार का साथ देना होगा ताकि इन गद्दारों पर कानूनी और सामाजिक कार्रवाई हो सके। - अगर हम अब भी मौन रहे, तो ईश्वर भी भारत को पतन से नहीं बचा पाएंगे।
 
🔷 9. यह केवल शासन परिवर्तन नहीं, युग परिवर्तन है
- मोदी ने 70 वर्षों की मानसिक गुलामी, झूठे इतिहास और आत्महीनता का अंत किया है।
 - आज भारत अपने स्वाभिमान, संस्कृति और धर्म पर गर्व कर रहा है
 - “गर्व से कहो, हम हिंदू हैं। गर्व से कहो, हम भारतीय हैं।”
 - यह वाक्य अब फिर से राष्ट्र की आत्मा बन चुका है।
भारत अब जाग चुका है — और अब कोई ताकत इसे रोक नहीं सकती। 
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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