मोदी युग: भारत के नवीन इतिहास की शुरुआत
1. पराजित व्यवस्था की चीख-पुकार
- जब भी भारत उठता है, वही पुरानी भारतविरोधी और हिंदूविरोधी ताकतें शोर मचाना शुरू कर देती हैं — कभी लुटियंस दिल्ली से, तो कभी सोशल मीडिया के झूठे नैरेटिव से।
- कांग्रेस और उसकी ठगबंधन टोली मोदी सरकार के हर काम का विरोध केवल इसलिए करती है क्योंकि उन्हें अपने अस्तित्व का संकट दिखाई देता है।
- ये वही ताकतें हैं जिन्होंने दशकों तक समाज को जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर बाँटकर रखा।
- आज उनका असली डर मोदी नहीं हैं — बल्कि वह हिंदू जागरण, राष्ट्रीय चेतना और सनातन पुनर्जागरण है जो मोदीजी ने पूरे भारत में जगाया है।
2. मोदी फ़िनॉमिना: शांत, संयमी और अडिग
पिछले 11 वर्षों में नरेंद्र मोदी ने केवल शासन नहीं किया — उन्होंने भारत की किस्मत बदल दी।
- तमाम झूठे प्रचार, विदेशी षड्यंत्रों और व्यक्तिगत हमलों के बावजूद उन्होंने कभी अपना संयम या आत्मविश्वास नहीं खोया।
- उनका नेतृत्व चाणक्य नीति पर आधारित है — रणनीतिक धैर्य, मौन तैयारी और समय आने पर निर्णायक प्रहार।
- मोदी न बोलकर जवाब देते हैं, न बहस करते हैं — बल्कि काम से सिद्ध करते हैं।
- गाँवों की बिजली से लेकर डिजिटल इंडिया तक, हर कदम भारत को आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनाने की दिशा में है।
3. विश्व मंच पर मोदी का प्रभाव
मोदी ने भारत की वैश्विक पहचान को पूरी तरह बदल दिया — अब भारत दर्शक नहीं, निर्णयकर्ता है।
पूरी दुनिया ने देखा है कि मोदी ने कैसे कठिन नेताओं और देशों को संभाला —
- डोनाल्ड ट्रम्प के साथ संतुलन और सम्मानपूर्ण कूटनीति,
- चीन के साथ दृढ़ता और संयम,
- तुर्की और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना,
- पश्चिमी देशों के साथ मित्रता लेकिन राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना।
आज G20, BRICS, UN या किसी भी मंच पर भारत की आवाज़ महत्वपूर्ण है — यह कांग्रेस काल की निर्बल कूटनीति से बिल्कुल विपरीत स्थिति है।
4. कांग्रेस और इकोसिस्टम की हार की सिसकियाँ
कांग्रेस और उसके “लिबरल” साथियों को यह स्वीकार नहीं हो रहा कि मोदी का भारत उनकी बनाई झूठी कहानियों को तोड़ रहा है —
- “हिंदू हमेशा बंटे रहेंगे।”
- “भारत बिना तुष्टिकरण के नहीं चल सकता।”
- “पश्चिमी सराहना ही सफलता की निशानी है।”
- जो लोग कभी मोदी को “लोकतंत्र के लिए खतरा” कहते थे, आज खुद जनता के लिए अप्रासंगिक और अविश्वसनीय हो गए हैं।
- जितना ये लोग सोशल मीडिया और टीवी पर चिल्लाते हैं, उतना ही देश की जनता मोदी और बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी होती है।
यह उनकी हार का सबूत है — क्योंकि अब भारत जाग चुका है, और सनातन चेतना फिर से अपनी जगह ले रही है।
5. सनातन धर्म: नए भारत की आत्मा
- मोदी का उदय केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सभ्यतागत पुनर्जागरण है।
- सदियों तक हिंदुओं को अपनी पहचान के लिए अपराधबोध में रखा गया, लेकिन अब वे अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व कर रहे हैं।
- सनातन धर्म अब न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत के आधुनिक राष्ट्र निर्माण की नींव बन चुका है।
इस जागरण के स्पष्ट उदाहरण हैं —
- काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निर्माण,
- अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भव्य निर्माण,
- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विश्वव्यापी उत्सव।
मोदी का शासन धर्म आधारित नहीं, बल्कि धर्म-संतुलित, न्यायपूर्ण और सांस्कृतिक आत्मसम्मान पर आधारित है।
6. मौन क्रांति: सड़कों से लेकर विश्व मंच तक
मोदी की असली ताकत उनकी मौन दृढ़ता है — वे नफरत का जवाब नफरत से नहीं, बल्कि कार्य और परिणाम से देते हैं। उनके कार्यों का प्रभाव हर क्षेत्र में दिखता है —
- भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है,
- विदेशी निवेशक भारत पर भरोसा करते हैं,
- हमारी सेनाएँ अधिक सशक्त हैं और सीमाएँ सुरक्षित हैं।
जब दुनिया के नेता मोदी से मिलते हैं, वे केवल प्रधानमंत्री को नहीं, बल्कि एक अरब भारतीयों की आवाज़ और सनातन भारत की आत्मा को देखते हैं।
7. विश्वगुरु भारत: दृष्टि से यथार्थ की ओर
- भारत अब स्पष्ट और स्थिर मार्ग पर आगे बढ़ रहा है — धर्म आधारित महाशक्ति बनने की दिशा में।
- यह बदलाव केवल सैन्य या आर्थिक शक्ति का ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नेतृत्व का भी है।
- मोदी का विश्वगुरु भारत का सपना ऐसा भारत है जो दुनिया को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध और कर्मयोग से मार्ग दिखाएगा।
- लेकिन यह यात्रा आसान नहीं — क्योंकि वही पुरानी भारतविरोधी और धर्मविरोधी शक्तियाँ इसे रोकने का हर प्रयास करेंगी।
- हमारा उत्तर एक ही होना चाहिए — एकता, जाति या भाषा से परे एक सनातनी परिवार बनकर भारत माता की रक्षा।
8. एकता और सजगता का आह्वान
- यह समय आत्मसंतुष्टि का नहीं, बल्कि सजगता का है। झूठे प्रचार, फेक न्यूज़ और भ्रम फैलाने वाले अभियान और बढ़ेंगे।
लेकिन हर सनातनी को याद रखना होगा —
- हम भारत माता की संतान हैं,
- हम धर्मरक्षक हैं,
- हम नई सभ्यता के निर्माता हैं।
- हमें किसी भी स्थिति में अपने विश्वास, अपने नेतृत्व और अपने धर्म के प्रति निष्ठा नहीं खोनी चाहिए।
- यह काल केवल राजनीति का नहीं, बल्कि धर्मयुद्ध का है — झूठ, अन्याय और अज्ञान के खिलाफ।
9. भारत का स्वर्ण युग: दुनिया की निगाहें हम पर
- आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है — एक ऐसे देश के रूप में जो सभ्यता की शक्ति से उभर रहा है।
- दुनिया अचंभित है कि कैसे मोदी ने बाधाओं को अवसर में बदला, आलोचनाओं को सम्मान में परिवर्तित किया।
- उनके नेतृत्व में भारत अब केवल टिक नहीं रहा — बल्कि नेतृत्व कर रहा है।
- कांग्रेस और ठगबंधन की आवाज़ अब कम है, लेकिन “भारत माता की जय” की गूंज पहले से अधिक प्रबल है।
10. सनातन युग का प्रारंभ
मोदी के 11 वर्ष केवल राजनीतिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि सभ्यता के पुनर्जन्म की नींव हैं।
आने वाला दशक भारत का होगा — एकजुट, आत्मनिर्भर, और धर्म-संवर्धित भारत का।
हर हिंदू, हर देशभक्त को आज यह संकल्प लेना चाहिए —
“हम मोदी के साथ हैं। हम सनातन के साथ हैं। हम भारत के लिए हैं।”
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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