हमें सत्य को स्वीकारना होगा
- जब लोग कहते हैं: “इस्लाम को ठीक से समझो”,
- तो यह समझ किसी लेफ्टिस्ट किताब या पेड मीडिया से नहीं आनी चाहिए।
- हमें इस्लाम को इतिहास, तथ्यों, और उन लोगों की आँखों से समझना होगा, जिन्होंने इस विचारधारा को जिया है — और उससे निकलने का साहस दिखाया।
जैसे कि मोसाब हसन यूसुफ़ — एक ऐसा व्यक्ति, जिसने इस्लामी आतंक के बीच जन्म लिया, लेकिन सच्चाई को पहचानकर उसे छोड़ दिया।
🩸 इस्लाम सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत कट्टर विचारधारा है
हो सकता है कि इस्लाम में कहीं-कहीं इंसानियत की बातें हों, लेकिन सच्चाई ये है कि वो इंसानियत 1400 वर्षों की जिहाद, घृणा और कट्टरता के खून में डूब चुकी है।
- मुहम्मद के युद्धों से लेकर खलीफा के शासन तक
- आज के ISIS, तालिबान, हामास और बोको हराम तक —
- हर युग में इस्लामी हिंसा का आधार “आस्था नहीं”, बल्कि “आक्रामक विस्तारवाद” रहा है।
🌍 पूरी दुनिया में जिहाद का पैटर्न एक जैसा क्यों है?
चाहे बात हो:
- स्वीडन की, जहाँ बलात्कार और अपराध बढ़ चुके हैं
- फ्रांस, जहाँ शिक्षक की हत्या कर दी जाती है
- भारत, जहाँ मंदिरों पर हमले, लव जिहाद, और बलात्कारी फतवे जारी होते हैं
- इसराइल, जहाँ हामास बच्चों को ढाल बनाकर मिसाइलें दागता है
- या बर्मा, नाइजीरिया, श्रीलंका, या फिलीपींस —
हर जगह कट्टर इस्लामिक हिंसा और आतंकवादएक साझा समस्या है।
❗ यह कोई संयोग नहीं — यह आइडियोलॉजिकल जिहाद है।
🤐 ज्यादातर मुसलमान इस पर चुप क्यों रहते हैं?
क्योंकि:
- इस्लाम में अपोस्टेसी (धर्म परिवर्तन) की सजा मौत है
- आलोचना करना कुफ्र कहलाता है
- सुधार की कोई गुंजाइश नहीं
- उम्माह (इस्लामी समुदाय) राष्ट्र से ऊपर होता है
कुछ जो बोलते भी हैं, उन्हें काफिर, गद्दार, और नास्तिक कहकर मारने की धमकी दी जाती है।
🔥 मोसाब हसन यूसुफ़ – एक सच्चाई से जागा मुस्लिम
मोसाब, हामास के संस्थापक नेताओं में से एक का बेटा था।
वह बचपन से कट्टर इस्लामी माहौल में पला, लेकिन उसने देखा:
- इस्लाम के नाम पर नफ़रत, हिंसा और धोखा
- फिलिस्तीनियों को ही इस्लामिक नेताओं द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है
- हामास स्वतंत्रता के लिए नहीं, बल्कि मौत के लिए लड़ रहा है।
मोसाब ने कहा:
❝ समस्या लोगों में नहीं, इस विचारधारा में है। इस्लाम का “ईश्वर” सबसे अधिक घृणा और हिंसा फैलाने वाला है। वह परमेश्वर नहीं हो सकता। ❞
- वो कोई मूर्ख नहीं था।
- उसने धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक कीमत चुकाई
- सिर्फ सच्चाई को बोलने के लिए।
🧨 इस्लामिक तुष्टीकरण ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है
- नेहरू द्वारा मुसलमानों को भारत में रोकना
- यूरोप में शरणार्थियों को बुलाकर इस्लामीकरण
- अमेरिका की गलत पश्चिम एशिया नीति
इन सबका नतीजा है:
- मंदिरों पर हमले
- हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन
- इस्लामी गुंडागर्दी
- और जनसंख्या जिहाद
🚩 इस्लाम एक निजी आस्था नहीं, एक राजनीतिक और सैन्य व्यवस्था है
इस्लाम सिर्फ पूजा-पद्धति नहीं है:
- यह एक कानून है (शरीयत)
- एक सैनिक रणनीति है (जिहाद)
- एक राजनीतिक आदेश है (खिलाफत)
- और इसका लक्ष्य है — “इस्लाम सभी धर्मों पर हावी हो।”
इसलिए इसे सिर्फ धर्म के रूप में देखना भूल है — यह एक विस्तारवादी विचारधारा है।
⚠️ अब “सेक्युलर भ्रम” से बाहर निकलो
- “सभी धर्म एक समान हैं” — झूठ है।
- “इस्लाम शांति का धर्म है” — भुलावा है।
- “जिहाद आत्म-संघर्ष है” — अगर ऐसा होता तो ISIS, हामास और तालिबान आत्महत्या कर चुके होते।
✊🏼 अब वक्त है साहसिक फैसलों का
क्या करना होगा?
- जिहाद को एक सिविलाइज़ेशनल वॉर के रूप में पहचानो।
- भारत में मुस्लिम तुष्टीकरण को समाप्त करो।
- भारत का सच्चा इतिहास पढ़ाओ – नहीं तो पीढ़ियां बर्बाद होंगी।
- मदरसों और इस्लामी फंडिंग पर निगरानी और कानून लागू करो।
- मोदी जी जैसे राष्ट्रवादी नेतृत्व को पूर्ण समर्थन दो।
🛑 इस्लामिक कट्टरपंथ को सबसे ज्यादा डर किस चीज़ से है? – सच्चाई से!
- हमें और मोसाब हसन यूसुफ़ जैसे वीरों की ज़रूरत है।
- हमें उसकी आवाज़ को दुनिया भर में फैलाना है
- ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस विचारधारा के जहर से बचाया जा सके।
🧠 विचार:
अगर आप अब भी सोचते हैं कि “हर धर्म का सम्मान करो”,
तो खुद से पूछिए:
❝ आखिर ऐसा क्या था कि मोसाब को इस्लाम छोड़ना पड़ा, परिवार और देश को छोड़ना पड़ा — क्या वो पागल था? ❞
अपने सेकुलरिसम और भाईचारे के भ्रम से बाहर निकलो और वास्तविकता को पहचानो और देश और धर्म के रक्षा मैं जुट जाओ।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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