यह सिर्फ एक पुरानी कहावत नहीं, आज की सच्चाई और चेतावनी बन चुकी है।
जब संकट आता है, जब दंगा होता है, जब हिंसा होती है — तो कुछ समुदायों के पास पूर्व-निर्धारित सुरक्षा तंत्र, संगठन, संपर्क और समर्थन मौजूद होता है। पर जब वही संकट हिंदू समाज के सामने आता है —
तो वह असहाय, बिखरा, और अकेला महसूस करता है।
🔴 समस्या की जड़ क्या है?
1. मंदिर केवल पूजा स्थल बनकर रह गए हैं
भव्य मंदिरों में भजन, कीर्तन, आरती, दान, भंडारा होते हैं — पर वहां संरक्षण, संगठित चेतना और आत्मरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती।
2. मंदिरों का कोई सुरक्षा ढांचा नहीं होता
▪ कोई सुरक्षा समिति नहीं
▪ कोई स्थानीय युवाओं की टीम नहीं
▪ कोई आपातकालीन अलर्ट सिस्टम नहीं
3. मंदिर प्रबंधन के पास समाज का डेटा नहीं होता
▪ न पास-पड़ोस के हिंदू परिवारों की सूची
▪ न किसी संकट में उन्हें सूचित करने का कोई सिस्टम
▪ न कोई स्थायी नेटवर्क जिससे समाज को एकत्र किया जा सके
4. शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण का अभाव
▪ अखाड़े, गुरुकुल, शास्त्र-अस्त्र की परंपरा लगभग समाप्त हो गई है
▪ युवा पीढ़ी मंदिर से जुड़ती ही नहीं
▪ रक्षा और सेवा को धर्म का हिस्सा नहीं माना जाता
🛡️ अब क्या करें? समाधान क्या है?
हमें मंदिरों को केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सुरक्षा केंद्र भी बनाना होगा।
✅ 1. मंदिर रक्षा दल (Temple Defense Team) बनाएं
▪ हर मंदिर के अंतर्गत एक स्थानीय युवा सुरक्षा दल बने
▪ ये दल प्रशिक्षित हो — आत्मरक्षा, संकट प्रबंधन और संचार में
▪ गुरुपूर्णिमा, रामनवमी, होली जैसे त्योहारों में इनकी संघटित उपस्थिति हो
✅ 2. मंदिर आधारित ‘हिंदू संपर्क नेटवर्क’ बनाएं
▪ आसपास के हर हिंदू परिवार की सूची तैयार हो
▪ नाम, घर नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल, आदि संकलित किए जाएं
▪ यह डेटा नियमित रूप से अपडेट हो
✅ 3. मंदिरों में अखाड़े और गुरुकुल पुनः स्थापित हों
▪ योग, ध्यान, शारीरिक व्यायाम और धर्मशास्त्र का प्रशिक्षण दिया जाए
▪ युवा पीढ़ी को परंपरा से जोड़ें — सिर्फ धार्मिक तौर पर नहीं, बलवान और संगठित बनाकर
✅ 4. आपदा संचार प्रणाली स्थापित करें
▪ मंदिरों में लाउडस्पीकर, साइरन या SMS अलर्ट सिस्टम हो
▪ जब भी संकट आए, पूरे मोहल्ले के हिंदुओं को कुछ मिनटों में सूचना मिले
✅ 5. समाज को संगठित करें — मात्र भंडारा न बाँटे, जागरूकता भी बाँटे
▪ हर मंदिर साल में 2-3 जन–जागरूकता शिविर आयोजित करे
▪ धर्म, सुरक्षा, एकता और सेवा के विषय पर व्याख्यान, चर्चा और कार्यशालाएं हों
📣 एक भावनात्मक प्रश्न:
जब कोई हमला होता है मंदिर पर,
जब कोई पुजारी मारा जाता है,
जब कोई मूर्ति तोड़ी जाती है…
तो किसे फोन करेंगे?
▪ न पास के नौजवान जुड़े हैं
▪ न कोई कम्युनिटी वॉच ग्रुप है
▪ न पुलिस तक आवाज पहुँचाने का सामूहिक तंत्रयह लापरवाही नहीं, आत्मघात है।
🔔 अब समय है मंदिरों को जाग्रत शक्ति–स्थान बनाने का
▪ हर मंदिर एक ज्ञान, सेवा और सुरक्षा केंद्र बने
▪ हर भक्त एक जिम्मेदार सैनिक और सेवक बने
▪ हर धर्मगुरु एक प्रेरणादायक नेतृत्वकर्ता बने
तभी हम कह पाएंगे —
हां, हम सनातन हैं। जागे हुए, सशक्त और संगठित।
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪
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