हाल ही में नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा कोई अकेली घटना नहीं है; यह हिंदुओं पर लगातार हो रहे योजनाबद्ध हमलों और पक्षपाती मीडिया की साजिश का हिस्सा है, जो सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। इस घटना ने एक बार फिर उस खतरनाक सच्चाई को उजागर किया है—80% आबादी होने के बावजूद, हिंदू लगाताररक्षात्मक स्थिति में धकेले जा रहे हैं। अगर हमने इस गंभीर स्थिति को अब नहीं समझा और केवल शासन व प्रशासन पर निर्भर रहे, तो जल्द ही हम अपने ही देश में बेबस हो जाएंगे।
कटु सत्य: बिना संघर्ष के कोई समुदाय टिक नहीं सकता
इतिहास गवाह है कि जो सभ्यताएँ और समुदाय अपनी रक्षा नहीं कर पाते, वे अंततः नष्ट हो जाते हैं। इस्लामी आक्रमणों से लेकर ब्रिटिश शासन तक, हिंदुओं पर बार-बार अत्याचार हुए हैं। लेकिन आज, कई हिंदू यह मानते हैं कि सरकार, पुलिस और अदालतें उनकी रक्षा करती रहेंगी।
यथार्थ को पहचानें: 60-40 का परिदृश्य
आज हिंदू भारत की 80% आबादी हैं, फिर भी उन्हें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कल्पना कीजिए, अगर यह अनुपात 60-40 या उससे भी कम हो जाए, तो क्या होगा?
🔴 क्या हिंदुओं की सरकार में निर्णायक भूमिका होगी?
🔴 क्या पुलिस और प्रशासन हिंदू सुरक्षा को प्राथमिकता देगा?
🔴 क्या नीतिगत निर्णयों में हिंदुओं की आवाज सुनी जाएगी?
अगर हिंदू अपनी सुरक्षा आज सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो आने वाले दशकों में जब वे संख्या में घटेंगे, तब वे और भी बेबस हो जाएंगे। यह केवल एक काल्पनिक स्थिति नहीं है—केरल, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पहले ही यह हो चुका है, जहां कट्टरपंथी ताकतें प्रभावी हो रही हैं।
संघर्ष से बचने की प्रवृत्ति हिंदुओं के लिए घातक
आज सबसे बड़ा खतरा हिंदुओं की यह मानसिकता है कि “हमें अपने काम से काम रखना चाहिए, तो हमें कुछ नहीं होगा।” लेकिन इतिहास गवाह है कि जब हिंदू संघर्ष से भागते हैं, तो उनके हिस्से में और बड़ा संघर्ष आता है।
आज 20% जनसंख्या:
✅ हिंदुओं पर बेरोकटोक हमले कर सकती है
✅ हिंदू घरों, दुकानों और मंदिरों को जला सकती है, जबकि मीडिया चुप रहती है
✅ लव जिहाद के नाम पर हिंदू बहन-बेटियों का अपहरण कर सकती है
✅ हिंदुओं की आवाज को धमकियों और हिंसा से दबा सकती है
वहीं, 80% हिंदू अब भी विभाजित, निष्क्रिय और केवल प्रशासन पर निर्भर बने हुए हैं।
अगर यह मानसिकता नहीं बदली, तो परिणाम भयावह होंगे। हिंदुओं को यह समझना होगा कि आज संघर्ष से बचना भविष्य में और बड़े संघर्ष को बुलावा देना है। इससे बचने का कोई और विकल्प नहीं है।
वामपंथी मीडिया की हिंदू विरोधी साजिश
हिंदू अस्तित्व की इस लड़ाई में एक बड़ा रोड़ा वामपंथी, हिंदू-विरोधी मीडिया है। लुटियंस मीडिया और वामपंथी पत्रकार लगातार कट्टरपंथी इस्लामवादियों को बचाने और हिंदुओं को दोषी ठहराने की रणनीति अपनाते हैं।
कैसे मीडिया ने नागपुर हिंसा को तोड़-मरोड़ कर पेश किया?
🛑 टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की चालबाजी
TOI ने झूठी खबर चलाई कि नागपुर में हिंसा औरंगजेब की मजार हटाने की हिंदू मांग के कारण भड़की। उनके रिपोर्टिंग के शब्दों से ऐसा लगा कि हिंदुओं ने हिंसा शुरू की।
✅ लेकिन चश्मदीदों के अनुसार, 500-600 कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने पूर्व नियोजित हमला किया।
✅ भीड़ ने पत्थरबाजी की, हिंदू दुकानों को जलाया और निर्दोष लोगों पर बर्बर हमला किया।
✅ फिर भी, TOI ने इन तथ्यों को पूरी तरह छिपा लिया और इसके बजाय हिंदुओं पर पुलिस पर हमला करने का झूठा आरोप लगाया।
🛑 द वायर की हिंदू–विरोधी प्रोपेगैंडा
द वायर ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसी हिंदू संस्थाओं को हिंसा के लिए दोषी ठहराया, लेकिन पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया कि हमला इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किया था।
🔹 बीजेपी विधायक प्रवीन दटके ने बताया कि मुस्लिम दुकानों को कुछ नहीं हुआ, केवल हिंदू प्रतिष्ठानों को जलाया गया—जो यह साबित करता है कि हिंसा सुनियोजित थी।
🔹 लेकिन द वायर ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को रिपोर्ट करने के बजाय, हिंदू संगठनों को ही दोषी ठहराने का दुष्प्रचार जारी रखा।
🛑 इंडियन एक्सप्रेस ने महत्वपूर्ण सबूत छिपाए
इंडियन एक्सप्रेस के पास ऐसे सबूत थे जिनसे साबित होता कि मुस्लिम भीड़ में छोटे बच्चे भी पेट्रोल बम लेकर आए थे।
फिर भी, उन्होंने:
❌ कट्टरपंथी मुस्लिम हमलावरों की भूमिका छिपाई
❌ हिंसा की सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया
❌ इस्लामी उग्रवादियों को बचाने की कोशिश की
मीडिया का हिंदू–विरोधी पैटर्न
यह पहली बार नहीं हुआ है। वामपंथी मीडिया पिछले कई दशकों से यही रणनीति अपनाता आ रहा है:
✅ हमेशा हिंदुओं को दोषी ठहराओ
✅ हमेशा मुसलमानों को पीड़ित दिखाओ
✅ हमेशा इस्लामी अपराधों को छिपाओ
✅ हमेशा हिंदू संगठनों को बदनाम करो
अगर पीड़ित मुसलमान होते और हमलावर हिंदू होते, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बवाल मच जाता। लेकिन जब हिंदू पीड़ित होते हैं, तो मीडिया चुप्पी साध लेता है।
अंतिम चेतावनी: हिंदुओं को योद्धा मानसिकता अपनानी होगी
आज का समय निर्णायक मोड़ पर है। हिंदू अब निष्क्रिय नहीं रह सकते। अगर आज खड़े नहीं हुए, तो भविष्य में और भी बुरी परिस्थितियों में संघर्ष करना पड़ेगा।
हिंदुओं को क्या करना चाहिए?
🟢 योद्धा मानसिकता विकसित करें – खुद को पीड़ित समझना छोड़ें, संघर्ष के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
🟢 “सेफ ज़ोन” का मोह छोड़ें – कोई भी क्षेत्र सुरक्षित नहीं है अगर पूरी सभ्यता पर खतरा मंडरा रहा हो।
🟢 एकजुट होकर संगठित हों – जाति, क्षेत्र, या राजनीतिक भेदभाव छोड़कर एक साथ आएं।
🟢 आत्मरक्षा और सामुदायिक सतर्कता को मजबूत करें – हर हिंदू परिवार आत्मरक्षा के लिए तैयार हो।
🟢 वामपंथी प्रोपेगैंडा को उजागर करें – हिंदू-विरोधी मीडिया का बहिष्कार करें और सत्य का समर्थन करें।
🟢 न्याय की मांग करें और अपनी आवाज बुलंद करें – व्यवस्था पर निर्भर न रहें, अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाएं।
अब समय है जागने का!
हिंदुओं को समझना होगा कि संघर्ष कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है। या तो आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ें, या कल इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएं।
कोई तीसरा विकल्प नहीं है।
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪