नरेंद्र मोदी का वैश्विक नेतृत्व
- पिछले एक दशक में भारत की विदेश नीति तथा वैश्विक भूमिका में अत्यंत महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है।
- इस परिवर्तन के केंद्र में प्रायः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं का विषय रहा है।
- चाहे रणनीतिक साझेदारियाँ हों, उच्चस्तरीय कूटनीति, आर्थिक स्थिति, या बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका
- मोदी के नेतृत्व पर विश्व के अनेक प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों ने टिप्पणियाँ की हैं।
यह आलेख इसी बात को स्पष्ट करता है कि विश्व भारत और उसके नेतृत्व को किस दृष्टि से देख रहा है।
भाग 1 — वैश्विक मंच पर भारत की नई पहचान
विश्व राजनीति तीव्र गति से बदल रही है। जहाँ कभी कुछ गिने-चुने राष्ट्र ही विश्व की दिशा तय करते थे, आज भारत को एक स्थिरता प्रदान करने वाली उभरती शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
इस परिवर्तन के प्रमुख आधार हैं—
- आर्थिक वृद्धि की तीव्रता
- प्रौद्योगिकी क्षमता
- जनसंख्या बल
- स्वतंत्र विदेश नीति
विश्व के नेताओं की टिप्पणियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि भारत का प्रभाव अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहीं अधिक सशक्त रूप में उपस्थित है।
भाग 2 — व्लादिमीर पुतिन की टिप्पणी : भरोसा, स्थिरता और रणनीतिक विश्वास
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में मोदी के नेतृत्व पर अत्यंत उल्लेखनीय टिप्पणी की:
- “भारत भाग्यशाली है… मोदी भारत के लिए जीते और साँस लेते हैं।”
- “वे अत्यंत भरोसेमंद व्यक्तित्व हैं।”
इस टिप्पणी का महत्त्व
- रूस भारत को स्थिर और विश्वसनीय नेतृत्व वाला राष्ट्र मानता है।
- यह भारत–रूस साझेदारी की निरंतरता का संकेत है, विशेषकर ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में।
- रूस–पश्चिम तनाव के बीच यह टिप्पणी भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
पुतिन की दृष्टि में मोदी का नेतृत्व भारत-हित केंद्रित है और यही कारण है कि रूस भारत को एक विश्वसनीय रणनीतिक सहयोगी के रूप में देखता है।
भाग 3 — विश्व के अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
🇮🇹 इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी
- उन्होंने मोदी के नेतृत्व को “साहसी, प्रभावी और दूरदर्शी” बताया।
- उनके अनुसार, भारत–यूरोप संबंध मोदी के कार्यकाल में नई दिशा में आगे बढ़े हैं।
- मेलोनी ने भारत को “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता का प्रमुख स्तंभ” कहा।
🇮🇱 इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू
- उन्होंने मोदी को “विश्वसनीय मित्र” कहा।
- उन्होंने मान्यता दी कि मोदी के नेतृत्व में भारत–इज़राइल संबंध अत्यधिक गहरे हुए।
- विशेषकर रक्षा, कृषि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ने का श्रेय उन्होंने मोदी की सक्रियता को दिया।
🇦🇺 ऑस्ट्रेलिया तथा इंडो–पैसिफिक देशों के नेता
- मोदी की समुद्री और क्षेत्रीय नीति की प्रशंसा की गई।
- उन्हें “क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने वाली प्रभावी आवाज़” कहा गया।
🇺🇸 अमेरिकी विश्लेषकों और प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों की राय
कई विशेषज्ञों ने कहा:
- “मोदी उभरती लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में एक नए नेतृत्व मॉडल का प्रतिनिधित्व करते हैं।”
- “विश्व रणनीति के लिए भारत अपरिहार्य होता जा रहा है।”
ये राय राजनीतिक समर्थन नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक विश्लेषण का हिस्सा मानी जाती है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण
- 2025 के वैश्विक सर्वेक्षण में मोदी सबसे अधिक अनुमोदन (75%) प्राप्त करने वाले विश्व नेताओं में शीर्ष स्थान पर रहे।
- यह भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति और नेतृत्व की स्वीकृति का प्रमाण है।
भाग 4 — मोदी के नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय विशेषताएँ
🔹 स्वतंत्र विदेश नीति
- भारत ने किसी एक समूह या शक्ति-खंड का हिस्सा बने बिना स्वतन्त्र निर्णय लिए।
🔹 रणनीतिक संतुलन
मोदी काल की कूटनीति—
- न केवल पश्चिम की ओर,
- न ही केवल एक क्षेत्रीय धुरी की ओर,
- बल्कि राष्ट्रीय हितों पर आधारित बहुआयामी संपर्क नीति है।
🔹 आर्थिक व तकनीकी सहयोग का विस्तार
भारत ने—
- वैश्विक शिखर सम्मेलनों,
- ऊर्जा सुरक्षा,
- प्रौद्योगिकी निर्माण,
- आपूर्ति शृंखला सुधार,
- स्वच्छ ऊर्जा
जैसे क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाई।
🔹 नेतृत्व की प्रत्यक्ष उपस्थिति
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी का नेतृत्व सक्रिय, संवादात्मक और सार्वजनिक कूटनीति को महत्व देता है, जिससे भारत की पहचान वैश्विक स्तर पर और स्पष्ट हुई है।
भाग 5 — मोदी के नेतृत्व पर वैश्विक प्रतिक्रियाओं का भारत पर प्रभाव
1. रणनीतिक शक्ति के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होना
- विश्वास और स्थिरता भारत के लिए कूटनीतिक लाभ बढ़ाते हैं।
2. प्रमुख राष्ट्रों का भरोसा बढ़ना
- रूस, इटली, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों की टिप्पणियाँ
भारत के नेतृत्व को जवाबदेह और भरोसेमंद बताती हैं।
3. निवेश और प्रौद्योगिकी के अवसर बढ़ना
- वैश्विक विश्वास भारत में निवेश और तकनीकी साझेदारी को प्रोत्साहित करता है।
4. वैश्विक संस्थानों में भारत की भूमिका सुदृढ़ होना
भारत की आवाज़—
- संयुक्त राष्ट्र
- जी–20
- शंघाई सहयोग संगठन
- ब्रिक्स
- इंडो–पैसिफिक मंचों
में अधिक प्रभावशाली हो चुकी है।
भाग 6 — आवश्यक संतुलन
भारतीय नेतृत्व को—
- अमेरिका, चीन और रूस के बीच संतुलन,ऊर्जा सुरक्षा,
- प्रौद्योगिकी नियम,
- क्षेत्रीय अस्थिरता
जैसी चुनौतियों से साथ-साथ निपटना होगा। वैश्विक स्वीकार्यता के साथ ज़िम्मेदारी भी बढ़ती है।
भाग 7 — निष्कर्ष : मोदी के नेतृत्व पर विश्व दृष्टि और भारत का उदय
- विश्व नेताओं की टिप्पणियाँ यह संकेत देती हैं कि मोदी का नेतृत्व—
- स्थिर,
- पूर्वानुमेय,
- दृढ़,
- दृष्टि-संपन्न
- और भरोसेमंद
माना जाता है।
- भारत आज केवल उभरता राष्ट्र नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बनकर सामने आ रहा है।
- विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका और यह नेतृत्व— दोनों मिलकर आने वाले वर्षों में भारत की अंतरराष्ट्रीय दिशा को और गहराई से प्रभावित करेंगे।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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