डीप स्टेट बनाम भारत
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा षड्यंत्र डीप स्टेट द्वारा चलाया जा रहा है। यह कोई नई बात नहीं है। मुख्यमंत्री रहते हुए भी मोदी को हटाने की कोशिशें हुईं, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह षड्यंत्र और भी तेज हो गया है।
- आज स्थिति ऐसी हो चुकी है कि इस खेल में सिर्फ भारत का विपक्ष ही शामिल नहीं है, बल्कि कई विदेशी ताकतें, बड़ी कंपनियां और यहां तक कि अमेरिकी डीप स्टेट भी शामिल हो चुका है। सोशल मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार चर्चा है कि जिस तरह डीप स्टेट ने बांग्लादेश में शेख हसीना को हटाया था, उसी तरह अब उनका निशाना प्रधानमंत्री मोदी हैं।
- डीप स्टेट यानी वे गुप्त ताकतें जिनमें अमेरिकी CIA, बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, और वामपंथी-इस्लामी नेटवर्क शामिल होते हैं। इनका मकसद है — दुनिया में कहीं भी ऐसा राष्ट्रवादी नेतृत्व न उभरे जिसे वे नियंत्रित न कर सकें।
2014 से पहले और बाद की तस्वीर
- भारत में 2014 तक डीप स्टेट और विदेशी NGOs खुलेआम खेल खेल रहे थे। कांग्रेस और विपक्षी दल उनके लिए रास्ता आसान कर देते थे।
- विदेशी NGOs बिना रोक-टोक काम कर रहे थे।
- कॉरपोरेट और लॉबी ग्रुप भारत की नीतियों को प्रभावित करते थे।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में डीप स्टेट की पकड़ बेहद मजबूत थी।
- भारत की सरकारें वैश्विक दबाव में झुक जाती थीं।
लेकिन 2014 के बाद मोदी–शाह–राजनाथ–दोवाल की चौकड़ी ने खेल बदल दिया।
- NGOs पर कड़ी निगरानी रखी गई।
- विदेशी फंडिंग और प्रोपेगेंडा नेटवर्क का गला दबा दिया गया।
- आतंकवाद और अलगाववाद को जड़ से खत्म करने की शुरुआत हुई।
- विपक्ष और कांग्रेस की “महागठबंधन” राजनीति धीरे-धीरे बिखरने लगी।
यानी डीप स्टेट जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में आसानी से अपने मंसूबे पूरे कर लेता था, वही भारत में मोदी सरकार के सामने बुरी तरह नाकाम होने लगा।
भारत पर कब्ज़े का सपना
- डीप स्टेट और अमेरिकी कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता है 140 करोड़ लोगों वाला भारतीय बाजार। वे चाहते हैं कि भारत पूरी तरह उनके नियंत्रण में आ जाए।
- अमेरिका की कंपनियां भारत में डेयरी से लेकर हथियारों तक का व्यापार करना चाहती हैं।
- वे चाहते हैं कि भारत आत्मनिर्भर न बने, बल्कि हमेशा विदेशी आयात पर निर्भर रहे।
- लेकिन मोदी सरकार ने साफ किया — हम वही व्यापार करेंगे जो हमारे हित में होगा।
इसी नीति ने डीप स्टेट और अमेरिकी लॉबी को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई।
ऑपरेशन सिंदूर और डीप स्टेट की बेचैनी
भारत ने जब पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्यवाही की, तब अमेरिका और डीप स्टेट पूरी तरह हिल गए।
- पाकिस्तान, जो हमेशा अमेरिका की गोद में बैठा रहता था, भारत ने उसकी रीढ़ तोड़ दी।
- अमेरिकी F-16 तक को भारत ने नष्ट कर दिया।
- पाकिस्तान का नूर एयर-बेस तबाह कर दिया जहां उसके परमाणु हथियार रखे हुए थे
- पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग कर दिया गया।
यही वह मोड़ था जब डीप स्टेट को समझ आ गया कि मोदी नेतृत्व में भारत सिर्फ रक्षात्मक नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति का आक्रामक खिलाड़ी बनेगा।
वैश्विक कूटनीति में मोदी का उदय
- मोदी सरकार की सबसे बड़ी ताकत उनकी रणनीतिक कूटनीति है।
- मोदी ने G-20, BRICS, QUAD, SCO और UN Security Council जैसे मंचों पर भारत की आवाज बुलंद की।
- रूस, अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों और एशियाई देशों के साथ संबंधों को नए स्तर पर पहुंचाया।
- सबसे बड़ी बात — मोदी ने किसी एक गुट की तरफ झुकाव नहीं दिखाया, बल्कि पूरी तरह तटस्थ रहते हुए भारत–प्रथम नीति अपनाई।
- यानी, मोदी किसी की कठपुतली नहीं हैं। यही डीप स्टेट और पश्चिमी ताकतों की सबसे बड़ी समस्या है।
विपक्ष की गिरती हालत
- डीप स्टेट के लिए भारत में विपक्ष और कांग्रेस सबसे आसान औजार थे। लेकिन मोदी सरकार ने रणनीतिक तरीके से उनकी कमर तोड़ दी।
- महागठबंधन का बिखराव तेज़ी से हो रहा है।
- विपक्ष विदेशी ताकतों की भाषा बोलने के कारण जनता के बीच और कमजोर हो रहा है।
- कांग्रेस का पतन इतना तेज हो चुका है कि अब वह क्षेत्रीय दलों पर निर्भर है।
यानी, अंदर से विपक्ष बिखर रहा है और बाहर से डीप स्टेट कमजोर पड़ रहा है।
मोदी का चेतावनी भरा संदेश
कुछ समय पहले मोदी ने खुद कहा था —
- “मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।“
यह सिर्फ एक बयान नहीं था, बल्कि दुनिया को दिया गया एक संदेश था कि मोदी हर साजिश से वाकिफ हैं और हर कीमत पर भारत के हितों की रक्षा करेंगे।
निष्कर्ष — डीप स्टेट बनाम भारत
डीप स्टेट की ताकतें आज भारत में पूरी कोशिश कर रही हैं कि मोदी सरकार को हटाया जाए। लेकिन फर्क यह है कि:
- 2014 से पहले भारत में उनका खेल चलता था।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश में वे कामयाब हुए क्योंकि वहां मोदी जैसा नेतृत्व नहीं था।
- लेकिन आज भारत में मोदी–शाह–राजनाथ–दोवाल जैसी अजेय टीम है।
- मोदी की रणनीति, दृष्टि और वैश्विक कूटनीति डीप स्टेट के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
- यही कारण है कि डीप स्टेट और विदेशी ताकतें पूरी तरह बौखलाई हुई हैं। लेकिन मोदी के शांत, संयमित और रणनीतिक नेतृत्व के चलते वे अपने मंसूबों में नाकाम रहेंगे।
भारत आने वाले वर्षों में न सिर्फ इन षड्यंत्रों को नाकाम करेगा बल्कि विश्व की टॉप-3 महाशक्तियों में अपना स्थान बनाएगा।
✅ यही वह सत्य है जिसे हर भारतीय को समझना चाहिए। यह केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि भारत के अस्तित्व और आत्मनिर्भरता की लड़ाई है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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