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अमित शाह

नक्सलवाद पर बड़ा वार: अमित शाह की रणनीति का असर

नारायणपुर और दंतेवाड़ा में 36 नक्सलियों का आत्मसमर्पण | 2025 में अब तक 423 नक्सली हथियार छोड़ चुके

भारत आज जिन प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है, उनमें कट्टरपंथी जिहाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, वामपंथीप्रेरित उग्रवाद और वामपंथी विचारधारा की विघटनकारी राजनीति शामिल हैं। ये ताकतें भारत की शांति, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता को गंभीर रूप से चुनौती दे रही हैं।

इस संदर्भ में, नक्सलवाद एक ऐसा संकट है जिसने वर्षों तक देश के कई हिस्सों को हिंसा, डर और विकास से वंचित जीवन में झोंक दिया। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली BJP/NDA सरकार ने इस चुनौती के खिलाफ निर्णायक अभियान छेड़ दिया है — और इसके सकारात्मक परिणाम अब ज़मीन पर दिखाई देने लगे हैं।

अमित शाह की घोषणा के बाद नक्सलियों का बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण

हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दंतेवाड़ा दौरे में घोषणा की थी कि जो गांव नक्सलमुक्त घोषित होंगे, उन्हें केंद्र सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की विशेष विकास निधि प्रदान की जाएगी। इस घोषणा के 48 घंटे के भीतर, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों में कुल 36 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया — यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार की नीति जमीनी स्तर पर प्रभावी हो रही है।

नारायणपुर में 5 महिला नक्सलियों का आत्मसमर्पण

नेलनारकुतुल क्षेत्र में सक्रिय पांच महिला नक्सली, जिन पर प्रत्येक पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था, अब हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट आई हैं। पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में बढ़ते पुलिस कैंप, सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई और विकास योजनाओं की पहुंच ने इन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।

दंतेवाड़ा में 31 नक्सलियों ने छोड़ी हिंसा की राह

दंतेवाड़ा में 31 नक्सलियों, जिनमें कई जन मिलिशिया सदस्य शामिल थे, ने आत्मसमर्पण किया। ये सभी लंबे समय से संगठन के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने हिंसा छोड़कर रोजगार, पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन की राह चुनी है।

नक्सलियों द्वारा आदिवासियों का शोषण: एक चिंताजनक पहलू

  • नक्सली केवल हथियार नहीं उठाते, वे आदिवासी युवाओं और बच्चों को भी आतंक के दलदल में धकेलते हैं:
  • 9-15 वर्ष की आयु के बच्चों को गुरिल्ला युद्ध, हथियार चलाने, पुलिस पर हमले, बारूदी सुरंग बिछाने और जंगल में छिपने की ट्रेनिंग दी जाती है।

हाल में मिले नक्सली दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि बच्चों को मानव ढाल और आत्मघाती हमलों के लिए प्रयोग किया जा रहा है।

सरकार की नीति अब सिर्फ सुरक्षा नहीं, मानवाधिकार संरक्षण और पुनर्वास की भी है।

अमित शाह की रणनीति: “विकास के माध्यम से शांति

गृह मंत्री ने स्पष्ट किया है कि नक्सलवाद केवल हथियारों से नहीं, बल्कि विकास और सामाजिक न्याय से खत्म होगा:

  • नक्सलमुक्त गांवों को 1 करोड़ रुपये की विकास निधि
  • आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए पुनर्वास और रोजगार योजना
  • आदिवासी युवाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार प्रशिक्षण

यह रणनीति दिखा रही है कि जहाँ वामपंथी विचारधारा असंतोष और हिंसा को जन्म देती है, वहीं राष्ट्रवादी नीति विकास और समरसता को बढ़ावा देती है।

2025: आत्मसमर्पणों की ऐतिहासिक लहर

वर्ष 2025 के केवल चार महीनों में ही 423 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है — यह पिछले वर्षों की तुलना में अभूतपूर्व आंकड़ा है। यह इस बात का प्रमाण है कि BJP/NDA सरकार की सुरक्षा + विकास + पुनर्वासरणनीति सफल हो रही है।

भारत की सुरक्षा नीति: जिहाद, वामपंथ और उग्रवाद के विरुद्ध निर्णायक रुख

भारत को आज उन ताकतों से खतरा है जो:

  • धार्मिक कट्टरता (जिहाद) के नाम पर समाज को विभाजित करती हैं,
  • आतंकवाद को प्रोत्साहन देती हैं,
  • नक्सलवाद और वामपंथी सोच के जरिए देश के युवाओं को भ्रमित करती हैं।

BJP/NDA सरकार ने इन सबके खिलाफ स्पष्ट और निर्णायक युद्ध छेड़ा है, जिसमें नक्सलवाद के विरुद्ध उठाए गए कदम सफलता की मिसाल बन रहे हैं।

भारत की ओर लौटता विश्वास

नारायणपुर और दंतेवाड़ा में हुए ताज़ा आत्मसमर्पण यह दिखाते हैं कि भारत अब न केवल आतंक और हिंसा से उबर रहा है, बल्कि एक सशक्त, सुरक्षित और एकजुट राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहा है।

BJP/NDA की नीति भारत को वामपंथी उग्रवाद, जिहादी आतंक और नक्सलवाद जैसे खतरे से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। अगर यह रफ्तार बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल नक्सलमुक्त बल्कि विचारधारा-शुद्ध और सुरक्षित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪

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