1. प्रस्तावना — इतिहास फिर खुद को दोहरा रहा है
इतिहास ने कई बार अत्याचार और हिंसा के रूप देखे हैं।
- हिटलर का नाज़ीवाद और इस्लामी कट्टरवाद दोनों एक जैसी मानसिकता से जन्मे — घृणा, विस्तारवाद और असहिष्णुता से भरे हुए।
- नाज़ी यहूदियों का संहार करना चाहते थे, जबकि कट्टर इस्लामी गैर-मुसलमानों का।
- दोनों ही विचारधाराएँ व्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलती हैं और भय को शासन का आधार बनाती हैं।
- आज वही मानसिकता नए रूप में — “सेक्युलरिज़्म”, “अल्पसंख्यक अधिकार” और “लिबरलिज़्म” की आड़ में — फिर लौट आई है।
- यह छिपा हुआ वैचारिक युद्ध अब हमारे समाज, शिक्षा और राजनीति में घुस चुका है।
- नाजीवाद ने सिर्फ यूरोप को ही प्रभावित किया परंतु इस्लामी कट्टरवाद पूरी दुनिया को खतरे मैं डाल रहा है।
2. समान विचारधारा — नियंत्रण, डर और वर्चस्व
- असहमति के प्रति असहिष्णुता:
नाज़ीवाद और कट्टर इस्लाम दोनों ही प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं देते। असहमति को देशद्रोह या कुफ्र मान लिया जाता है। - श्रेष्ठता का अहंकार:
नाज़ी यूरोप पर “आर्य श्रेष्ठता” के नाम पर राज करना चाहते थे, जबकि कट्टर इस्लाम “धार्मिक श्रेष्ठता” के नाम पर पूरी दुनिया को अपने अधीन देखना चाहता है। - प्रचार और ब्रेनवॉश:
नाज़ी बच्चों को स्कूलों और रैलियों में झूठ सिखाते थे, तो जिहादी मदरसों में नफ़रत की शिक्षा देते हैं। - महिलाओं की अधीनता:
दोनों विचारधाराओं में महिलाएँ मात्र आज्ञाकारी और प्रजनन की वस्तु मानी जाती हैं। - हिंसा का पवित्रीकरण:
दोनों ही प्रणालियों में “दूसरे” को मारना या दंड देना एक पवित्र कार्य माना जाता है।
इन समानताओं को नज़रअंदाज़ करना आत्मघाती होगा। जब अच्छे लोग चुप रहते हैं, तब बुराई और अधिक ताकतवर बन जाती है।
3. भारत में आधुनिक प्रतिबिंब — एक नया वैचारिक युद्ध
- आज भारत एक नए वैचारिक युद्ध से गुजर रहा है।
- विदेशी ताकतों द्वारा पोषित इस्लामी नेटवर्क, विपक्षी दलों के समर्थन से समाज को बाँटने की साज़िश कर रहे हैं।
- कांग्रेस और ठगबंधन ने “सेक्युलरिज़्म” को एक हथियार बना दिया है —
> मुसलमानों का तुष्टिकरण,
> हिंदुओं का मज़ाक उड़ाना,
> राष्ट्रीय एकता को तोड़ना।
> CAA-NRC का विरोध, रोहिंग्या और अवैध घुसपैठियों का समर्थन
ये सब उसी साजिश का हिस्सा हैं।
तमिलनाडु में नया षड्यंत्र
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाल ही में स्कूल पाठ्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं को शामिल करने की बात कही।
- यह शिक्षा नहीं, बल्कि धार्मिक दखल है।
- स्टालिन की लंबे समय से चली आ रही “एंटी-हिंदी और एंटी-हिंदू” सोच अब खुलकर सामने आ चुकी है।
- वे हिंदुओं को भाषा और क्षेत्र के नाम पर बाँटते हैं और मुसलमानों को खुश कर सत्ता बचाते हैं।
यह केवल राजनीति नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति पर सुनियोजित हमला है।
4. सनातनी समाज की खतरनाक चुप्पी
हिंदुओं ने लंबे समय से अपने धर्म, देवी-देवताओं और परंपराओं पर हमलों को चुपचाप सहन किया है।
मंदिरों पर नियंत्रण, त्योहारों पर प्रतिबंध, देवी-देवताओं का अपमान —
हर बार हिंदू समाज ने “शांति” के नाम पर सब कुछ झेल लिया।
👉 यह चुप्पी अब कमजोरी मानी जाने लगी है।
👉 विरोधी अब और अधिक आक्रामक हो गए हैं।
अब सवाल है — क्या सनातनी समाज जागेगा?
- क्या हम सब मिलकर, एकजुट होकर अपने धर्म, संस्कृति और देश की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएँगे?
- अगर अभी नहीं, तो कब?
5. कांग्रेस और ठगबंधन — पाखंड की पराकाष्ठा
- वही कांग्रेस जो कभी आपातकाल लगाकर संविधान को कुचल चुकी है,
आज “संविधान बचाओ” का नारा लगा रही है। - इन लोगों ने दर्जनों संवैधानिक संशोधन कर केवल मुसलमानों को खुश करने और हिंदू बहुसंख्यक समाज को कमजोर करने का काम किया।
- दशकों तक देश को भ्रष्टाचार, घोटालों और लूट से लहूलुहान करने वाले यही लोग आज मोदी सरकार पर “तानाशाही” का आरोप लगाते हैं।
👉 यह वही मानसिकता है जो देश की प्रगति नहीं देख सकती।
👉 उनकी सत्ता चली गई, तो अब वे विदेशी शक्तियों से मिलकर भारत को अस्थिर करने में लगे हैं।
6. मोदी युग — ईमानदारी, विकास और वैश्विक सम्मान
पिछले ग्यारह वर्षों में भारत ने जो प्रगति की है, वह अद्वितीय है —
- कोई घोटाला नहीं।
- ऐतिहासिक इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल क्रांति और रक्षा सशक्तिकरण।
- भारत आज विश्व मंच पर आत्मविश्वास से खड़ा है — “वैश्विक दक्षिण” की आवाज़ बन चुका है।
- लेकिन यह सफलता कांग्रेस और ठगबंधन को मंज़ूर नहीं।
- वे सोशल मीडिया, प्रोपेगेंडा और फर्जी नैरेटिव के ज़रिए मोदी सरकार को बदनाम करने की साज़िश रचते हैं।
परंतु सत्य को दबाया नहीं जा सकता।
- भारत की जनता अब जाग चुकी है और तुलना कर चुकी है
- 70 साल के अंधकार और 11 साल के उजाले के बीच का फर्क साफ़ दिखता है।
7. एकता का आह्वान — धर्म की रक्षा ही राष्ट्र की रक्षा
- अब समय आ गया है कि हिंदू समाज जाति, भाषा और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर एक हो।
- हर सनातनी — चाहे साधु हो या नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता हो या राजनेता — सभी को अपने आराम क्षेत्र से बाहर आकर धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए संगठित होना होगा।
- जब हिंदू एकजुट होते हैं, तो कोई शक्ति उन्हें हरा नहीं सकती।
- हमें मराठों, राजपूतों और उन सभी वीरों जैसी भावना फिर जगानी होगी जिन्होंने धर्म के लिए प्राण दिए।
👉 हमारी सहनशीलता कमजोरी नहीं है,
👉 हमारी चुप्पी समर्पण नहीं है।
दुश्मनों को यह संदेश स्पष्ट सुनना चाहिए
- धर्मरक्षक अब जाग चुके हैं, एकजुट हैं, और अजेय हैं।
8. देशविरोधी तंत्र के लिए अंतिम चेतावनी
इतिहास सिखाता है कि जब अच्छे लोग चुप रहते हैं, तो बुराई सिर उठाती है।
- आज भारत भी उसी मोड़ पर है
- या तो हम एकजुट होकर जवाब दें,
- या अपने ही हाथों अपनी सभ्यता को खो दें।
अब समय है निर्णायक कदम उठाने का
- मोदी सरकार और राष्ट्रवादी शक्तियों का साथ देकर भारत को और मज़बूत करने का।
- कांग्रेस और ठगबंधन जैसे राष्ट्रविरोधी समूहों को सत्ता और समाज दोनों से बाहर का रास्ता दिखाने का।
एकजुटता और दृढ़ संकल्प के साथ
- भारत अवश्य ही विश्व की शीर्ष 3 महाशक्तियों में पहुंचेगा
- धर्म, शक्ति और ज्ञान से विश्व का मार्गदर्शन करेगा।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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