जवाहरलाल नेहरू का यह कथन—
“शिक्षा से मैं एक अंग्रेज हूं, विचारों से एक अंतरराष्ट्रीयवादी, संस्कृति से एक मुस्लिम और जन्म से एक हिंदू मात्र हूं।“
—सिर्फ एक बयान नहीं था। उनके शासनकाल और उनके बाद के कांग्रेस सरकारों के कार्यों ने बार-बार साबित किया कि मुस्लिम तुष्टीकरण उनकी प्राथमिकता थी, वह भी हिंदुओं के अधिकारों की कीमत पर।
नेहरू-गांधी परिवार ने हिंदू हितों की लगातार उपेक्षा की, ताकि वे अपने वोट बैंक की राजनीति को जारी रख सकें। तथाकथित “धर्मनिरपेक्षता” का इस्तेमाल केवल हिंदुओं को हाशिये पर धकेलने के लिए किया गया।
लेकिन अब समय बदल गया है।
✅ हिंदू जाग चुके हैं।
✅ वे मजबूती से मोदी का समर्थन कर रहे हैं।
✅ अब हिंदुओं के साथ हुआ अन्याय समाप्त होगा।
1. नेहरू के हिंदू–विरोधी फैसले: तुष्टीकरण की नींव
क. सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का विरोध (1951)
स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की पहल की थी, जिसे महमूद ग़ज़नवी ने नष्ट कर दिया था। लेकिन नेहरू ने इस पर कड़ा विरोध जताया, यह कहते हुए कि इससे “मुस्लिम भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।”
✅ मोदी सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किया और राम मंदिर का निर्माण पूरा किया।
ख. धारा 370 और कश्मीरी हिंदुओं के साथ विश्वासघात
नेहरू द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने का निर्णय 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का कारण बना।
✅ मोदी ने 2019 में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर कश्मीर को भारत के साथ पूरी तरह जोड़ा।
2. इंदिरा गांधी की मुस्लिम तुष्टीकरण राजनीति (1966-1984)
क. “धर्मनिरपेक्षता” का मतलब केवल हिंदुओं पर लागू करना
1976 में इंदिरा गांधी ने संविधान में “धर्मनिरपेक्ष“ शब्द जोड़ा, लेकिन यह केवल हिंदुओं को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
✅ मोदी सरकार सच्ची समानता की ओर बढ़ रही है और हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का प्रयास कर रही है।
ख. बांग्लादेश युद्ध के बाद हिंदुओं की अनदेखी (1971)
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद इंदिरा गांधी ने वहां के हिंदुओं के लिए कोई सुरक्षा उपाय सुनिश्चित नहीं किए। वे आज भी वहां सताए जा रहे हैं, जबकि भारत में अवैध मुस्लिम घुसपैठियों को बसाया गया।
✅ मोदी सरकार ने CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) लागू किया, जिससे पीड़ित हिंदुओं को नागरिकता दी जा सके।
3. राजीव गांधी की दोहरी नीति (1984-1991)
क. शाह बानो केस (1985): मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे झुकना
राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के शाह बानो फैसले को पलट दिया और मुस्लिम महिलाओं को न्याय से वंचित कर दिया।
✅ मोदी सरकार ने 2019 में ट्रिपल तलाक को समाप्त कर मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाया।
ख. बाबरी मस्जिद का ताला खोलना – एक दिखावटी कदम (1986)
राजीव गांधी ने 1986 में बाबरी मस्जिद का ताला तो खुलवाया, लेकिन मंदिर निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
✅ मोदी सरकार ने 2024 में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा किया।
4. सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की हिंदू–विरोधी नीतियां (2004-2014)
क. “देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है” – मनमोहन सिंह (2006)
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा कि “देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।“
✅ मोदी सरकार की योजनाएं (उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत) सभी के लिए समान रूप से लागू होती हैं।
ख. अमरनाथ यात्रियों को जमीन देने से इनकार (2008)
कांग्रेस सरकार ने अमरनाथ यात्रियों के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया, जबकि मस्जिदों और मदरसों को जमीन बांटी।
✅ मोदी सरकार ने हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाईं।
ग. रोहिंग्या घुसपैठियों को हिंदू क्षेत्रों में बसाना
कांग्रेस सरकार ने अवैध रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को हिंदू बहुल इलाकों में बसाया, जिससे हिंदुओं की सुरक्षा को खतरा हुआ।
✅ मोदी सरकार अब रोहिंग्या घुसपैठियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में है।
अब हिंदू जाग चुके हैं: शेष अन्याय भी जल्द समाप्त होगा
कांग्रेस ने हिंदुओं को हाशिये पर डालने की पूरी कोशिश की, लेकिन अब वे अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए एकजुट हो चुके हैं।
वो कहते थे:
🚫 “मोदी इस जन्म में धारा 370 नहीं हटा पाएंगे!” – 2019 में हटा दिया
🚫 “मोदी इस जन्म में राम मंदिर नहीं बना पाएंगे!” – 2024 में राम मंदिर बन गया
🚫 “मोदी मुस्लिम तुष्टीकरण रोक नहीं पाएंगे!” – CAA और UCC के जरिए रोक रहे हैं
✅ अब हिंदू पूरी तरह जाग चुके हैं और मोदी के साथ मजबूती से खड़े हैं।
✅ अब कोई भी हिंदुओं के खिलाफ अन्याय नहीं कर पाएगा।
✅ अब भारत में तुष्टीकरण की राजनीति का अंत होगा।