नेहरू-गांधी वंश
⚠️ 1. विभाजन का अन्याय: जन्म से ही धोखा
- 1947 में भारत का विभाजन पूरी तरह धार्मिक आधार पर हुआ — मुसलमानों को पाकिस्तान मिला और हिंदुओं को एक टूटा हुआ भारत, फिर भी गांधी और नेहरू ने मुसलमानों को भारत में रोकने पर ज़ोर दिया, यह कहते हुए कि “वे हमारे भाई हैं,” जबकि वे पहले ही एक अलग देश की माँग कर चुके थे।
- लाखों हिंदू मारे गए, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, वे उजड़ गए — लेकिन नेहरू ने उनके पुनर्वास की बजाय “सांप्रदायिक सौहार्द्र” की अपील की — न्याय और रणनीति की कीमत पर।
- यहीं से शुरू हुई वोटबैंक राजनीति — मुसलमानों को एक स्थायी राजनीतिक संपत्ति के रूप में पाला गया।
🧨 2. हिंदू शरणार्थियों की उपेक्षा
करोड़ों हिंदू, जिन्हें पाकिस्तान से भगाया गया, वे बेसहारा, बेघर और बेरोज़गार हो गए।
- उन्हें न तो समुचित पुनर्वास मिला, न ज़मीन, न नौकरी, न शिक्षा।
- इसके विपरीत, बांग्लादेश और पाकिस्तान से मुस्लिम घुसपैठियों को धीरे-धीरे दस्तावेज़, वोटर आईडी और सरकारी योजनाएँ दी गईं — सिर्फ वोटबैंक के लिए।
- CAA (2019) को लाने में 70 साल लग गए — यह खुद इस बात का प्रमाण है कि हिंदू पीड़ितों को कैसे भूला दिया गया।
🕌 3. संस्थागत मुस्लिम तुष्टिकरण
नेहरू ने तुष्टिकरण को संस्थागत रूप दिया:
- वक़्फ़ बोर्डों को लाखों एकड़ ज़मीन और कानूनी स्वतंत्रता दी गई।
- हज सब्सिडी दशकों तक जनता के टैक्स से दी जाती रही।
- अल्पसंख्यक मंत्रालय, उर्दू अकादमियाँ, AMU का अल्पसंख्यक दर्जा — ये सब मुस्लिम पहचान की राजनीति को मज़बूत करने के औज़ार बने।
- वहीं दूसरी ओर:
- हिंदू मंदिर सरकार के नियंत्रण में लिए गए।
- किसी मस्जिद या चर्च पर ऐसा नियंत्रण नहीं।
- हिंदू धर्मशास्त्र, संस्कृत शिक्षण और वेद–विज्ञान का उपहास किया गया और उन्हें धन से वंचित रखा गया।
⚔️ 4. कश्मीर संकट: आत्मसमर्पण, न कि रणनीति
- नेहरू ने कश्मीर को धारा 370 का विशेष दर्जा देकर मुस्लिम बहुल क्षेत्र को अलग बना दिया — सरदार पटेल की चेतावनी के बावजूद।
- उन्होंने कश्मीर मुद्दे को UN में ले जाकर भारत की आंतरिक समस्या को अंतरराष्ट्रीय बना दिया।
- शेख अब्दुल्ला जैसे पाकिस्तान समर्थक नेताओं को बरसों तक सहन किया गया।
- कांग्रेस ने कभी कश्मीर को पूरी तरह एकीकृत नहीं किया — 2019 में भाजपा को धारा 370 हटाकर यह कार्य पूरा करना पड़ा।
📜 5. एक देश, दो कानून — समान नागरिक संहिता से विश्वासघात
- नेहरू ने हिंदू पर्सनल लॉ में सुधार किए — बहुपत्नी प्रथा समाप्त, विधवा विवाह को समर्थन, महिलाओं को संपत्ति में अधिकार आदि।
- लेकिन उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ को छूने से इंकार कर दिया — वोटबैंक के डर से।
- नतीजा — मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक, बहुपत्नी प्रथा, हलाला जैसी अमानवीय प्रथाएँ चलती रहीं।
- यह कानून में दोहरापन भारत की एकता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं के साथ धोखा था।
📉 6. जनसांख्यिकीय विस्फोट पर जानबूझकर चुप्पी
- कांग्रेस सरकारों ने परिवार नियोजन का आक्रामक प्रचार किया — लेकिन केवल हिंदुओं के लिए।
- मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के नाम पर छूट दी गई।
- आज बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, केरल और बिहार के कई ज़िलों में मुस्लिम जनसंख्या 40%+ से अधिक हो चुकी है — जो राजनीतिक और सांप्रदायिक दबाव क्षेत्रों में बदल चुकी है।
- जनसांख्यिकीय संतुलन की कोई चिंता नहीं — बस एक दीर्घकालिक योजना थी वोटबैंक तैयार करने की।
🧠 आज क्यों जरूरी है यह जानना?
- यह सब दुर्घटनाएँ नहीं थीं — यह था हिंदू समाज को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का षड्यंत्र।
- नेहरू-गांधी परिवार ने तुष्टिकरण की संरचना तैयार की, अल्पसंख्यक पक्षपात को संस्थागत रूप दिया, और हर दंगे, विवाद या घटना के लिए हिंदुओं को दोषी ठहराया।
- भारत का “धर्मनिरपेक्षता” का मॉडल एकतरफा था — और हिंदू विरोधी मानसिकता का औजार बन गया।
- और हम हिंदुओं को दशकों तक सेकुलरिसम और जाती के आधार पर बेवकूफ बनाया गया।
✊ हर हिंदू के लिए आह्वान: जागो और सच्चाई को जानो
यह केवल नीति की विफलता नहीं, बल्कि सभ्यता का विश्वासघात था।
यह बहुत जरूरी है कि आज का हिंदू समाज:
- इतिहास पढ़े और सच्चाई को समझे।
- भावनाओं से नहीं, विवेक से वोट करे।
- वंशवादी राजनीति, झूठे सेक्युलरिज़्म और तुष्टिकरण को अस्वीकार करे।
- एक दृढ़ राष्ट्रवादी नेतृत्व का समर्थन करे, जो धर्म, राष्ट्र और न्याय की रक्षा करे।
🔚 अब और मूकदर्शक नहीं बन सकते हम
🇮🇳 अब समय आ गया है कि हम भारत को केवल एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक सनातन सभ्यता के रूप में पुनर्स्थापित करें।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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