नेहरूवादी विचारधारा: एक विश्वासघात की शुरुआत
भारत एक गहरे सभ्यतागत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। दशकों तक थोपे गए नेहरूवादी विचारों और सांस्कृतिक पतन के बीच अब सनातन मूल्यों की पुनः स्थापना हो रही है। यह लेख उसी परिवर्तन की पड़ताल करता है—जहां विश्वासघात के गर्भ से जागरण जन्म लेता है।
I. स्वतंत्रता, लेकिन किस कीमत पर?
1947 में भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता मिली, लेकिन इसके साथ ही एक गहरा सभ्यतागत विश्वासघात भी हुआ—जिसमें सच्चे देशभक्तों को दरकिनार किया गया और हिंदुओं के अधिकारों, सुरक्षा और भविष्य से समझौता किया गया।
❗ विश्वासघात #1: सच्चे देशभक्तों का दमन
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने आज़ाद हिंद फौज के माध्यम से ब्रिटिशों को सैन्य चुनौती दी, उन्हें राष्ट्रीय स्मृति से मिटा दिया गया।
- वीर सावरकर, जिन्होंने हिंदुत्व की अवधारणा प्रस्तुत की और तुष्टिकरण की राजनीति का विरोध किया, उन्हें “सांप्रदायिक खतरे” के रूप में बदनाम किया गया।
- राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं को राजनीतिक क्षेत्र से बाहर कर दिया गया, जबकि सत्ता-लोलुप नेहरू–गांधी वंश ने स्वतंत्र भारत के नेतृत्व को हड़प लिया।
❗ विश्वासघात #2: विभाजन और कांग्रेस का धोखा
- विभाजन जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत पर आधारित था: हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं और एक साथ नहीं रह सकते।
- पाकिस्तान (पश्चिम और पूर्व) को एक इस्लामी राज्य के रूप में बनाया गया, यह मानते हुए कि सभी भारतीय मुस्लिम वहां चले जाएंगे।
- लेकिन नेहरू ने लाखों मुस्लिमों को भारत में रहने की अनुमति दी, और इससे भी बुरा—उन्हें वोट–बैंक के लिए प्रोत्साहित किया।
- पाकिस्तान जाने वाले मुस्लिमों द्वारा छोड़ी गई भूमि और संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड को सौंप दी गईं, हिंदू शरणार्थियों को नहीं।
- इसके विपरीत, पाकिस्तान और पूर्वी बंगाल से आए हिंदू शरणार्थियों को बहुत कम समर्थन मिला, और उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया।
⚖️ II. कैसे नेहरू को थोपा गया और भारत को नुकसान हुआ
- स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के आंतरिक चुनाव में, सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनने के लिए सर्वाधिक वोट मिले।
- महात्मा गांधी ने भावनात्मक दबाव में आकर नेहरू को पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
इस एक निर्णय ने राष्ट्र को भारी नुकसान पहुँचाया:
- सरदार पटेल, जिन्होंने 562 रियासतों का एकीकरण किया और राष्ट्रीय सुरक्षा की स्पष्ट दृष्टि रखी, उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
- नेहरू ने राष्ट्रीय सुरक्षा की उपेक्षा की, अलगाववादियों को प्रोत्साहित किया, और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नींव रखी।
☪️ III. कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदू विरोधी कार्यों का लंबा इतिहास
1947 से 2014 तक, कांग्रेस की प्रणाली—वामपंथियों, एनजीओ और विदेशी वित्तपोषित थिंक टैंकों द्वारा समर्थित—ने एक सुसंगत पैटर्न का पालन किया:
📜 संविधान का तुष्टिकरण के लिए दुरुपयोग
- अनुच्छेद 370 ने कश्मीर—एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र—को विशेष दर्जा दिया।
- अनुच्छेद 35A ने कश्मीरी मुस्लिमों को गैर-कश्मीरियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करने की अनुमति दी।
- वक्फ बोर्डों को भूमि हड़पने की शक्ति दी गई, जबकि हिंदू मंदिरों को राज्य सरकारों द्वारा अधिग्रहित किया गया।
- हज सब्सिडी करदाताओं द्वारा वित्तपोषित की गई, लेकिन अमरनाथ यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया गया।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम हिंदू-प्रबंधित स्कूलों पर लागू किया गया, लेकिन मदरसे और ईसाई स्कूलों को छूट दी गई।
🧨 नीतियों के माध्यम से इस्लामीकरण को प्रायोजित करना
- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को असम, बंगाल और दिल्ली में यूपीए शासन के दौरान बसाया गया।
- अवैध धर्मांतरण और विदेशी वित्तपोषित एनजीओ को खुली छूट दी गई।
- यूपीए-1 में, पीएम मनमोहन सिंह ने कुख्यात रूप से घोषणा की:
- “अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों, को राष्ट्रीय संसाधनों पर पहला अधिकार होना चाहिए।”
🔪 हिंदू नरसंहार पर आंखें मूंद लेना
- 1990 में 5 लाख कश्मीरी पंडितों का पलायन नजरअंदाज किया गया।
- गोधरा (2002), भागलपुर (1989), और नेली (1983) जैसे हिंदू विरोधी दंगों में कोई न्याय नहीं मिला।
- हिंदू संतों को झूठे “भगवा आतंक” मामलों में गलत तरीके से जेल में डाला गया (जैसे, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद)—यह यूपीए की एक कल्पना थी।
🔥 IV. 1993 मुंबई बम धमाके – कांग्रेस की मिलीभगत का एक मामला अध्ययन
- 12 मार्च 1993 को, मुंबई में श्रृंखलाबद्ध बम धमाके हुए।
- 13 बम, 257 मौतें, 1400 घायल—दाऊद इब्राहिम द्वारा आईएसआई के समर्थन से किया गया एक सुनियोजित जिहादी हमला।
- 40 टन आरडीएक्स, 2000 ग्रेनेड, और 100+ एके-47 तीन जहाजों: बिस्मिल्लाह, अल–सदाबहार, और मरवान के माध्यम से तस्करी की गई।
- ये जहाज गुजरात के बंदरगाहों पर तब पहुंचे जब केंद्र, महाराष्ट्र और गुजरात में कांग्रेस का शासन था।
मुख्य तथ्य:
- गुजरात कांग्रेस नेता मोहम्मद सुर्ती, उस समय के परिवहन मंत्री, ने आरडीएक्स के परिवहन को सुविधाजनक बनाया। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
- पंजुमियान बुखारी, कांग्रेस से जुड़े व्यवसायी, ने आयात लाइसेंस का उपयोग करके हथियारों की तस्करी की।
- कपिल सिब्बल, कांग्रेस के शीर्ष वकील, ने आरोपियों की जमानत और क्षमा के लिए पैरवी की।
यह एक अलग घटना नहीं थी—इसने दिखाया कि कांग्रेस–नेतृत्व वाली सरकारों ने सत्ता के लिए आतंकवादी गतिविधियों को नजरअंदाज किया या उन्हें सुविधाजनक बनाया।
🛕 V. 2014: नरेंद्र मोदी का उदय – धर्म की वापसी
2014 का चुनाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सभ्यतागत था। मोदीजी की जीत के साथ, भारत ने राष्ट्र रक्षा और सनातन उदय के एक नए चरण में प्रवेश किया:
🇮🇳 प्रमुख सुधार और उपलब्धियाँ
- अनुच्छेद 370 का निरसन – कश्मीर का पूर्ण एकीकरण।
- सीएए – सताए गए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई शरणार्थियों को राहत।
- तीन तलाक समाप्त – मुस्लिम महिलाओं को न्याय।
- वन रैंक, वन पेंशन – सशस्त्र बलों की लंबे समय से लंबित मांग का समाधान।
- राम मंदिर निर्माण – 500 साल पुराना सभ्यतागत घाव भरा।
🛡️ रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा
- स्वदेशी रक्षा निर्माण: तेजस, ब्रह्मोस, अग्नि, और आईएनएस विक्रांत।
- सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर – निर्णायक, सशक्त विदेश नीति।
- अंतरराष्ट्रीय सम्मान: G20 अध्यक्षता, क्वाड सदस्यता, मध्य पूर्व कूटनीति। वीटो पावर के साथ UN की स्थायी सदस्यता।
📈 आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण
- भारत अब 4थी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है (जल्द ही तीसरी होगी)।
- स्टार्ट-अप बूम, डिजिटल क्रांति, एआई और चिप निर्माण।
- वैश्विक हिंदू चेतना का उदय – प्रवासी से लेकर घरेलू जागरूकता तक।
🧠 VI. हर हिंदू और सनातनी भारतीय के लिए सबक
📚 हमें क्या समझना चाहिए:
- कांग्रेस ने वोटों के लिए हिंदू हितों को बेचा।
- विभाजन पहला विश्वासघात था; 1947 के बाद की नीतियाँ दूसरा।
- इस्लामीकरण कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि एक रणनीति थी।
- धर्मनिरपेक्षता को केवल हिंदुओं पर लागू किया गया।
📢 हमें क्या करना चाहिए:
- युवाओं को वास्तविक इतिहास के बारे में शिक्षित करें—कांग्रेस द्वारा लिखे गए झूठ नहीं।
- जाति, क्षेत्र और भाषा से परे एकजुट हों।
- राष्ट्रविरोधी मीडिया, एनजीओ और बुद्धिजीवियों का बहिष्कार करें।
- नरेंद्र मोदी जैसे राष्ट्रवादी और सनातनी नेताओं का समर्थन करें।
- एक सच्चे हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग करें।
🚩लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है
- हमें अतीत के विश्वासघातों को याद रखना होगा,
- वर्तमान के गद्दारों को अस्वीकार करना होगा,
- और भारत के भविष्य के लिए उठ खड़ा होना होगा।
आइए हम सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, और वीर सावरकर की भावना को जागृत करें, और यह सुनिश्चित करें कि हमारी सभ्यता अगले 10,000 वर्षों तक फलती–फूलती रहे।
“अब नहीं रुकना है, अब नहीं झुकना है — भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है।“
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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