🚩 29 मई 2025 — जब नेपाल ने ‘गणतंत्र दिवस’ मनाया, सड़कों पर हजारों हिंदू राष्ट्रवादियों का सैलाब उमड़ पड़ा…
यह दृश्य मात्र एक विरोध नहीं था। यह था —
👉 नेपाल में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर थोपे गए तंत्र के खिलाफ जनता का जनआंदोलन और विद्रोह।
👉 एक ऐसी हुंकार जो राजा और धर्म दोनों की वापसी की पुकार थी।
“राजा आओ, देश बचाओ “ और
“हिंदू राष्ट्र पुनः स्थापन करो “ जैसे नारों से काठमांडू गूंज रहा था।
🔔 यह संकेत था कि नेपाल के लोग अब और सहन नहीं करेंगे —
न भ्रष्टाचार, न धर्मनिरपेक्ष ढकोसला, और न ही उनकी हिंदू पहचान को मिटाने की साजिशें।
🇳🇵 नेपाल संघर्ष कर रहा है… और भारत?
जहाँ नेपाल के लोगों में आज भी धर्म और संस्कृति की रक्षा का जुनून जीवित है,
वहीं भारत में 100 करोड़ से अधिक सनातनी अभी भी नींद में हैं।
क्या यह त्रासदी नहीं है कि एक छोटा सा राष्ट्र अपनी सनातनी आत्मा को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रहा है,
लेकिन भारत का विशाल हिंदू समाज अपने धर्म को लेकर पूरी तरह निष्क्रिय बना हुआ है?
👉 भारत के युवा सोशल मीडिया, मनोरंजन और माया में उलझे हैं।
👉 बुज़ुर्ग जातिवाद, क्षेत्रवाद और पुरानी रंजिशों में खोए हैं।
👉 धार्मिक संस्थान प्रासंगिकता और साहस दोनों खो चुके हैं।
जब तक भारत के हिंदू जागेंगे, तब तक शायद बहुत देर ना हो जाए।
🔍 नेपाल में लोग चाहते क्या है और भारत को इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए?
नेपाल के लोग:
✅ अपने राजतंत्र की वापसी चाहते हैं,
✅ अपनी सनातनी परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते हैं,
✅ और संविधान में पुनः “हिंदू राष्ट्र” की घोषणा चाहते हैं।
यह इसलिए क्योंकि:
❌ लोकतंत्र के नाम पर उन्हें मिला भ्रष्टाचार,
❌ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मिली पहचानहीनता,
❌ और वैश्वीकरण के नाम पर मिली संस्कृति की क़ुर्बानी। क्या भारत इस आईने में खुद को नहीं देख सकता?
🧠 भारत के सनातनियों को आत्मचिंतन की आवश्यकता क्यों है?
🔥 हमारे धर्मस्थलों पर हमले हो रहे हैं, और हम चुप हैं।
🏛 हमारी संस्कृति को पाठ्यक्रमों से मिटाया जा रहा है, और हम चुप हैं।
🎥 हमारी आस्था पर फ़िल्में, वेब सीरीज, मीडिया हमला कर रहे हैं, और हम मज़ाक बना रहे हैं।
🚨 क्या यह वही राष्ट्र है जिसने राम, कृष्ण, शिव, विवेकानंद और गांधी को जन्म दिया?हम 100 करोड़ हैं, लेकिन एक संगठित संकल्प नहीं।
हम विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति के उत्तराधिकारी हैं, लेकिन सबसे अधिक निष्क्रिय भी।
✊ नेपाल हमें सिखा रहा है: चेतो, जागो, एकत्र होओ!
नेपाल के हिंदू यह संदेश दे रहे हैं —
धर्म और संस्कृति के लिए लड़ना अपराध नहीं, कर्तव्य है।
राज्य की नीतियाँ यदि हमारी आत्मा को कुचलें, तो उन्हें बदलना चाहिए — आत्मा को नहीं।
➡️ भारत को अब धर्म और संस्कृति के मामलों में “निरपेक्षता” छोड़कर “निष्कलंक सक्रियता” अपनानी होगी।
🕉 क्या करें भारत के सनातनी हिंदू?
📖 धर्म और संस्कृति की शिक्षा को परिवार और समाज में पुनः स्थापित करें।
📣 सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रामाणिक सनातन सामग्री फैलाएँ।
🛡 राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के विरुद्ध फैलाई जा रही झूठी प्रोपेगेंडा का प्रतिकार करें।
🧱 राजनीतिक एकता स्थापित करें — वोट बैंक नहीं, धर्म बैंक बनाएं।
🚩 संतों, धर्माचार्यों, और राष्ट्रवादी संगठनों के नेतृत्व में एकजुट हो।
चेतावनी की अंतिम घड़ी
- “नेपाल की सड़कों पर चल रहा संघर्ष भारत की आत्मा को आईना दिखा रहा है।”
- “यदि भारत का सनातनी समाज अब भी न जागा, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ केवल पश्चाताप और प्रलाप कर सकेंगी।”
- “हमने यदि अब भी ‘मेरी जाति, मेरा क्षेत्र, मेरी पार्टी’ की दीवारों को नहीं तोड़ा, तो यह धर्म, यह देश, यह संस्कृति — सब मलबे में बदल जाएंगे।”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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