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ओशो का संदेश

ओशो का संदेश और भारत का सत्य: विभाजन से विनाश तक और एकता से पुनर्जागरण तक

1. ओशो की चेतावनी — विभाजन की साज़िश को पहचानो

ओशो ने दशकों पहले जो कहा, वह आज भी उतना ही सच है —

  • “हिन्दू समाज को सबसे बड़ा नुकसान किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि अंदर बैठी विभाजन की मानसिकता ने पहुँचाया है।”

पीढ़ियों से हमें यह झूठ सिखाया गया कि:

  • बनिया कंजूस होता है,
  • राजपूत अत्याचारी होता है,
  • ब्राह्मण पाखंडी होता है,
  • यादव कम बुद्धिमान होता है,
  • दलित गंदे होते हैं,
  • गुर्जर और जाट झगड़ालू होते हैं…

धीरे-धीरे ये बातें समाज के अवचेतन में बैठ गईं और हिन्दू एकता को भीतर से तोड़ दिया।

2. “Divide and Rule” — अंग्रेज़ों से शुरू होकर कांग्रेस तक चला षड्यंत्र

    ब्रिटिश शासन के समय “Divide and Rule” की नीति का मुख्य उद्देश्य था — हिन्दुओं को जाति, भाषा, और क्षेत्र के आधार पर तोड़ना, ताकि वे कभी एकजुट न हों।

    • स्वतंत्रता के बाद यह नीति खत्म नहीं हुई — बल्कि कांग्रेस ने इसे और भी संगठित और योजनाबद्ध रूप में आगे बढ़ाया।
    • उन्होंने हिन्दू समाज को जातियों, समुदायों और भाषाओं में बाँटकर रखा ताकि हिन्दू वोट बिखर जाएं।
    • साथ ही मुस्लिम समुदाय को appeasement (तुष्टिकरण) द्वारा एकजुट और स्थायी वोट बैंक में बदला।

    परिणाम — हिन्दू समाज आपसी विभाजन में उलझ गया, और देश की नीतियाँ लगातार हिन्दू विरोधी और वोट बैंक केंद्रित होती गईं।

    3. सच्चाई यह है कि हम उनकी साज़िश में फँस गए

    • हमने अपनी सहिष्णुता और मौन को “संस्कार” मान लिया — लेकिन यह चुप्पी अब कमजोरी बन चुकी है।
    • विपक्षी ठगबंधन दलों ने लगातार हिन्दुओं को जाति और क्षेत्र के नाम पर भड़काया, ताकि हिन्दू समाज कभी राजनीतिक रूप से एकजुट न हो।
    • 70 वर्षों की नींद में हमने ये खेल नहीं समझा — कि कैसे हमारे वोट, हमारी ताकत, और हमारी पहचान का उपयोग सिर्फ़ सत्ता के लिए हुआ।
    • इस षड्यंत्र ने हमारी सामाजिक शक्ति, राजनीतिक एकता और धार्मिक आत्मविश्वास — तीनों को कमजोर किया।

    4. हिन्दू समाज की मौन सहिष्णुता — सबसे बड़ा दोष

    • “सहनशीलता” और “संतुलन” हमारी संस्कृति की पहचान है, पर जब यही सहनशीलता अन्याय और धोखे के सामने चुप्पी बन जाए, तो वह दोष बन जाती है।
    • हमने सोचा — झूठ अपने आप समाप्त हो जाएगा, परन्तु झूठ ने समाज की नसों में ज़हर की तरह घर कर लिया।
    • आज विपक्ष, वामपंथी ताकतें, और इस्लामी वोट बैंक — सब एक मंच पर हैं, पर हिन्दू समाज अपने ही भीतर बंटा है।
    • अगर अब भी हमने नहीं जागे, तो यह बंटवारा आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व को मिटा देगा।

    5. सच्चे इतिहास को याद रखिए

    • राजपूत अत्याचारी नहीं बल्कि वे थे जिन्होंने अपने प्राण देकर देश और धर्म की रक्षा की।
    • ब्राह्मणों ने ही वाल्मीकि रामायण को अमर बनाया, और एक दलित ऋषि वाल्मीकि को “महर्षि” का दर्जा दिया।
    • वैश्य और मारवाड़ी समुदायों ने अपने परिश्रम से मंदिर, विद्यालय, अस्पताल और व्यापार स्थापित कर समाज को आत्मनिर्भर बनाया।
    • शूद्र, जाट, गुर्जर, यादव ने खेतों में अन्न पैदा किया, और सीमाओं पर सैनिक बनकर देश की रक्षा की।

    हर हिन्दू, चाहे किसी भी जाति या वर्ग से हो, इस भूमि की आत्मा का हिस्सा है।

    6. असली पहचान — “मैं हिन्दू हूँ”

    • “मैं ब्राह्मण हूँ जब ज्ञान प्राप्त करता हूँ,
    • मैं क्षत्रिय हूँ जब रक्षा करता हूँ,
    • मैं वैश्य हूँ जब घर और व्यापार चलाता हूँ,
    • मैं शूद्र हूँ जब सेवा करता हूँ।”
    • हर हिन्दू के भीतर ये चारों गुण हैं — ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
    • इनका संतुलन ही सनातन जीवनशैली की शक्ति है।

    इसलिए किसी भी हिन्दू को उसकी जाति से नहीं, उसके कर्म और चरित्र से मापिए।

    7. अब समय है जागने का — एक निर्णायक आह्वान

    अब नींद से जागने का समय आ गया है!

    • हमें फिर से जाति, भाषा और क्षेत्र के विभाजनों से ऊपर उठकर “एक हिन्दू समाज” के रूप में खड़ा होना होगा।
    • यह सिर्फ़ धर्म या राजनीति का प्रश्न नहीं — यह राष्ट्र की अखंडता और अस्तित्व का प्रश्न है।
    • हमें अपने आंतरिक दुश्मनों को पहचानना होगा — वे जो बाहरी शत्रुओं से मिलकर भारत को भीतर से कमजोर कर रहे हैं।

    यह लड़ाई अब सिर्फ़ शब्दों की नहीं — संघर्ष और संगठन की लड़ाई है।

    8. क्या करना होगा — समाज और राष्ट्र की रक्षा के लिए कदम

    • हर हिन्दू को अपनी जाति की दीवारें गिराकर एकजुट होना होगा।
    • हर क्षेत्रीय संगठन को अपने हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को सर्वोच्च मानना होगा।
    • हर हिन्दू परिवार को अपनी अगली पीढ़ी को सही इतिहास सिखाना होगा — ताकि वे “गुलामी की मानसिकता” से मुक्त हो सकें।
    • हर राष्ट्रभक्त को ठगबंधन और तुष्टिकरण की राजनीति को राज्यों और स्थानीय स्तर पर सत्ता से बाहर करना होगा।
    • समाजिक और राजनीतिक दोनों स्तर पर राष्ट्रीयतावादी सरकार का समर्थन करना होगा ताकि वे अंदरूनी देशद्रोहियों पर निर्णायक कार्रवाई कर सकें।

    9. आज की चुनौती — बाहरी नहीं, आंतरिक दुश्मन ज्यादा खतरनाक हैं

    • बाहरी आक्रमणकारी अब सीमाओं पर नहीं, बल्कि हमारे बीच खड़े हैं — मीडिया, राजनीति, और वामपंथी तंत्र में।
    • ये वही ताकतें हैं जो देश को भीतर से कमजोर कर रहीं हैं, ताकि विदेशी शक्तियाँ भारत को नियंत्रित कर सकें।

    इनसे निपटने के लिए हमें सिर्फ़ नारे नहीं, बल्कि संगठित एक्शन और अटल संकल्प चाहिए।

    10. हिन्दू एकता ही भारत की सुरक्षा है

    • अगर आज हिन्दू समाज एकजुट हो जाए — तो कोई भी शक्ति भारत को रोक नहीं सकती।
    • विभाजन की नीति अंग्रेज़ों ने शुरू की थी, पर उसका अंत अब हमें करना होगा।
    • आने वाला भारत वही होगा जहाँ जाति नहीं, कर्म की पूजा होगी; जहाँ राजनीति नहीं, राष्ट्र सर्वोपरि होगा।
    • यह केवल राजनीति की नहीं, सभ्यता की लड़ाई है।

    अब समय है — “एक रहें, सशक्त रहें, और ठगबंधन को सदा के लिए सत्ता से बाहर करें।”

    🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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