ओशिवारा कांड
ओशिवारा कांड सिर्फ एक अपराध कहानी नहीं, बल्कि आज के भारत की टूटती नैतिकता, सत्ता के दुरुपयोग और कमजोर होती व्यवस्था का कड़ा प्रतिबिंब है। यह घटना बताती है कि आधुनिक समाज किस दिशा में बढ़ रहा है और क्यों हमें अपने सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाने की ज़रूरत है।
- मुंबई के अंधेरी स्थित ओशिवारा पुलिस थाने के क्षेत्र में घटित घटना ने एक बार फिर भारत के सामाजिक पतन की सच्चाई को उजागर किया है — एक ऐसी सच्चाई जिसका सामना हर सनातनी को करना ही होगा।
- एक 11 वर्षीय मासूम हिंदू बच्ची के साथ कुछ जिहादी मानसिकता वाले अपराधियों ने दुष्कर्म का प्रयास किया।
- परंतु इससे भी भयावह दृश्य तब सामने आया जब बच्ची के माता-पिता शिकायत दर्ज कराने गए — उन्हीं अपराधियों ने उन्हें पुलिस स्टेशन के बाहर धमकाया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
- बाद में जब हिंदू समाज के लोग शांति से न्याय की मांग करने पहुँचे, तो उन्हीं पुलिसकर्मियों ने उन्हें ही परेशान किया, जैसे पीड़ित ही दोषी हों।
- यह घटना केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि भारत के नैतिक पतन और राजनीतिक कायरता का प्रतीक है जहाँ तुष्टिकरण और चयनात्मक न्याय सामान्य बन चुका है।
⚖️ 1. देशभर में फैलता हुआ पैटर्न
ओशिवारा कोई अकेली घटना नहीं है। राजस्थान, केरल, बंगाल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी समान घटनाएँ सामने आती रही हैं —
- हिंदू बेटियों को “लव जिहाद” के नाम पर फँसाया जा रहा है।
- उनके माता-पिता को धमकियाँ दी जा रही हैं जब वे न्याय माँगते हैं।
- प्रशासन आक्रामक अपराधियों पर कार्यवाही के बजाय रक्षात्मक हो जाता है।
- तथाकथित “सेक्युलर” मीडिया और वामपंथी कार्यकर्ता तब चुप रहते हैं जब पीड़िता हिंदू होती है।
“साम्प्रदायिक” कहलाने के डर से संस्थाएँ पंगु हो चुकी हैं। न्याय अब चयनात्मक हो गया है और अपराधियों ने इस भय को हथियार बना लिया है।
🧨 2. असली कारण — न्याय से ऊपर तुष्टिकरण
दशकों से कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने वोट-बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति की है, जिसके दुष्परिणाम अब समाज भुगत रहा है —
- कानून-व्यवस्था अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कार्रवाई करने से हिचकती है।
- छद्म-धर्मनिरपेक्ष मीडिया अपराधियों को महिमामंडित करती है और पीड़ितों को बदनाम करती है।
- हिंदू आवाज़ें जो सत्य बोलती हैं, उन्हें “कट्टर” कहा जाता है।
इस विकृत संस्कृति ने न्याय का संतुलन नष्ट कर दिया है। विश्व की सबसे सहनशील और शांतिप्रिय जाति — हिंदू समाज — आज चुपचाप सब कुछ सहने को विवश है।
🕉️ 3. असली समस्या — हमारी अपनी निष्क्रियता और विखंडन
बाहरी शत्रु तो हैं ही, परंतु भीतर की कमजोरी और निष्क्रियता उससे भी अधिक खतरनाक है। हमारी स्थिति आज ऐसी बनी है क्योंकि —
- जाति, भाषा और क्षेत्रीयता ने हमें बाँट रखा है।
- धार्मिक व सामाजिक संगठन आपसी सहयोग में असफल रहे हैं।
- हम अन्याय देखकर भी मौन रहते हैं।
- व्यक्तिगत सुख-सुविधा को राष्ट्र और धर्म से ऊपर रख दिया गया है।
- हम भूल गए हैं कि धर्म और राष्ट्र व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर होते हैं।
- हमारे पूर्वजों ने इस भूमि और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया, पर आज हम केवल दर्शक बनकर बैठे हैं।
यदि हम आत्मस्वार्थ, विभाजन और आलस्य से ऊपर नहीं उठे, तो वही हाल हमारा भी होगा जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं का हुआ है — अपनी ही भूमि पर उपेक्षित और भयभीत।
🔱 4. सनातनी संकट — भूली हुई शक्ति
- हम सनातनी विश्व की सबसे प्राचीन और प्रकाशमान सभ्यता के उत्तराधिकारी हैं। फिर भी आज हम अपनी पहचान के प्रति संकोच और शर्म से ग्रसित हैं।
- हमारी असली शक्ति हमारी आध्यात्मिकता, एकता और साहस में है, संख्या में नहीं।
- निरंतर सहिष्णुता अब कायरता बन चुकी है।
- आधुनिक राजनीति ने हमारी आत्मा की अग्नि को दबा दिया है।
- अब समय है उस धर्मबल को पुनः जागृत करने का — जो राम, कृष्ण, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी और वीर सावरकर ने दिखाया।
- उन्होंने कभी अधर्म के आगे झुकना नहीं सीखा, वे लड़े, डटे और विजय प्राप्त की — यही है सच्चा सनातन धर्म।
🇮🇳 5. आगे का मार्ग — एकजुट हों, जागें, और सक्रिय बनें
हमारे पुनर्जागरण का मार्ग स्पष्ट है — सामूहिक चेतना और संगठित कर्म।
हमें क्या करना चाहिए:
- जाति, भाषा, और राजनीति से ऊपर उठकर एक हों।
- राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी नेतृत्व को सामाजिक व राजनीतिक समर्थन दें।
- बच्चों को संस्कृति, इतिहास और गौरवशाली विरासत की शिक्षा दें।
- समुदाय स्तर पर सुरक्षा और धर्मरक्षा के लिए नेटवर्क बनाएँ।
- झूठे प्रचार का उत्तर सत्य, तर्क और एकता से दें।
- धर्म और न्याय की रक्षा के लिए निडर होकर खड़े हों।
जब सनातनी समाज संगठित और जागरूक हो जाता है, तो कोई भी शक्ति उसे रोक नहीं सकती।
🕯️ 6. हर सनातनी के लिए संदेश
- ओशिवारा की यह घटना केवल अपराध नहीं, बल्कि चेतावनी है — यदि हम अब भी निष्क्रिय रहे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ नहीं करेंगी।
- सच्चा देशभक्ति का अर्थ है — राष्ट्र को स्वयं से ऊपर रखना।
- सच्चा धर्म पालन है — कर्तव्य को आराम से ऊपर रखना।
- सच्चा एकत्व है — विभाजन से ऊपर उठना।
- केवल इसी भावना से भारत फिर विश्वगुरु बन सकता है — मोदी–योगी जैसे राष्ट्रवादी नेतृत्व के मार्गदर्शन में, जो धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित हैं।
🛡️ 7. अंतिम पुकार — धर्म के लिए उठो, भारत के लिए उठो
हर सनातनी को यह याद रखना चाहिए —
- हमारी चुप्पी उनकी ताकत है, पर हमारी एकता उनका अंत है।
- जब एक सनातनी उठता है, एक चिंगारी जलती है।
- जब करोड़ों एक साथ उठते हैं, धर्म का क्रांतिकाल आरंभ होता है।
- अब वह क्रांति शुरू हो चुकी है — जागरूकता, साहस और एकता के साथ।
धर्म के लिए जियो, भारत के लिए उठो।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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