जब हम आतंकवाद की कल्पना करते हैं, तो हमारे मन में एक असभ्य, बंदूकधारी, गरीब और अज्ञानी व्यक्ति की छवि बनती है। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा खतरनाक और परिष्कृत है।
आज का आतंकवाद:
- लैपटॉप से चलता है,
- न्यूक्लियर लैब्स में फलता है,
- और अंग्रेजी बोलने वाले ‘शांतिदूतों’ के माध्यम से फैलता है।
क्यों पढ़े-लिखे जिहादी ज्यादा खतरनाक हैं?
- ये आतंकवाद को वैज्ञानिक और तकनीकी स्वरूप में संगठित करते हैं।
- साइबर हमले, ड्रोन टेक्नोलॉजी, परमाणु रिसर्च, और सॉफ्टवेयर आधारित प्रोपेगंडा फैलाते हैं।
ये खुद को लिबरल, एक्टिविस्ट, सोशल वर्कर, या स्कॉलर की छवि में छुपाकर, वैश्विक सहानुभूति हासिल करते हैं।
🌑 उदाहरण – आफिया सिद्दीकी: एक डिग्रीधारी महिला, एक खूंखार जिहादी
- पाकिस्तानी मूल की आफिया सिद्दीकी, पढ़ाई में बेहद तेज़ और होशियार थी।
- आगा खान ट्रस्ट की स्कॉलरशिप पर यूरोप से न्यूक्लियर साइंस में मास्टर्स किया और फिर अमेरिका में न्यूरो न्यूक्लियर साइंस में PhD की।
- लेकिन असल में वह एक कट्टर इस्लामिक आतंकवादी एजेंडा की वाहक निकली।
उसकी करतूतें:
- आतंकवादियों को परमाणु बम बनाने की ट्रेनिंग देने की योजना में थी।
- यूरोनियम जमा किया, जिससे एक छोटा परमाणु बम बन सके।
- 9/11 के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद से जुड़ी थी।
- अपने वैज्ञानिक पति को तलाक देकर एक आतंकवादी से शादी की।
- तीन आतंकियों को अपने घर में पनाह दी।
अब वह अमेरिका की जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही है, जहाँ उस पर कई बार जेल के भीतर ही हमले हो चुके हैं।
🔥 आफिया की रिहाई के लिए किया गया एक और आतंकी हमला:
2022 में एक पाकिस्तानी मूल का जिहादी दो AK-56 लेकर टेक्सास के यहूदी पूजा स्थल में घुसा और कई लोगों को बंधक बना लिया। उसका मकसद सिर्फ एक था — आफिया सिद्दीकी को रिहा कराना। यही वह जिहादी मानसिकता और आतंकवाद है, जो आज दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है।
यही वह जिहादी मानसिकता है जो दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है।
🤔 क्या यह अकेली घटना है? नहीं!
नाम | पढ़ाई/पेशा | जिहादी भूमिका |
अनवर अल–अवलाकी | अमेरिकी प्रोफेसर | अल कायदा का डिजिटल प्रचारक |
मोहम्मद अत्ता | इंजीनियर | 9/11 हमलों का मास्टरमाइंड |
हसन अब्दुल्ला | मेजर, US आर्मी | US सैन्य बेस में गोलीबारी (Fort Hood) |
डॉ. बिलाल (UK) | डॉक्टर | ISIS में मेडिकल ट्रेनिंग देने वाला |
🕌 जड़ कहां है? – मदरसों और धर्म के नाम पर कट्टरता की फैक्ट्री
गरीब मुस्लिम देशों में मदरसों में बच्चों के दिमाग में नफरत भरी जाती है:
- “गैर-मुस्लिमों से नफरत करो।”
- “जिहाद ही मुक्ति है।”
- “शहादत से स्वर्ग मिलेगा।”
जब यही बच्चे, विदेशी फंडिंग से स्कॉलरशिप पाकर उच्च शिक्षा हासिल करते हैं, तो वे डिग्रीधारी जिहादी बनकर सामने आते हैं।
🕊️ लेकिन सभी मुसलमान ऐसे नहीं हैं – भेद जरूरी है
हमारा उद्देश्य सभी पढ़े–लिखे मुसलमानों को दोष देना नहीं है। खाड़ी देशों, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि में लाखों मुसलमान शांतिप्रिय हैं। लेकिन हमें यह समझना होगा:
जो शिक्षित जिहादी होते हैं, वे आतंक को ग्लोबल बनाने की काबिलियत रखते हैं।
🌍 दुनिया के लिए आवश्यक कदम:
- मदरसों और इस्लामिक संस्थानों की विदेशी फंडिंग की पारदर्शिता जरूरी है।
- शिक्षित मुस्लिमों की वैचारिक पड़ताल जरूरी है – क्या वे मानवता और संविधान में विश्वास रखते हैं?
- कट्टरपंथी प्रवृत्ति वाले शिक्षित व्यक्तियों पर सतर्कता ज़रूरी है।
- सभी देशों को अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया जैसे आतंकवादी फैक्ट्रियों से आए ‘स्कॉलर टाइप‘ लोगों की वीज़ा स्क्रीनिंग करनी चाहिए।
📢 हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख – सभी सनातनी समाजों के लिए भी चेतावनी
हमें भी अब एकजुट होकर:
- ऐसी जिहादी मानसिकता के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।
- मोदी सरकार के नेतृत्व में, सभी राज्यों में विपक्षी पार्टियों को सत्ता से हटाकर, एक सशक्त राष्ट्रवादी व्यवस्था को स्थिर करना होगा।
अगले 5 साल तक धैर्य, एकता और सतर्कता के साथ काम करना होगा ताकि:
- नौकरशाही,
- न्यायपालिका,
- और शिक्षण संस्थानों से वामपंथी, मजहबी और भ्रष्ट तत्वों को हटाया जा सके।
“अगर हम आज नहीं जागे, तो कल शायद बहुत देर हो चुकी होगी।“
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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