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पहलगाम हमला

पहलगाम हमला: सुनियोजित हिंदू नरसंहार की साजिश का भयानक खुलासा

पहलगाम हमला केवल एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हिंदू नरसंहार की साजिश का हिस्सा था। इस भयानक खुलासे में एक ऐसे खौ़फनाक मंसूबे का पर्दाफाश हुआ है, जो न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे भारत की शांति को खतरे में डालने का प्रयास था। यह खुलासा हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाकर एक बड़े साम्प्रदायिक विवाद को जन्म देने की साजिश रची थी।

प्लान A: पहले चरण में आतंकवादियों का मकसद हिंदू तीर्थयात्रियों के वाहनों के ब्रेक फेल करवाकर बड़े पैमाने पर “दुर्घटनाएँ” कराना था।
लेकिन योजना विफल हो गई।

प्लान B: इसके बाद दूसरा चरण लागू हुआ — जिसमें आतंकवादियों ने प्रत्यक्ष हमला कर निर्दोष श्रद्धालुओं पर गोलियां बरसाईं, जिसमें 26 हिंदू श्रद्धालु शहीद हो गए।

यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसमें स्थानीय मुस्लिम खच्चर चालक, गाइड्स और ओवरग्राउंड वर्कर भी सक्रिय रूप से शामिल थे। वे जिहादी आतंकियों के साथ मिलकर हिंदुओं का शिकार करने में जुटे थे।

एक जीवित बचे यात्री एकता तिवारी का चौंकाने वाला बयान:जौनपुर की रहने वाली एकता तिवारी ने जो कुछ भी देखा और अनुभव किया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है।
उसके अनुसार:

उसके साथ खच्चर चालक बार-बार उसकी धार्मिक पहचान की पुष्टि करने के प्रयास कर रहा था — क्या वह हिंदू है? क्या उसने अजमेर दरगाह की यात्रा की है? क्या उसने कुरान पढ़ी है?

जब एकता ने बताया कि उसे उर्दू नहीं आती, तो खच्चर चालक ने कुरान को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ने की बात कही — धर्मांतरण की कोशिश स्पष्ट थी।

खच्चर चालक ने खुद को मदरसे का शिक्षक बताया, जो बताता है कि वह विचारधारा से पहले ही जिहादी मानसिकता से ग्रसित था।

उसने एकता से उसके साथियों के धर्म के बारे में भी पूछताछ की, और जानना चाहा कि वे हिंदू हैं या नहीं।

उसने एकता को अमरनाथ यात्रा में ले जाने का लालच भी दिया और उसका नंबर माँगा — उसका मकसद उसे अलग-थलग कर निशाना बनाना था।

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पहले यात्रियों को अलग-अलग करना था, फिर उन पर हमला करना था — जैसा कि पहलगाम हमला में हुआ।

खतरनाक कॉल और आतंकी बातचीत:

उसी समय खच्चर चालक ने अपनी डिक्की से एक छोटा फोन निकाला और आतंकवादियों से संपर्क साधा।
फोन पर वह कह रहा था:

  • प्लान A फेल हो गया है, अब प्लान B लागू करना पड़ेगा।
  • “35 राइफलें घाटी में छुपा दी गई हैं।
  • “20 पर्यटक निर्धारित स्थान पर पहुँच रहे हैं।

यह सब सुनकर एकता और उनके परिवार को खतरे का आभास हो गया।

चेतावनी संकेत:

एकता के भाई द्वारा पहना गया रुद्राक्ष एक स्थानीय युवा खच्चर चालक को चुभने लगा। उसने धमकाया और हमला करने की भी कोशिश की।
यह सीधा संकेत था कि धार्मिक प्रतीकों से उन्हें नफरत थी और पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा था।

एकता का परिवार अपनी सतर्कता और समझदारी के कारण नरसंहार स्थल से लगभग 500 मीटर पहले ही रुक गया, और इसीलिए उनकी जान बच सकी। यह घटना पहलगाम हमला जैसी आतंकवादी साजिशों को उजागर करती है, जहां निर्दोष यात्रियों को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाने की कोशिश की जाती है।

पुलिस की भूमिका:

▪ जब एकता ने हेल्पलाइन पर मदद के लिए कॉल किया, तो पुलिस ने उसे गंभीरता से लेने के बजाय कहा: ज्यादा उत्साहित मत होइए।
▪ इससे साफ है कि स्थानीय पुलिस भी इस जघन्य षड्यंत्र में शामिल थी या कम से कम सह-अपराधी थी।

संपूर्ण षड्यंत्र का चेहरा:

▪ यह हमला सिर्फ चार आतंकियों का कार्य नहीं था।
यह एक सम्पूर्ण जिहादी तंत्र था जिसमें:

  • स्थानीय खच्चर चालक
  • पर्यटक गाइड्स
  • होटल मालिक
  • दुकानदार
  • और सुरक्षा तंत्र के कुछ भ्रष्ट हिस्से सभी सम्मिलित थे।

▪ पर्यटकों को बिल्कुल वैसे ही फँसाया गया जैसे कसाई भेड़ों को वध के लिए ले जाता है। ▪ हमले का स्थान भी जानबूझकर “मिनी-स्विट्जरलैंड” जैसे खूबसूरत इलाके में चुना गया, ताकि अधिकतम संख्या में पर्यटक आकर्षित हों और जाल में फँस जाएं।

कड़वी सच्चाई:

जिन्हें हम गरीब स्थानीयसमझते रहे, वे कई बार आतंकियों के एजेंट निकले।
जिन्हें हम मेहमाननवाज कश्मीरीकहते रहे, वे हमारी हत्या की योजनाएं बना रहे थे।

  • वे हमारे पैसे से अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।
  • हमारे धन से आतंकवाद को पोषित करते हैं।
  • और अंततः हमारे ही भाई-बहनों की हत्या कराते हैं।

अब क्या करना चाहिए?

  • केन्द्र सरकार को अब नरमी छोड़कर कश्मीरी नागरिकों पर अत्यधिक सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए।
  • कश्मीर यात्रा पर जाने से हिंदुओं को अभी पूर्णतः बचना चाहिए।
  • हिंदुओं को जागरूक होकर अपने धन और जीवन दोनों की रक्षा करनी चाहिए।
  • हिंदू समाज को एकजुट होकर इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करना चाहिए और भारत सरकार पर कार्रवाई का दबाव बनाना चाहिए।

क्योंकि सांप को कितना भी दूध पिलाओ, वह मौका मिलने पर डंसेगा ही।

पहलगाम हमला केवल एक साजिश का खुलासा नहीं था, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद और हिंसा के पीछे की सोच कितनी खतरनाक हो सकती है। इस खुलासे ने यह साबित कर दिया कि आतंकवादी न केवल सुरक्षा को, बल्कि हमारे समाज की सद्भावना को भी निशाना बनाते हैं। हमें इस तरह की साजिशों को नष्ट करने और एकजुट होकर देश की शांति और सुरक्षा की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।

जागो सनातनियो!
अब और भ्रम में रहने का समय नहीं है।
अब आत्मरक्षा और धर्मरक्षा को प्राथमिकता दो।
अपने जीवन, अपने परिवार, और अपने धर्म की रक्षा करो।

| जय भारत, वन्देमातरम |

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