- दशकों तक भारत कमजोर शासन, राजनीतिक हस्तक्षेप, संस्थागत भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी से जूझता रहा।
- PM मनमोहन सिंह ने एक बार सेना की तत्कालीन जरूरतों के लिए कहा था : “पैसे पेड़ पर नहीं लगते।”
- लेकिन समय के साथ स्पष्ट हुआ कि समस्या पैसे की कमी नहीं थी —
समस्या ईमानदारी, अनुशासन और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी। - यह नैरेटिव कांग्रेस शासनकाल और मोदी युग के बीच तुलना प्रस्तुत करता है, खासकर रक्षा, सुरक्षा, शासन, आर्थिक अनुशासन और संस्थागत सुधारों के संदर्भ में, जिन्होंने पिछले 11 वर्षों में भारत की अभूतपूर्व वृद्धि सुनिश्चित की।
SECTION 1 — कांग्रेस युग: कमजोर संस्थान, ढीले फैसले और सिस्टम का क्षय
लंबे समय तक भारत के कई महत्वपूर्ण संस्थान — रक्षा, खुफिया तंत्र, सिविल सेवा, बैंकिंग, अवसंरचना और अर्थव्यवस्था — कमजोरियों से घिरे रहे।
1.1 संस्थानों का क्षरण
- अत्यधिक राजनीतिक हस्तक्षेप
- दीर्घकालिक योजना की कमी
- प्रतिभा के स्थान पर चाटुकारिता
- जिम्मेदारी निर्धारण का अभाव
- सुधारों में सुस्ती
1.2 रक्षा क्षेत्र की कमजोरी और आधुनिकीकरण में देरी
बजट उपलब्ध होने के बावजूद उपयोग प्रभावी नहीं था:
- वर्षों तक आधुनिकीकरण प्रोजेक्ट टालना
- गोला-बारूद और उपकरणों की कमी
- सौदों में दलालों और किकबैक का राज
- सुरक्षा खतरों के प्रति धीमी प्रतिक्रिया
एक समय सेना प्रमुख को संसद को चेतावनी देनी पड़ी:
- “हमारे पास सिर्फ सात दिन का युद्ध लड़ने लायक गोला-बारूद है।”
1.3 भ्रष्टाचार और दलाल संस्कृति
कांग्रेस युग कई रक्षा घोटालों के कारण बदनाम हुआ:
- जीप घोटाला
- बोफोर्स
- मिराज सौदे में किकबैक
- पनडुब्बी सौदे
- अगस्ता वेस्टलैंड
इनसे पैदा हुआ:
- निर्णयहीनता
- घोटालों की श्रृंखला
- रक्षा खरीद में देरी
- जनता का भरोसा कम होना
1.4 रक्षा से आगे भी कमजोर शासन
कांग्रेस काल में कमी सिर्फ सुरक्षा में नहीं थी:
- एनपीए बढ़कर खतरनाक स्तर पर पहुँचे
- कोल, स्पेक्ट्रम और भूमि आवंटन घोटाले
- अवसंरचना विकास रुका
- 2011–2014 “नीतिगत पक्षाघात”
- निवेशकों का भरोसा घटता गया
- इंडिया स्टोरी” ठहरने लगी थी।
SECTION 2 — मोदी युग: ईमानदार शासन और राष्ट्रहित में कठिन निर्णय
- 2014 भारत के लिए केवल राजनीतिक बदलाव नहीं था — यह प्रशासनिक और संस्थागत बदलाव का प्रारंभ था।
- इस युग की सबसे बड़ी उपलब्धि थी — एक ईमानदार, निर्णायक सरकार का आना जो कठिन निर्णय लेने से नहीं डरती।
2.1 संस्थागत पुनर्निर्माण
- राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी
- पारदर्शी नियुक्तियाँ
- जवाबदेही आधारित सुधार
- डिजिटल गवर्नेंस
- खुफिया तंत्र में समन्वय
- प्रजती आधारित कार्य संस्कृति
2.2 रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा का पुनर्जागरण
मोदी सरकार के दौरान:
- ₹10 लाख करोड़ से अधिक का रक्षा आधुनिकीकरण
- 90% से अधिक सौदे समय पर पूरे
- राफेल, S-400, अपाचे, चिनूक की खरीद
- अग्निपथ सुधार
- रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
- “मेक इन इंडिया – डिफेंस” को प्रोत्साहन
भारत बदला:
“अम्मुनिशन की कमी वाले देश” से “आधुनिक हथियार निर्यात करने वाले देश” तक।
2.3 दलाल-मुक्त रक्षा खरीद
मोदी युग में सबसे बड़ा सुधार:
- कोई रक्षा दलाल नहीं
- कोई किकबैक नहीं
- कोई कमीशन नहीं
इससे:
- तेज निर्णय
- साफ-सुथरे सौदे
- बेहतर युद्ध तैयारी
2.4 शासन सुधार जिन्होंने अर्थव्यवस्था बदल दी
मोदी सरकार के सुधारों ने हर क्षेत्र को बदला:
- दिवाला कानून (IBC)
- जन-धन–आधार–UPI क्रांति
- GST
- DBT
- हाईवे और रेलवे आधुनिकीकरण
- ग्रीन एनर्जी विस्तार
- औद्योगिक कॉरिडोर
- स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया
- रिकॉर्ड FDI
ये आसान फैसले नहीं थे — पर देशहित में आवश्यक थे। और ये संभव हुए एक ईमानदार सरकार के कारण।
SECTION 3 — कांग्रेस बनाम मोदी: स्पष्ट अंतर
3.1 कांग्रेस युग
- बड़े घोटाले
- धीमे निर्णय
- नीति पक्षाघात
- कमजोर राष्ट्रीय सुरक्षा
- दलाल संस्कृति
- बिगड़ती अर्थव्यवस्था
3.2 मोदी युग
- कोई भ्रष्टाचार नहीं
- तेज और निर्णायक नीतियाँ
- रिकॉर्ड अवसंरचना निर्माण
- मजबूत रक्षा क्षमता
- पारदर्शी व्यवस्था
- डिजिटल क्रांति
- वैश्विक नेतृत्व में वृद्धि
11 वर्षों की प्रगति कोई चमत्कार नहीं — ईमानदार शासन और कठोर परिश्रम का परिणाम है।
SECTION 4 — भारत ने 11 साल में इतनी अद्भुत वृद्धि क्यों की?
4.1 ईमानदार नेतृत्व
- एक साफ-सुथरी सरकार:
- निर्णय तेज करती है
- विश्वास बढ़ाती है
- विश्व में सम्मान लाती है
4.2 कठिन लेकिन साहसी निर्णय
वो फैसले जो पहले किसी सरकार ने न लिए:
- धारा 370 हटाना
- सर्जिकल और एयर स्ट्राइक
- रक्षा खरीद सुधार
- GST लागू करना
- IBC
- बैंकिंग सुधार
4.3 राजनीति से पहले राष्ट्र
- वोट बैंक का डर नहीं
- देशहित सर्वोपरि
- सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं
4.4 जवाबदेही की नई संस्कृति
हर मंत्रालय अब:
- मॉनिटर होता है
- ट्रैक होता है
- समीक्षा होती है
इसीलिए भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना और 3rd बनने की राह पर अग्रसर है।
SECTION 5 — “पैसे पेड़ पर नहीं लगते” का असली मतलब
लोगों को वर्षों तक लगा कि भारत में पैसा नहीं है।
लेकिन सच्चाई?
भारत में कभी पैसे की कमी नहीं थी — कमी ईमानदार शासन की थी।
- जहाँ भ्रष्टाचार रुकता है, विकास शुरू होता है।
- जहाँ दलाल हटते हैं, प्रगति तेज होती है।
- जहाँ कठिन निर्णय होते हैं, राष्ट्र मजबूत होता है।
मोदी युग ने बताया कि—
- पैसे पेड़ पर नहीं लगते — लेकिन साफ शासन से ज़रूर बढ़ते हैं।
SECTION 6 भारत का उत्थान कोई चमत्कार नहीं, साफ और साहसी शासन का परिणाम है
- भारत के परिवर्तन की नींव है:
- संस्थागत ईमानदारी
- भ्रष्टाचार-मुक्त शासन
- निर्णायक नेतृत्व
- रक्षा सुधार
- आर्थिक अनुशासन
- राष्ट्र-प्रथम मानसिकता
- यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं — यह संस्कृति परिवर्तन है।
भारत आज इसलिए उठ रहा है क्योंकि दशकों बाद पहली बार सरकार राष्ट्र के लिए काम कर रही है — अपने लिए नहीं।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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