आतंक के ज़हर से उलझा लाल ड्रैगन
1. चीन की पुरानी रणनीति: पाकिस्तान को मज़बूत करो, भारत को अस्थिर
कई दशकों तक चीन ने दक्षिण एशिया में एक दोहरी नीति अपनाई, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को मज़बूत बनाकर भारत को क्षेत्रीय रूप से संतुलित करना था। साथ ही, चीन ने कांग्रेस शासन का परोक्ष समर्थन किया ताकि भारत आंतरिक रूप से राजनीतिक रूप से बंटा रहे और वह चीन की सीमाओं पर दबाव न बना सके। इस रणनीति का सीधा परिणाम यह हुआ कि चीन ने अक्साई चिन पर कब्ज़ा कर लिया और भारत की सीमाओं को लगातार अस्थिर बनाए रखा।
2. मोदी युग में बदला खेल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने निर्णायक बदलाव किए:
- सेना का आधुनिकीकरण, गलवान और डोकलाम जैसी घटनाओं में चीन को मुंहतोड़ जवाब।
- आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण।राजनयिक ताकत का विस्तार, जिससे भारत अब वैश्विक स्तर पर अपने हितों के अनुसार शर्तें तय करता है।
3. CPEC पर संकट: आतंकवाद ने चीन के सपनों को तोड़ा
चीन–पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन का $60 बिलियन का प्रोजेक्ट था जो पाकिस्तान में सड़कों, पावर प्रोजेक्ट्स और ग्वादर पोर्ट को विकसित कर रहा था। लेकिन:
- मार्च 2024, शांगला में आत्मघाती हमला, जिसमें चीनी इंजीनियर मारे गए।
- दासू बस हमला 2021, 9 चीनी इंजीनियर मारे गए।
- कराची विश्वविद्यालय हमला 2022, 3 चीनी शिक्षकों की हत्या।
- चीन को अब CPEC के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता है।
4. हमलावर कौन हैं?
- बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) — आरोप लगाते हैं कि चीन बलूच संसाधनों का शोषण कर रहा है।
- तहरीक–ए–तालिबान पाकिस्तान (TTP) — पाकिस्तान को “काफ़िर देश” मानता है और चीन को उसका सहयोगी।
पाकिस्तान इन दोनों ही संगठनों को नियंत्रित करने में असफल रहा है।
5. चीन की बढ़ती नाराज़गी
- अब चीन सीधे सार्वजनिक मंचों पर पाकिस्तान को फटकार लगा रहा है।
- चीनी राजदूत ने कराची हमले के बाद तीखी टिप्पणी की, जिससे राजनयिक तनाव और बढ़ा।
- CPEC प्रोजेक्ट्स को अस्थायी रूप से रोका गया, सुरक्षा की माँगें बढ़ीं।
चीन ने संकेत दिया कि अगर सुरक्षा नहीं दी गई, तो वह निजी सुरक्षा एजेंसियाँ तैनात करेगा।
6. भारत–चीन संबंधों में नया अध्याय: RIC गठबंधन की ओर
- सीमाओं पर समझौते और वार्ता से चीन-भारत संबंधों में ठंडक।
- भारत की वैश्विक स्थिति अब इतना मज़बूत है कि वह अमेरिका और नाटो के विकल्प के रूप में उभर रहा है।
- रूस–भारत–चीन (RIC) गठबंधन की चर्चा तेज़ हो रही है ताकि अमेरिका और पश्चिमी ताकतों के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
7. पाकिस्तान की कूटनीतिक हार
- चीन का भरोसा टूटना, पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका है।
- अब न CPEC का पैसा आ रहा है, न ही पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति को समर्थन मिल रहा है।
- पाकिस्तान अब कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ रहा है — न कोई पड़ोसी दोस्त है, न पश्चिमी समर्थन।
8. भारत अब अपना खेल खुद तय करता है
मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत अब न तो किसी ब्लॉक पर निर्भर है, न किसी दबाव में।
चीन को भी अब समझ आ गया है कि:
- भारत अब कांग्रेस वाला भारत नहीं रहा,
- सेना तैयार है,
- कूटनीति तेज है,
- और जनता एकजुट है।
इसलिए चीन अब पाकिस्तान से दूरी बना रहा है और भारत के साथ एक संतुलित और ठोस संबंध की ओर बढ़ रहा है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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