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राहुल गांधी

राहुल गांधी का विवादित बयान: प्रगति बनाम राजनीतिक अवसरवाद

लंदन में राहुल गांधी द्वारा भारतीय लोकतंत्र की स्थिति पर दिए गए बयान को वर्तमान भारत की वास्तविकता के संदर्भ में देखने की आवश्यकता है। विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। आज जो कुछ हो रहा है, वह लोकतंत्र का कमजोर होना नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण की राजनीति के अंत की शुरुआत है।

कांग्रेस शासन के दौरान भारत की स्थिति: लोकतंत्र की असली विफलता

एक दशक पहले, जब देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी, तब भारत की वैश्विक साख बेहद खराब थी। घोटालों का दौर चरम पर था—2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला और कई अन्य भ्रष्टाचार मामले सामने आए। देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो चुकी थी कि भारत को अपना सोना गिरवी रखकर आर्थिक सहायता लेनी पड़ी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा कमजोर थी और वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ को कोई गंभीरता से नहीं लेता था।

इसी दौरान, कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय की तुष्टिकरण नीति अपनाई। छह दशकों में कई संवैधानिक संशोधन और नीतियाँ लाई गईं, जो बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के हितों के खिलाफ थीं। इस असंतुलन के कारण हिंदुओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान हुआ, लेकिन इसे कभी “लोकतंत्र पर खतरा” नहीं कहा गया। क्या यह लोकतंत्र की असफलता नहीं थी जब बहुसंख्यक समाज को सरकार की नीतियों के कारण लगातार हाशिए पर रखा गया?

मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत का पुनर्जागरण

इसके विपरीत, पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है और वैश्विक स्तर पर पाँचवें स्थान पर पहुँच गया है। डिजिटल युग में पारदर्शिता बढ़ी है और उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर कड़ा अंकुश लगाया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई है और भारत की वैश्विक स्थिति पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली हो गई है।

स्वतंत्रता के बाद पहली बार हिंदुओं को वह सम्मान मिल रहा है जिसके वे हकदार थे। कांग्रेस द्वारा लागू किए गए भेदभावपूर्ण कानूनों को सुधारा जा रहा है, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जा रहा है और हिंदू सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित किया जा रहा है। लेकिन विपक्षी दल, जो तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार की राजनीति के आदी थे, इसे “लोकतंत्र पर खतरा” बता रहे हैं। असल में, उनका असली डर यह है कि वे अब सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर सकते।

विपक्ष जिस ‘लोकतंत्र के नुकसान’ की बात करता है, वह असल में उनके विशेषाधिकारों का नुकसान है

विपक्ष और उसका इकोसिस्टम यह झूठा नैरेटिव बना रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है क्योंकि:

1. भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई हो रही है। कई विपक्षी नेता, खासकर कांग्रेस के, घोटालों में शामिल पाए गए हैं और अब वे कानून के दायरे में आ रहे हैं। अगर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना “लोकतंत्र को कमजोर करना” है, तो ऐसा लोकतंत्र किसी काम का नहीं।

2. अब तुष्टिकरण की राजनीति नहीं चल रही। मोदी सरकार की नीतियाँ धर्म और जाति से परे, सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू हो रही हैं। घर, शौचालय, स्वास्थ्य सुविधाएँ और शिक्षा योजनाएँ सभी भारतीयों को मिल रही हैं, न कि किसी विशेष समुदाय को तुष्ट करने के लिए। विपक्ष को डर है कि हिंदुओं के साथ बराबरी का व्यवहार होने से उनका पारंपरिक अल्पसंख्यक वोट बैंक टूट जाएगा।

3. भारत अब आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर सम्मानित देश बन चुका है। कांग्रेस के शासनकाल में भारत को आर्थिक सहायता के लिए दुनिया के सामने हाथ फैलाने पड़ते थे, लेकिन आज भारत अन्य देशों को आर्थिक मदद दे रहा है। मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक शक्ति बन चुका है, लेकिन राहुल गांधी जैसे नेता विदेशी धरती पर अपने देश को बदनाम करने में लगे हुए हैं, ताकि पश्चिमी देशों से भारत सरकार पर दबाव डलवाया जा सके—जैसे सैकड़ों साल पहले जयचंद ने आक्रमणकारियों को बुलाया था।

लोकतंत्र के लिए असली खतरा विपक्ष की नकारात्मक राजनीति है

राहुल गांधी के लंदन में दिए गए बयान इस साजिश का हिस्सा हैं, जिसके तहत विपक्ष एक ऐसी सरकार को बदनाम करना चाहता है जिसने भ्रष्टाचार पर रोक लगाई, राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत की और हिंदू समाज को उसका उचित सम्मान दिया। वे यह समझने में असफल हो रहे हैं कि लोकतंत्र का अर्थ भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और सत्ता के दुरुपयोग की छूट नहीं है; बल्कि यह समान अवसर, राष्ट्रीय विकास और सशक्त नेतृत्व का प्रतीक है।

अगर भ्रष्टाचारियों को दंडित करना, हिंदू सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देना और भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाना “लोकतंत्र का नुकसान” है, तो शायद हमें लोकतंत्र की परिभाषा पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। असली सवाल यह है कि क्या विपक्ष बिना भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति के जीवित रह सकता है। भारत की जनता पहले ही अपना निर्णय ले चुकी है, और विदेशी शक्तियों की कोई भी चाल इसे बदल नहीं सकती।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪

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