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हिंदू-सभ्यता

राजपूतों को नमन हिंदू सभ्यता के अनकहे रक्षक

मानसी कुमारी – सनातन धर्म की बेटी

मैं मानसी कुमारी, जाति से हरिजन, बिहार के कटिहार जिले की रहने वाली हूं। वर्तमान में गोवा में रहकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हूं। आज मैं सनातन धर्म की बेटी होने के नाते राजपूतों के बारे में कुछ कहना चाहती हूं—एक ऐसी जाति जिसने अपने त्याग और शौर्य से हिंदू धर्म की रक्षा की, पर जिनकी कहानियों को या तो अनदेखा किया गया या गलत तरीके से पेश किया गया।

शोषण का झूठा आरोप

अक्सर कहा जाता है कि राजपूतों ने निम्न जातियों का शोषण किया, उनसे खेतों में काम कराया, शिक्षा से वंचित रखा और असमानता फैलाई। ये कथन सोशल मीडिया और मुख्यधारा की बहसों में जोर-शोर से प्रचारित किए जाते हैं। लेकिन इतिहास को निष्पक्षता से देखने की आवश्यकता है।

इस्लामिक आक्रमण के खिलाफ राजपूतों की ढाल

1400 साल पहले मक्का से उठी इस्लामिक तलवार ने ईरान, इराक, सीरिया, मिस्र, अफगानिस्तान और मंगोलिया तक की संस्कृतियों को तहस-नहस कर दिया। लेकिन जब यह तलवार भारत पहुंची, तो इसे राजपूतों की वीरता के सामने अवरोध का सामना करना पड़ा।

मुख्य योद्धा:

जहां अन्य जातियां अपनी आत्मरक्षा के लिए लड़ीं, वहीं राजपूतों ने स्वेच्छा से मोर्चा संभाला और अपने प्राणों की आहुति दी।

राजपूत माताएं अपने बेटों को युद्ध के लिए तिलक लगाकर भेजती थीं, यह जानते हुए कि वे लौटकर नहीं आएंगे।

हार की स्थिति में, राजपूत नारियां जौहर करती थीं ताकि उनकी अस्मिता को कोई आंच न आए।

पीढ़ियों का बलिदान:

राजपूतों ने भयंकर पीड़ा सही—सम्पूर्ण पीढ़ियां खत्म हो गईं। विधवाओं की संख्या इतनी बढ़ गई कि सती प्रथा जैसी परंपराएं पनपने लगीं।

जनसंख्या में कमी:

लगातार युद्धों के कारण, कई क्षेत्रों में राजपूतों की संख्या 1% से भी कम हो गई। आज, उनकी संख्या बढ़कर 9% तक पहुंची है, जबकि तथाकथित शोषित जातियां आज अपनी जनसंख्या 54% बताती हैं।

बलिदान का नतीजा

इतने बड़े बलिदान के बावजूद, राजपूतों को अत्याचारी और शोषक के रूप में प्रस्तुत किया गया:

मीडिया में गलत चित्रण:

फिल्मों ने राजपूतों को हमेशा जमींदार और अत्याचारी के रूप में दिखाया, उनकी वीरता को अनदेखा किया।

भूल गए असली कहानी:

इस्लामिक आक्रमण को यहीं रोकने का पूरा श्रेय राजपूतों को जाता है। उन्होंने इस्लाम को चीन, कोरिया, जापान और नेपाल तक फैलने से रोका।

शौर्य की अमर गाथा

राजपूतों ने बिना किसी संकोच के अपने नाबालिग बेटों को भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया। उन्होंने कभी अपने धर्म और कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा:

राणा प्रताप जैसे महान योद्धा, जिनका घोड़ा चेतक तक उनके लिए प्राण न्यौछावर कर गया।
राजपूत नारियां, जो अपनी आबरू बचाने के लिए जौहर की अग्नि में कूद गईं।
आज हिंदुओं का अस्तित्व राजपूतों की कुर्बानी का प्रमाण है। यदि वे न होते, तो आज हम सभी किसी मस्जिद में नमाज पढ़ रहे होते।

एकता और जागरूकता का आह्वान

अब समय आ गया है कि हम राजपूतों की कुर्बानियों को पहचानें और उनका सम्मान करें:

जो लोग राजपूतों पर जातिवाद का आरोप लगाते हैं, उन्हें इतिहास का सही अध्ययन करना चाहिए।

सभी राजपूत, ब्राह्मण, जाट, गुर्जर भाइयों और बहनों से निवेदन है कि इस संदेश को फैलाएं ताकि राजपूतों के बलिदान और वीरता की कहानी हर किसी तक पहुंचे।

राजपूताना शौर्य को नमन
“धन्य धरा, जहां की शक्ति और स्वाभिमान कभी बिके नहीं।
धन्य था राणा, जिसकी ताकत के आगे अकबर टिक नहीं सका।”

राजपूतों की वीरता और स्वाभिमान आज भी अमर है। मेरा सदैव नमन उन राजपूतों और उनके वंशजों को, जिन्होंने डर को कभी अपने शब्दकोश में जगह नहीं दी।

इस सत्य को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। साझा करें ताकि राजपूतों के बलिदान की गाथा सदियों तक जीवित रहे।

🙏 जय राजपूताना! 🙏
– सनातनी शूद्र की बेटी

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