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राणा सांगा

राणा सांगा: एक वीर योद्धा और भारतीय इतिहास के महानायक

महाराणा संग्राम सिंह, जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, भारतीय इतिहास के उन वीर योद्धाओं में शामिल हैं, जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया। वह मेवाड़ के शासक थे और अपने समय के सबसे शक्तिशाली हिंदू सम्राटों में गिने जाते थे। उनके शौर्य, पराक्रम और रणनीतिक कौशल ने न केवल राजस्थान बल्कि समूचे उत्तर भारत में उनकी शक्ति का विस्तार किया।समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को गद्दार बताने पर विवाद खड़ा हो गया है। इस दावे की ऐतिहासिक समीक्षा आवश्यक है क्योंकि इतिहास हमें बताता है कि राणा सांगा ने कई बार दिल्ली, मालवा, और गुजरात के सुल्तानों को हराया, और बाबर से युद्ध किया।

क्या राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था?

  • कुछ इतिहासकारों और नफरत फैलाने वाले लोग यह दावा करते हैं कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया ताकि वह इब्राहिम लोदी को हराने में उनकी मदद करे। लेकिन यह दावा ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है।
  • सच्चाई यह है कि राणा सांगा ने पहले ही इब्राहिम लोदी को कई युद्धों में परास्त कर दिया था।
  • उन्होंने गुजरात और मालवा के सुल्तानों की सेनाओं को भी अलग-अलग हराया और बाद में उनकी संयुक्त सेना को भी परास्त किया।
  • ऐसे में यह कहना कि उन्होंने बाबर को बुलाया, सरासर गलत है क्योंकि एक विजयी योद्धा को किसी बाहरी मदद की जरूरत नहीं होती।
  • तथ्य यह बताते हैं कि पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खान ने बाबर को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था।

राणा सांगा की वीरता और पराक्रम

राणा सांगा ने अपने जीवन में 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें से केवल खानवा का युद्ध ही एकमात्र था जिसमें वे पराजित हुए।

राणा सांगा के युद्ध और विजय

इब्राहिम लोदी को हराया

  • सन 1517 में खतोली का युद्ध हुआ, जिसमें राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को बुरी तरह पराजित किया।
  • 1518-19 में लोदी ने बदला लेने की कोशिश की लेकिन उसे फिर से राजस्थान के धौलपुर में परास्त कर दिया गया।

मालवा और गुजरात के सुल्तानों को हराया

  • 1517 और 1519 में महमूद खिलजी द्वितीय को हराया और उसे बंदी बना लिया।
  • बाद में उसे क्षमा करते हुए उसके राज्य के एक बड़े हिस्से पर अधिकार कर लिया।
  • 1520 में गुजरात के निजाम खान को हराकर अहमदाबाद से 20 मील दूर तक अपना आक्रमण बढ़ाया और उत्तरी गुजरात पर कब्जा कर लिया।

बाबर को भी हराया (बयाना का युद्ध, 1527)

बाबर ने जब पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराया, तब राणा सांगा ने आगरा पर चढ़ाई की योजना बनाई।

21 फरवरी 1527 को बयाना के युद्ध में राणा सांगा की सेना ने बाबर की सेना को बुरी तरह परास्त किया

बाबर इस हार से इतना घबरा गया कि आगरा लौटकर उसने इस्लाम के नाम पर अपनी सेना का हौसला बढ़ाने की कोशिश की।

खानवा का युद्ध (1527): भारत का निर्णायक मोड़

  • 16 मार्च 1527 को खानवा के मैदान में राणा सांगा और बाबर के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ।
  • इस युद्ध में राणा सांगा की सेना 1 लाख थी, जबकि बाबर के पास 80,000 सैनिक थे
  • बाबर ने युद्ध में तोपों और बारूद का इस्तेमाल किया, जो भारत के युद्धों में पहली बार हुआ था।
  • इतिहासकारों का मानना है कि यदि बाबर के पास तोपें न होतीं, तो राणा सांगा का विजय निश्चित था
  • यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद मुगलों ने अगले 250 वर्षों तक भारत पर शासन किया।

राणा सांगा की हार के कारण

बाबर की युद्ध रणनीति और तोपखाना:

  • बाबर ने अपने सैनिकों को यह कहकर प्रेरित किया कि वे इस युद्ध में जीतकर गाजी कहलाएँगे और यदि मरेंगे तो शहीद माने जाएँगे।
  • यह धार्मिक उन्माद बाबर की जीत में सहायक बना।

राणा सांगा के विश्वासघाती सरदार:

  • युद्ध के दौरान शिलादित्य तोमर और कुछ अन्य सरदारों ने बाबर का साथ दे दिया
  • यह अचानक हुआ विश्वासघात हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।

बाबर की कूटनीति:

बाबर ने हिंदू राजाओं में फूट डालकर अपनी जीत सुनिश्चित की।

राणा सांगा का अंत

खानवा की हार के बाद भी राणा सांगा ने हार नहीं मानी

  • उन्होंने बाबर के खिलाफ एक और सेना तैयार करने की योजना बनाई।
  • लेकिन उनके ही सरदारों ने उन्हें जहर देकर मार दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि फिर से युद्ध हो।
  • सन 1528 में इस महान योद्धा ने अपने प्राण त्याग दिए

राणा सांगा: हिंदू एकता के प्रतीक

  • राणा सांगा ने जीवनभर हिंदू एकता और विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया।
  • उन्होंने राजपूतों को एकजुट किया और विदेशी हमलावरों के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया।
  • उनके शासनकाल में मेवाड़ की सीमाएँ पूर्व में आगरा और दक्षिण में गुजरात तक फैली हुई थीं
  • उन्होंने अपने राज्य में मुसलमानों द्वारा लगाए गए ‘जजिया कर’ को समाप्त किया और मंदिरों की रक्षा की।
  • राणा सांगा को ‘गद्दार’ बताना इतिहास की सच्चाई से मुँह मोड़ने जैसा है
  • राणा सांगा ने बाबर को नहीं बुलाया, बल्कि पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खान ने उसे आमंत्रित किया था।
  • उन्होंने दिल्ली, मालवा और गुजरात के सुल्तानों को हराया और बाबर से भी युद्ध किया
  • यदि बाबर के पास तोपें न होतीं, तो राणा सांगा ही भारत के सम्राट बनते।
  • खानवा की लड़ाई में हिंदू एकता टूट गई, जिससे मुगलों को अगले 250 सालों तक भारत पर राज करने का अवसर मिला।

राणा सांगा हिंदू वीरता के प्रतीक थे, जिन्हें भारत का इतिहास हमेशा सम्मान के साथ याद करेगा।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪

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