राफेल सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह भारतीय वायुसेना को अत्याधुनिक तकनीक और निर्णायक बढ़त प्रदान करता है।
राफेल पर सवाल या साजिश? सच्चाई क्या है?
क्या आप जानते हैं कि भारत को राफेल फाइटर जेट्स एयरफोर्स में शामिल करने में 22 साल लग गए?
- न पैसे की कमी थी,
- न तकनीक या क्षमता की।
- असली कारण था: भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और दलालों–राजनेताओं–बिके हुए संस्थानों का गठजोड़,
- जिन्होंने देश की सुरक्षा को निजी फायदे के लिए गिरवी रख दिया।
कारगिल 1999: एक अनदेखा चेतावनी संकेत
- पाकिस्तान ने छद्म युद्ध छेड़ा।
- भारतीय जवानों ने बर्फीली चोटियों पर चढ़कर वीरता दिखाई।
- IAF ने पुराने लेकिन भरोसेमंद मिराज 2000 का इस्तेमाल कर युद्ध पलटा। इसके बाद IAF ने गुहार लगाई:
- “हमें आधुनिक मल्टी-रोल फाइटर जेट्स चाहिए।” पर सरकारें सोई रहीं।
पुराने जेट, बढ़ते बलिदान
- मिग-21: उड़ते ताबूत
- जगुआर और मिग-27: जंग लगे अवशेष
- सुखोई: अच्छे, पर स्पेयर पार्ट्स की कमी
- दुश्मन अपग्रेड करता रहा। हमारे पायलट पुराने विमानों पर जान जोखिम में डालते रहे।
लालफीताशाही का जाल
- 2000: IAF ने आधिकारिक अनुरोध भेजा
- 2000–2007: फाइलें धूल खाती रहीं
- 50+ पायलट क्रैश में मरे, कोई जवाबदेही नहीं
दलाली और भ्रष्टाचार
- 2012: राफेल चयनित
- पर दलाल प्रकट हुआ — गोपनीय MOD दस्तावेज़, कीमतें, ऑफ़र लीक
- मारीशस और फर्जी कंपनियों के जरिए लेन-देन
- HAL के शामिल होते ही डील में देरी और भ्रम पैदा हुआ
2014–2015: बदलाव की शुरुआत
- मोदी सरकार ने पुरानी डील को रद्द कर सीधे फ्रांस से 36 राफेल खरीदे। ना दलाल, ना भ्रष्टाचार — सिर्फ़ राष्ट्रहित।
2020–2022: राफेल भारत की धरती पर
- 5 वर्षों में सभी जेट डिलीवर।
- IAF को मिला आधुनिक “दांत” और मारक क्षमता।
भीतर से हमला: सौदे को रोकने की साजिश
- 2018: कांग्रेस से जुड़े वकीलों और नेताओं की PILs — (प्रशांत भूषण, संजय सिंह, यशवंत सिन्हा)
- 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कीं
- लेकिन “चौकीदार चोर है” जैसे झूठे नारे गूंजते रहे
2025: ऑपरेशन सिंदूर — राफेल की असली परीक्षा
- IAF ने सर्जिकल स्ट्राइक में राफेल का प्रयोग कर दुश्मन के कैंप तबाह किए जीत तेज़ और सटीक थी।
- फिर भी आलोचकों ने पूछा: “कितने जेट गिरे? खर्च जायज़ था?”
- किसी ने पायलटों की वीरता नहीं देखी।
असल दुश्मन: भारत विरोधी इकोसिस्टम
- दलाल नेता,
- विदेशी लॉबी के एजेंट बाबू,
- बिके हुए पत्रकार,
- फ़र्ज़ी थिंक टैंक,
- और राष्ट्रविरोधी “इन्फ्लुएंसर” —
जो भारत को फिर से गुलाम बनाने के उपकरण हैं।
वैश्विक गेम: भारत को कमजोर रखने की साजिश
- भारत यदि सैन्य रूप से मजबूत होता है, तो चीन-पश्चिमी वर्चस्व खतरे में आता है। इसलिए ये ताकतें चाहती हैं कि भारत पुराने हथियारों पर निर्भर रहे।
आज की तैयारी
- भारत के पास 31 स्क्वाड्रन हैं, ज़रूरत है कम से कम 42 की — दो मोर्चों पर युद्ध के लिए।
- सोचिए, अगर हमने 2000 में शुरुआत की होती?
- अगर राफेल नहीं होता तो क्या हम ऑपरेशन सिंदूर इतनी सफलता से कर पाते?
राष्ट्रीय सुरक्षा कोई “बजट लाइन” नहीं — यह भारत की रीढ़ है।
- अगर यह रीढ़ फिर से टूटी, तो हम फिर कभी खड़े नहीं हो पाएंगे। हम वहीं गिरेंगे, जहां से कभी उठे थे।
राष्ट्रभक्तों के लिए आह्वान
- खतरे को समझिए — अंदर और बाहर से
- दलालों को उजागर करिए
उन नेताओं का समर्थन करिए जो भारत की संप्रभुता को सर्वोपरि मानते हैं क्योंकि राफेल सिर्फ़ एक जेट नहीं — भारत की वापसी का प्रतीक है।
जय भारत, वन्देमातरम
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