विदेश दौरों को लेकर उठते सवाल
राहुल गांधी की रहस्यमयी विदेश यात्रा ने देशभर में चर्चाओं को जन्म दिया है। क्या यह सिर्फ एक निजी दौरा था या इसके पीछे कोई गुप्त रणनीति छिपी है? आइए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी पूरी कहानी।
- राहुल गांधी एक बार फिर “अकेले” और “बिना किसी आधिकारिक जानकारी” के विदेश दौरे पर निकल चुके हैं। इस बार गंतव्य है — बहरीन।
- लेकिन यह केवल एक विदेश यात्रा नहीं है।
ठीक उसी समय, पाकिस्तान की सेना और ISI का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी बहरीन में मौजूद है।
अब सवाल उठता है —
🔍 क्या यह केवल एक टाइमिंग का संयोग है?
🔍 या फिर बार-बार दोहराया जाने वाला एक रणनीतिक पैटर्न?
🤐 कोई सार्वजनिक एजेंडा नहीं, कोई मीडिया को जानकारी नहीं — क्यों?
राहुल गांधी की इस यात्रा में:
- कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं
- कोई पार्टी की आधिकारिक घोषणा नहीं
- कोई सार्वजनिक बैठक नहीं
बस चुपचाप “अकेले” निकल जाना और पहुंच जाना उस देश में, जहाँ उसी वक्त भारत-विरोधी ताकतें सक्रिय हैं।
यह ट्रेंड नया नहीं है।
- जब-जब भारत आतंकवाद पर कड़ा एक्शन लेता है, तब-तब राहुल गांधी या कांग्रेस से जुड़े कुछ लोग “सीमावर्ती या इस्लामी देशों” में देखे जाते हैं — बिना किसी स्पष्ट उद्देश्य के।
🧠 क्या यह सिर्फ एक निजी दौरा है? या छिपे हुए एजेंडे की तैयारी?
यह पहला मौका नहीं है। याद कीजिए:
- डोकलाम विवाद के समय राहुल गांधी गुपचुप चीन के अधिकारियों से मिले।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद लंदन और दुबई जैसे जगहों पर उनकी मौजूदगी पर सवाल उठे।
- 2023 में जब भारत ने PoK में रणनीतिक बढ़त ली, उसी सप्ताह राहुल नेपाल गए, जहाँ कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से गुप्त मुलाकातें हुईं।
- हर बार कांग्रेस “निजी यात्रा” कहकर सफाई देती है, लेकिन सवाल यह है:
🛑 क्या निजी यात्राएँ बार-बार उन्हीं देशों और उन्हीं समयों पर क्यों होती हैं, जहाँ भारत के विरोधी रणनीति बना रहे होते हैं?
⚠️ बहरीन क्यों अहम है इस वक्त?
- बहरीन इस समय पाकिस्तानी डिफेंस नेटवर्क और खाड़ी देशों के कूटनीतिक गठजोड़ के केंद्र में है।
- ISI की गतिविधियों को यहां अरब फंडिंग के माध्यम से संचालित किया जाता है।
- भारत विरोधी लॉबियाँ खाड़ी में खासतौर पर ‘कश्मीर मुद्दे’, ‘CAA’, और ‘संघ विरोध’ को भड़काने के लिए सक्रिय हैं।
तो ऐसे समय में राहुल गांधी की बहरीन में “अकेली मौजूदगी” — किसके निमंत्रण पर? और किस उद्देश्य से? — यह प्रश्न न केवल राजनीतिक है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
📜 जनता के सामने सवाल बेहद स्पष्ट हैं:
- क्या राहुल गांधी इस यात्रा पर भारतीय एजेंसियों को पूर्व सूचना दिए बिना गए?
- क्या उनकी बहरीन यात्रा में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से किसी भी प्रकार की मुलाकात हुई या निर्धारित है?
- यदि यह “निजी यात्रा” है, तो इतनी गोपनीयता क्यों?
- क्या कांग्रेस पार्टी ने इस यात्रा को पार्टी मंच पर अनुमोदित किया है?
🔍 जब भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और सीमा सुरक्षा पर सख्त कदम उठा रहा है — विपक्षी नेता गुप्त विदेश यात्राओं पर क्यों निकलते हैं?
- क्या यह राजनैतिक छुट्टी है या रणनीतिक छल?
- क्या यह लोकतंत्र का उपयोग कर राष्ट्रविरोधी गठबंधनों का निर्माण करने का प्रयास है?
- क्या इन यात्राओं से भारत की कूटनीतिक स्थिति को नुकसान पहुँचाने की मंशा जुड़ी है?
🔥 अब चुप्पी नहीं चलेगी – हर देशभक्त को पूछना होगा: राहुल, तुम्हारी नीयत क्या है?
- जब सैनिक सीमा पर जान दे रहे हैं,
- जब कश्मीर में घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों पर सेना कड़ी कार्रवाई कर रही है —
- तब विपक्ष का नेता उन्हीं देशों की गोद में क्यों जाता है जहाँ से भारत को सबसे अधिक खतरा है?
🚩 यह वक्त है देशहित और राष्ट्रवाद के पक्ष में खड़ा होने का
- देश की जनता अब “राजनैतिक छुट्टियों के पर्दे” के पीछे छिपे खतरनाक गठजोड़ों को समझ रही है।
- राहुल गांधी को देश के समक्ष स्पष्ट रूप से बताना होगा — क्या वे भारत के साथ हैं, या भारत के विपक्षी अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ के साथ?
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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