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राहुल गांधी की राजनीति

राहुल गांधी की छात्रों, किसानों और दलितों के लिए झूठी सहानुभूति: कांग्रेस का इतिहास सत्ता, स्वार्थ और वोट बैंक की राजनीति का प्रतीक

🔷 प्रस्तावना: वंचितों के लिए बनावटी सहानुभूति

जब राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी छात्रों, किसानों या वंचित समुदायों की बात करती है, तो वह करुणा या सच्ची चिंता नहीं होती — बल्कि सत्ता में वापसी की एक रणनीतिक और हताश कोशिश होती है। भारत के इतिहास में कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रीय हितों के बजाय सत्ता को प्राथमिकता दी है, और इसके लिए सामाजिक सद्भाव, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा तक को बलिदान कर दिया।

🔷 कांग्रेस की विरासत: राष्ट्रीय प्रगति नहीं, वंशवादी राजनीति

1947 में आज़ादी के बाद से कांग्रेस एक लोकतांत्रिक संस्था नहीं, बल्कि एक पारिवारिक राजनीतिक कंपनी के रूप में चली है।

  • जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी तक पार्टी और सत्ता केवल एक ही परिवार के हाथों में रही।
  • छह दशक से अधिक समय तक भारत पर शासन करने के बावजूद कांग्रेस ने न तो संस्थानों को सशक्त किया, न ही तंत्रों का आधुनिकीकरण किया और न ही सत्ता का विकेंद्रीकरण किया।

विपक्ष का सामना होने पर कांग्रेस ने आपातकाल (1975) जैसे निर्णयों से लेकर अलगाववादियों और चरमपंथियों की तुष्टिकरण की नीतियों तक, राष्ट्र की अखंडता से समझौता करने में कोई संकोच नहीं किया।

🔷 वोट बैंक की राजनीति: छात्रों, किसानों, मुसलमानों, दलितों और पिछड़ों का शोषण

कांग्रेस ने इन वर्गों को केवल चुनावी मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन कभी इनका वास्तविक सशक्तिकरण नहीं किया:

  • छात्र: ABVP पर 1970 के दशक में दमन हो या देश में राष्ट्रविरोधी नारों का समर्थन, कांग्रेस ने छात्रों को केवल अशांति भड़काने के लिए इस्तेमाल किया, न कि रोजगार, स्किल या उद्यमिता जैसे रचनात्मक उपायों के लिए।
  • किसान: हर चुनाव से पहले ऋण माफी का वादा, लेकिन MSP की गारंटी, सिंचाई सुधार या मंडियों तक सीधा पहुंच जैसी कोई दीर्घकालिक नीति नहीं बनी।
  • मुस्लिम: शिक्षा और उद्यमिता की जगह मदरसा आधारित अलगाव और तुष्टिकरण की नीति अपनाई गई — जैसे शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देना।
  • दलित और OBC: आरक्षण के झूठे वादे और प्रतीकात्मक राजनीति के ज़रिए केवल चुनावी हथियार बनाए गए, कभी इन्हें नीति-निर्माण, उद्योग या नेतृत्व में सशक्त नहीं किया गया।

🔷 राष्ट्र सुरक्षा और हिंदू संस्कृति को खतरे में डालना

कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति ने बार-बार भारत की पहचान और सुरक्षा से खिलवाड़ किया:

  • अवैध घुसपैठ: इंदिरा गांधी ने 70–80 के दशक में बंगाल और असम में वोट के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ को अनदेखा किया।
  • इस्लामी कट्टरवाद: मुस्लिम वोट बैंक के लालच में कांग्रेस ने वहाबी फंडिंग, कट्टरपंथी मौलवियों और मस्जिदों-मदरसों में कट्टर सोच को पनपने दिया।
  • हिंदू विरोध: 2004–2014 के यूपीए शासन में “हिंदू आतंकवाद” जैसा शब्द गढ़कर भारत की वैश्विक छवि और आंतरिक एकता को चोट पहुंचाई गई।

🔷 वर्तमान एजेंडा: भारत को अस्थिर करना, कट्टरपंथियों को मजबूत करना

राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो’ के नाम पर इसी खतरनाक राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं:

  • शाहीन बाग, JNU, CAA दंगे, टूलकिट और विदेशी प्रचार अभियानों का समर्थन किया जिससे भारत को फासीवादी दिखाने की कोशिश हुई।
  • कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार, मंदिरों की तोड़फोड़, जबरन धर्मांतरण पर चुप्पी, लेकिन अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों की खुली हिमायत।
  • उनकी राजनीतिक नज़दीकियां इस्लामी कट्टर नेताओं और भारत विरोधी तत्वों से जुड़ी हैं, जो भारत की एकता और संस्कृति को तोड़ने की कोशिश हैं।

🔷 विकल्प और दृष्टिकोण: मोदी सरकार का राष्ट्र निर्माण एजेंडा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक निर्णायक और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है:

  • सैन्य और रणनीतिक शक्ति: ऑपरेशन सिंदूर, बालाकोट स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक से साबित हुआ कि अब भारत चुप नहीं रहेगा।
  • टेक्नोलॉजी में उन्नति: चंद्रयान-3, आदित्य L1, रक्षा निर्यात, सेमीकंडक्टर निर्माण — भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
  • आर्थिक विकास और वैश्विक नेतृत्व:भारत G20, क्वाड और ब्रिक्स जैसे मंचों पर निर्णायक भूमिका निभा रहा है, टेस्ला, एप्पल, फॉक्सकॉन जैसी कंपनियां निवेश कर रही हैं।
  • सांस्कृतिक पुनर्जागरण: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में श्रीराम मंदिर — हिंदू विरासत को पुनः गौरव दिलाने के प्रयास।

🔷 भारत के सामने असली चयन

  • छात्रों, किसानों, वंचितों के प्रति कांग्रेस की सहानुभूति एक राजनीतिक चाल है, सच्चाई नहीं।

  • राहुल गांधी की राजनीति एक बार फिर ‘फूट डालो, तुष्टिकरण करो और लूटो’ की विफल कांग्रेस रणनीति को दोहराने की कोशिश है।
  • मोदी सरकार, अपनी कठिनाइयों के बावजूद, एक दूरदर्शी, राष्ट्रवादी और सनातनी मूल्यों पर आधारित भारत का निर्माण कर रही है।

अब भारत को तय करना है:

  • एक वंशवादी और सड़ चुकी कांग्रेस, जो कट्टरपंथियों को बढ़ावा देती है और भारत को तोड़ती है,
    या
  • एक साहसी, आत्मनिर्भर और गौरवशाली भारत, जो सनातन धर्म की जड़ों में बसा है और वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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