1. भूमिका — आत्मसमर्पण की राजनीति
- राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राजनीति को आत्मसमर्पण की ऐसी दिशा में धकेल दिया है, जहां विचारधारा और राष्ट्रहित पीछे छूट गए हैं।
 - सत्ता पाने की लालसा ने कांग्रेस को विदेशी प्रचार तंत्रों, वामपंथी समूहों और राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ खड़ा कर दिया है।
 - नई पीढ़ी — खासकर Gen Z — ने इस नीति को नकार दिया है। अब युवा वर्ग कांग्रेस को एक थकी, भ्रमित और विदेशी मानसिकता पर आश्रितपार्टी के रूप में देखता है, जिसका देश के भविष्य से कोई जुड़ाव नहीं बचा।
 
2. कांग्रेस का लगातार पतन और जनविश्वास की हानि
- 1984 के बाद से कांग्रेस कभी बहुमत नहीं पा सकी — यह उसकी विश्वसनीयता में गिरावट का प्रतीक है।
 - पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की हर राष्ट्रवादी नीति का कांग्रेस ने आंख मूंदकर विरोध किया — चाहे वह अनुच्छेद 370 का हटना हो या सीएए (CAA) जैसे मानवीय कानून।
 - विकास और राष्ट्रहित के मुद्दों पर चर्चा के बजाय, कांग्रेस ने “विरोध के लिए विरोध” की नीति अपनाई।
 - इसके कारण पार्टी का लोकतांत्रिक महत्व और जनता से जुड़ाव दोनों समाप्त हो गया।
 
परिणामस्वरूप, कई वरिष्ठ और व्यावहारिक नेता अब पार्टी छोड़कर सच्चाई उजागर करने लगे हैं — कांग्रेस के 70 वर्षों के घोटालों, भ्रष्टाचार और दोहरेपन को सामने ला रहे हैं।
3. विदेशी प्रभाव और राष्ट्रविरोधी गठजोड़
- मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में कांग्रेस ने BBC, वामपंथी संगठनों और विदेशी लॉबी के साथ गठजोड़ किया।
 - राहुल गांधी के बयानों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने वाले विदेशी मीडिया और NGO नेटवर्क, भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर नुकसान पहुँचाने का काम कर रहे हैं।
 - अमेरिका के तथाकथित “Deep State” नेटवर्क ने भी मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और विरोधों को बढ़ावा दिया।
 - ये वही ताकतें हैं जो भारत जैसे उभरते राष्ट्रों को अस्थिर करना चाहती हैं ताकि पश्चिम का वर्चस्व बना रहे।
 - कांग्रेस इन ताकतों का मोहरा बनकर न केवल अपनी साख बल्कि राष्ट्रहित को भी नुकसान पहुँचा रही है।
 
4. झूठे नैरेटिव और सोशल मीडिया का जाल
- “Narendra Surrender” जैसी भाषा, झूठे आँकड़े और अधूरे तथ्यों का प्रचार कांग्रेस की पहचान बन चुका है।
 - सोशल मीडिया पर कांग्रेस समर्थक समूह लगातार फर्जी वीडियो, गलत जानकारी और अफवाहें फैलाते हैं।
 - जनता को भ्रमित कर सत्ता पाने की यह पुरानी नीति अब उलटी पड़ रही है।
 - आज जब मोदी सरकार ने जनधन, DBT, UPI जैसी योजनाओं से करोड़ों लोगों के जीवन में पारदर्शिता लाई, तब भी कांग्रेस ने इन सफलताओं को नकारने की कोशिश की।
 - लेकिन सच यह है कि देश की जनता अब तथ्यों और उपलब्धियों के आधार पर निर्णय ले रही है — न कि अफवाहों पर।
 
5. युवा वर्ग और Gen Z का विद्रोह
- भारत का Gen Z वर्ग तकनीकी रूप से सशक्त और जागरूक है।
 - वे प्रचार नहीं, परिणाम देखते हैं — और मोदी सरकार की योजनाओं के ठोस परिणाम उन्हें दिखाई देते हैं।
 - जनधन योजना के 55 करोड़ खाते, उज्ज्वला योजना के 10 करोड़ गैस कनेक्शन, आयुष्मान भारत के करोड़ों लाभार्थी, प्रधानमंत्री आवास योजना के 4 करोड़ घर — ये आंकड़े स्वयं बोलते हैं।
 - Gen Z अब कांग्रेस, BBC या विदेशी मीडिया के झूठे प्रचार के प्रभाव में नहीं आता।
 - यह पीढ़ी पारदर्शिता, राष्ट्रवाद और विकास की भाषा बोलती है।
 - यही युवा आज कांग्रेस के भ्रमित और नकारात्मक एजेंडे को पूरी तरह अस्वीकार कर चुका है।
 
6. न्यायपालिका और भरोसे का संकट
- आज न्यायपालिका पर पक्षपात और बाहरी दबाव के आरोप बढ़ते जा रहे हैं।
 - कई न्यायमूर्तियों ने स्वयं स्वीकार किया है कि “जब अदालतें बाहरी दबाव से मुक्त होंगी तभी जनता का विश्वास लौटेगा।”
 - जनता में यह धारणा बढ़ रही है कि भ्रष्ट राजनेता और अपराधी तो आसानी से जमानत पा जाते हैं, लेकिन राष्ट्रवादी और देशभक्त कार्यकर्ता मामूली मामलों में लंबे समय तक फंसे रहते हैं।
 - न्यायिक सुधार अब केवल विधिक आवश्यकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरताका अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।
 - यदि सुधार नहीं हुए, तो Gen Z और राष्ट्रवादी वर्ग में असंतोष और अधिक गहराएगा।
 
7. कांग्रेस का आंतरिक विघटन — डूबते जहाज की कहानी
- कांग्रेस के अंदर अब नेतृत्व का संकट और वैचारिक भ्रमचरम पर है।
 - कभी “मुस्लिम तुष्टिकरण” तो कभी वोट पाने के लिए “सॉफ्ट हिंदुत्व” — पार्टी की नीतियों में कोई स्थिरता नहीं।
 - वरिष्ठ नेता धीरे-धीरे पार्टी छोड़ रहे हैं, कई क्षेत्रीय संगठन अलग हो रहे हैं।
 - राहुल गांधी का नेतृत्व न केवल अप्रभावी साबित हुआ है बल्कि पार्टी को पूर्ण राजनीतिक एकाकीपन की ओर ले जा रहा है।
 - कांग्रेस अब “डूबता हुआ जहाज” बन चुकी है, जिसमें समझदार और सच्चाई बोलने वाले लोग अब बाहर निकल रहे हैं।
 
8. असली संघर्ष — भारत का उदय बनाम पुरानी व्यवस्था का भय
- आज की लड़ाई केवल भाजपा बनाम कांग्रेस नहीं है; यह नए उभरते भारत और सड़ी हुई पुरानी व्यवस्था के बीच का संघर्ष है।
 - मोदी सरकार का मॉडल है — विकास, आत्मनिर्भरता और राष्ट्र सुरक्षा, जबकि पुरानी व्यवस्था का मॉडल था — घोटाले, दलाली और कमीशन।
 - वे नेता, अफसर और कारोबारी जो पहले भ्रष्टाचार से फल-फूल रहे थे, अब मोदी सरकार के कठोर शासन से अपनी ताकत खो चुके हैं।
 - यही कारण है कि वे सब मिलकर एक “ठगबंधन” बना चुके हैं — जिसमें विदेशी ताकतें, आतंक समर्थक और विपक्षी दल एकजुट हैं।
 - लेकिन अब जनता जाग चुकी है। लोग जानते हैं कि यह लड़ाई मोदी बनाम विपक्ष नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद बनाम भ्रष्टाचार की लड़ाई है।
 
9. आगे का मार्ग — राष्ट्रीय चेतना और युवा जागरूकता
- भारत की ताकत अब उसके जागरूक नागरिकों और युवाओं में है।
 - हर नागरिक को जागरूक होकर राष्ट्रविरोधी प्रचार, विदेशी हस्तक्षेप और झूठे एजेंडों को नकारना होगा।
 - संस्थाओं की मजबूती, पारदर्शिता और कानून के राज की रक्षा — यही आज की देशभक्ति है।
 - भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि युवा वर्ग कितनी मजबूती से राष्ट्र की एकता, सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा करता है।
 - राष्ट्र के प्रति जागरूकता ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति है।
 
10. कांग्रेस युग का अंत और नई पीढ़ी का उदय
- राहुल गांधी की “सरेंडर नीति” ने कांग्रेस की बची-खुची साख भी समाप्त कर दी है।
 - विदेशी गठजोड़, राष्ट्रविरोधी झुकाव और झूठे नैरेटिव पर टिके इस दल ने अब अपनी ऐतिहासिक जड़ें भी खो दी हैं।
 - भारत की नई पीढ़ी — विशेष रूप से Gen Z — ने इस भ्रम और तुष्टिकरण की राजनीति को अस्वीकार कर दिया है।
 - यह अब राष्ट्रवाद, विकास और पारदर्शिता की राजनीति चाहती है।
 - कांग्रेस का युग समाप्त हो रहा है — और भारत के एक नए स्वाभिमानी युग की शुरुआत हो चुकी है।
 
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
पुराने ब्लॉग्स के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
हमारे व्हाट्सएप कम्यूनिटी में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/FMr2WNIgrUVG9xK78FW5Dl?mode=r_t
टेलीग्राम ग्रुप से जुडने के लिए https://t.me/+T2nsHyG7NA83Yzdlपर क्लिक करेँ। पुराने ब्लॉग्स टेलीग्राम ग्रुप पर भी उपलब्ध हैं।
