मोदी का नेतृत्व बनाम राहुल की राजनीति
1. संसदीय जिम्मेदारियों से दूरी
- नेता प्रतिपक्ष के पद पर होते हुए भी संसद में उपस्थिति 50% से भी कम रही।
- केवल 8 बहसों में भाग लिया, जबकि औसत सांसद 15 से अधिक बार भाग लेते हैं।
- एक भी निजी विधेयक नहीं पेश किया गया — एक निष्क्रिय और गैर-जिम्मेदार विपक्ष।
2. भारत को विदेशों में बदनाम करना
- अमेरिका, लंदन, वियतनाम जैसी यात्राओं में भारत की तुलना सीरिया और इराक से करना।
- भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और सेना पर खुली आलोचना — जिसे पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश भारत के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं।
3. हिंदू धर्म और राष्ट्रनायकों का अपमान
- मनुस्मृति पर विवादित बयान दिए, जिसके चलते उन्हें शंकराचार्य द्वारा सनातन धर्म से निष्कासित किया गया।
- वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई और चेतावनी दी।
4. चुनावी हार और संगठनहीनता
- 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार करारी हार।
- महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र, सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल में पार्टी की हालत दयनीय।
- भारत जोड़ो यात्रा सिर्फ एक मीडिया इवेंट बनकर रह गई — ज़मीनी प्रभाव शून्य।
5. छुट्टियों का नेता
- विदेशों में 40 से अधिक दिन बिताए, जबकि देश में गंभीर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे उठाने से परहेज़ किया।
✅ नरेंद्र मोदी का एक साल – कर्तव्य, नेतृत्व और राष्ट्रहित
1. ऑपरेशन सिंदूर – साहसी निर्णय और रणनीतिक जीत
- पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकी हमले के बाद भारत ने पहली बार जवाब में रणनीतिक हवाई हमले किए।
- सीमित लक्ष्यों को निशाना बनाकर आतंकियों के अड्डों को नष्ट किया गया — बिना युद्ध छेड़े।
- दुनिया ने भारत की सैन्य क्षमता और संयमित शक्ति को स्वीकार किया।
2. वैश्विक स्तर पर भारत का सम्मान
- G20 की अध्यक्षता, BRICS, QUAD और SCO में प्रभावी उपस्थिति।
- भारत को अब वैश्विक शक्ति और रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जा रहा है।
3. जनकल्याण योजनाओं का प्रभाव
- जल जीवन मिशन, पीएम किसान, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने करोड़ों भारतीयों का जीवन बदला।
- डिजिटल इंडिया ने गांव-गांव में तकनीकी पहुंच बढ़ाई और सरकारी सेवाएं आम नागरिक तक पहुंचाई।
- आत्मनिर्भर भारत और रक्षा सशक्तिकरण
- रिकॉर्ड रक्षा निर्यात और स्वदेशी हथियार निर्माण की दिशा में तेज़ी।
- सीमा सुरक्षा में नए टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे का विकास।
⚔️ स्पष्ट अंतर: एक नेता सिर्फ आलोचना करता है, दूसरा राष्ट्र निर्माण करता है
राहुल गांधी:
- संसद में निष्क्रिय
- विदेशों में देश की छवि खराब करना
- चुनावी विफलता
- धार्मिक भावनाओं का अपमान
- छुट्टियों और भ्रमण में व्यस्त
नरेंद्र मोदी:
- संसद और नीति निर्माण में सक्रिय
- विश्व मंच पर भारत का गौरव बढ़ाना
- आतंक पर कड़ा प्रहार
- सनातन संस्कृति को सम्मान
- 24×7 राष्ट्रसेवा में समर्पित
🚨 मीडिया और विपक्ष का दोगलापन — जनता को गुमराह करने की साजिश
आज सिर्फ The Wire नहीं, बल्कि पूरा एक एंटी-नेशनल, एंटी-हिंदू इकोसिस्टम — जिसमें वामपंथी, मुस्लिम कट्टरपंथी, लुटियन मीडिया, झूठ फैलाने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी और गद्दार हिन्दू — एक साथ मिलकर:
- मोदी सरकार की हर पहल को बदनाम कर रहे हैं,
- जनता को गुमराह करने के लिए झूठे प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं,
- भारत की छवि को वैश्विक मंचों पर कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन अब देश की जनता जाग रही है। उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रही है
🔔 अब निर्णय का समय है: भ्रम या भारत?
- क्या आप उस नेता पर भरोसा करेंगे जो संसद से गायब रहता है, विदेशी मंचों से अपने देश को गाली देता है?
- या उस नेता पर, जो दिन-रात देश के लिए काम कर रहा है, वैश्विक मंचों पर भारत का नेतृत्व कर रहा है, और आपके भविष्य को सुरक्षित बना रहा है?
👉 अब वक्त है राष्ट्र को चुनने का, ना कि परिवार को।
👉 अब वक्त है विकास और विश्वासको चुनने का, ना कि विफलता और भ्रम को।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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