राष्ट्र और धर्म की रक्षा
🔱 भाग-1: “इतिहास — हमारी चेतना का आईना या केवल परीक्षा की किताब?”
- हमारा इतिहास कोई मृत लेख नहीं — ये वो दर्पण है, जिसमें हम अपना वर्तमान और भविष्य दोनों देख सकते हैं।
- लेकिन अफ़सोस — हमने इतिहास को सिर्फ तिथियों और युद्धों का संग्रह मान लिया है, न कि अपने आत्मघात और ग़लतियों की चेतावनी।
🧱 अंग्रेज़ 10 हज़ार थे — हम 32 करोड़!
- फिर भी हम 200 साल गुलाम रहे, क्यों?
- क्योंकि अंग्रेज़ों की सेना में हम थे।
🔥 जलियांवाला बाग में अंग्रेज़ नहीं, हिन्दुस्तानी ही गोली चला रहे थे।
- सिर्फ एक भी सिपाही ने कहा होता —
- “मैं अपने ही निर्दोष भाइयों पर गोली नहीं चलाऊँगा” —
- तो इतिहास बदल सकता था।
⚔️ मुग़ल आए — चंद हज़ारों की संख्या में
- और 800 साल राज कर गए क्यों?
- क्योंकि हर बार कोई राजा मानसिंह, कोई मीर जाफ़र, कोई जयचंद था —
- जिसने राष्ट्र नहीं, अपने स्वार्थ को चुना।
🔱 भाग-2: “आज के जयचंद कौन हैं?”
क्या हमने 2024 में फिर वही नहीं किया?
- एक ऐसा व्यक्ति, जिसने 20+ साल से बिना छुट्टी, बिना लालच, देश की सेवा की
- उसे हम भ्रांति, मीडिया की अफवाहों और जाति-धर्म के ज़हर के आधार पर ठुकरा आए।
> जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा,
> जो CAA, NRC के ज़रिए भारत की सुरक्षा चाहता था,
> जो हर गाँव तक सड़क, पानी, गैस और इंटरनेट पहुँचाना चाहता था —
उसे तानाशाह और चोर कहकर बदनाम किया गया।
- लेकिन जिस विपक्ष ने 75 साल देश को लूटा,
- जिसने हिन्दुओं का कत्ल कराके दंगे कराए,
- जो आतंकी और घुसपैठियों के संरक्षक हैं,
- उन्हें हमने फिर से राजनीति का केंद्र बना दिया।
> क्या यह मानसिंह की पुनरावृत्ति नहीं?
> क्या यह जयचंद की आत्मा का पुनर्जन्म नहीं?
🔱 भाग-3: “संघर्ष आज भी वही है — बस चेहरे बदल गए हैं”
- महाराणा प्रताप बनाम अकबर
- शिवाजी बनाम औरंगज़ेब
- सुभाष चंद्र बोस बनाम नेहरू
- आज मोदी बनाम गठबंधन+मीडिया+अर्बन नक्सल+जिहादी+ईसाई एजेंडा
> हर युग में एक योद्धा होता है —
> जो अकेला खड़ा होता है राष्ट्र के लिए,
> और उसके विरोध में खड़े होते हैं — अपने ही!
- आज भी एक मोदी है — जो न कभी छुट्टी पर गया, न किसी को बचाया, न झुका।
- और दूसरी ओर हैं वो सब — जो लूट, तुष्टिकरण, धर्मांतरण, देशद्रोह और अराजकता के प्रतीक हैं।
🔱 भाग-4: “ताइवान का आईना — और भारत का आत्ममंथन”
ताइवान के एक साधारण से युवक का एक वाक्य —
पूरे भारत को झकझोरने के लिए काफी है:
- “हम तुम भारतीयों से दोस्ती नहीं करते, क्योंकि जब तुम अपने ही देश और धर्म से गद्दारी कर सकते हो, तो हमारे क्या बनोगे?”
> यह शब्द नहीं, एक ललकार है।
> यह आलोचना नहीं, एक चेतावनी है।
🔱 भाग-5: “अब भी समय है — लौट आइए!”
अगर आज हम नहीं चेते — तो कल इतिहास यही कहेगा:
- “2024 में भारत के पास एक सुनहरा मौका था,
लेकिन उन्होंने फिर से जयचंदों को चुना।” - “एक नेता था, जिसने वंशवाद को रोका,
घोटालों को मिटाया, - और विश्व मंच पर भारत को खड़ा किया —
लेकिन उसे ही जनता ने ठुकरा दिया।”
🚩 अब नहीं तो कब? — एक आत्मघोषणा करें:
- मैं किसी जयचंद को वोट नहीं दूँगा
- मैं इतिहास से सबक लूँगा
- मैं धर्म, राष्ट्र और सनातन संस्कृति की रक्षा करूँगा
- मैं अपने बच्चों को सच्चा इतिहास पढ़ाऊँगा
- मैं समाज में जागृति फैलाऊँगा
- राष्ट्रभक्त सरकार का समर्थन करूंगा।
🛑 “हमारे पूर्वजों की ग़लतियों की सज़ा हम आज भी भुगत रहे हैं ,
- अब अगर हम ग़लती करेंगे — तो हमारी अगली पीढ़ी हमें माफ़ नहीं करेगी!”
🚩🙏 जय श्री राम | जय भारत | जय सनातन 🙏 🚩
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