यह लेख राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्र-विरोध आज के भारत की सबसे बड़ी वैचारिक लड़ाई को सामने लाता है। एक ओर है राष्ट्रवाद, जो देश की अखंडता, सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करता है; दूसरी ओर हैं वे ताकतें जो तुष्टिकरण, वोटबैंक और विदेशी एजेंडे के ज़रिए भारत को भीतर से कमजोर करने की कोशिश करती हैं। यह सिर्फ राजनीति नहीं, भारत के अस्तित्व की परीक्षा है।
जब राष्ट्र पर होता है हमला — तो कौन होते हैं हमलावरों के रक्षक?
- जब भी भारत की एकता, अखंडता या उसकी सांस्कृतिक पहचान पर हमला होता है, कुछ “परिचित चेहरे” अचानक सक्रिय हो जाते हैं —
- आतंकियों के लिए कोर्ट में खड़े होते हैं
- दंगाइयों को “शोषित” बताने लगते हैं
- हिन्दू संतों, मंदिरों, और सनातन मूल्यों पर हमले को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का नाम देते हैं
- और हर बार मुस्लिम तुष्टिकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं।
👉 ये चेहरे और लॉबी अधिकांशतः कांग्रेस या उसकी सहयोगी पार्टियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं।
⚖️ “कानून” के नाम पर राष्ट्रद्रोह का मंच तैयार करने वाले चेहरे
हर बड़े राष्ट्रविरोधी प्रकरण में एक कॉमन लॉबी सक्रिय हो जाती है — वकीलों, नेताओं और बुद्धिजीवियों की यह लॉबी “न्याय” के नाम पर एजेंडा चलाती है:
कपिल सिब्बल:
- धारा 370 को हटाने का विरोध
- शाहीन बाग दंगाइयों की पैरवी
- उदयपुर फाइल्स जैसी हिन्दू पीड़ाओं पर कोर्ट में रोक लगाने का प्रयास
मनु सिंघवी:
- हिन्दू विरोधी विमर्शों को “कानूनी” वैधता देने में माहिर
दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, इंदिरा जयसिंह:
- टुकड़े-टुकड़े गिरोह, जिहादियों और अर्बन नक्सलियों के स्थायी वकील
👉 इनके लिए देश की सुरक्षा और अखंडता गौण होती है — अहम होता है उनका राजनैतिक एजेंडा और विदेशी ताकतों का समर्थन।
🎭 कांग्रेस का इतिहास: सत्ता के लिए देश के टुकड़े करना कोई नई बात नहीं
- 1947 से 2024 तक कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड देखें:
- वोटबैंक की राजनीति के लिए देश का विभाजन स्वीकार किया
- कश्मीर के अलगाववादियों को विशेष अधिकार और समर्थन दिया
- अल्पसंख्यकों के लिए शरीयत, वक्फ बोर्ड, मदरसे – लेकिन हिन्दू मंदिरों पर नियंत्रण
- राम मंदिर निर्माण रोकना, हिन्दू संतों को आतंकवादी बताना, सावरकर का अपमान
- UPA सरकार के दर्जनों घोटाले: 2G, CWG, कोयला, अगस्ता वेस्टलैंड
- लुटियन्स मीडिया, NGO नेटवर्क, और जिहादी लॉबियों को संरक्षण
👉 कांग्रेस का मूल एजेंडा रहा:
“लूटो, बांटो, और शासन करो” — देश भले जाए भाड़ में।
🛡️ 2014 के बाद मोदी सरकार ने भारत को दिया एक नया आत्मविश्वास
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पहली बार न सिर्फ आंतरिक गद्दारों को चुनौती दी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
- 370 हटाया – कश्मीर को पूरी तरह भारत में विलय किया
- CAA-NRC – भारत की पहचान और जनसंख्या संतुलन को बचाने की पहल
- राम मंदिर – सदियों पुराना स्वप्न साकार
- UCC की दिशा में अग्रसरता, तीन तलाक पर पूर्ण प्रतिबंध
- सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयरस्ट्राइक – आतंकवाद को करारा जवाब
- डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, G20 अध्यक्षता – वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भारत
👉 मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है:
“देश पहले, वोटबैंक बाद में।”
🕵️♂️ मीडिया, NGO और लॉबी का षड्यंत्र: एक सुनियोजित युद्ध
तीन हथियार हैं इस लॉबी के पास:
प्रोपेगेंडा मीडिया: Wire, Scroll, NDTV, BBC
हर राष्ट्रवादी कदम को “तानाशाही” साबित करना
ज्यूडिशियल एक्टिविज़्म:
कोर्ट में राष्ट्रहित रोकने वाली याचिकाएं दाखिल करना
अंतरराष्ट्रीय दबाव:
USCIRF, UN, Human Rights रिपोर्ट्स के ज़रिए भारत को बदनाम करना
👉 मक़सद?
भारत को एक “नियंत्रित इस्लामिक बाजार” में बदलना, और उसकी पहचान मिटा देना
⚔️ जनता के पास है दो विकल्प — अब निर्णय आपका है
विकल्प 1: कांग्रेस गठबंधन
- एक घोटालेबाज़, देशहित विरोधी हिंदुओं का दमन करने वाली मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाला गठबंधन
- घोटालेबाज़ वकील
- विदेशी एजेंडा चलाने वाली लॉबी
- तुष्टिकरण के नाम पर भारत को टुकड़ों में बाँटने वाले गिरोह
विकल्प 2: नरेंद्र मोदी सरकार
भारत की सुरक्षा, अखंडता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की राह
राष्ट्रवाद, विकास और आत्मगौरव की राजनीति
🚨 यह सिर्फ विचारधारा की नहीं — अस्तित्व की लड़ाई है
अगर आज हमने इस राष्ट्रद्रोही लॉबी को रोका नहीं…
तो कल:
- कन्हैयालाल की हत्या पर फिल्म नहीं बनेगी
- लव जिहाद पर कोई बहस नहीं होगी
- राम मंदिर नहीं बचेगा
- और हिन्दू नाम मात्र का रह जाएगा
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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