रोहिंग्या नैरेटिव
1. नूपुर पर तालियाँ, रोहिंग्या पर विरोध
जब जस्टिस सूर्यकांत ने नूपुर मामले में कड़ी टिप्पणी की तो:
- वामपंथ
- कांग्रेस
- इस्लामो-लिबरल इकोसिस्टम
- विदेशी मीडिया
ने उन्हें लोकतांत्रिक नायक कहा।
लेकिन 2025 में रोहिंग्या घुसपैठ पर उन्होंने कहा:
- “क्या सीमा तोड़कर घुसने वालों के लिए लाल कालीन बिछाना चाहिए?”
बस यहीं से वही समूह:
- अचानक आहत
- न्यायपालिका के दुश्मन घोषित
- संविधान के रक्षक बनते हुए
- एक ओपन लेटर लेकर सामने आ गए।
यह घटना बताती है कि जज नहीं बदले, नैरेटिव बदल गया।
2. सुप्रीम कोर्ट की कानूनी स्थिति — दया बनाम संप्रभुता नहीं, सिर्फ कानून
CJI सूर्यकांत ने अपने बयान में:
- रोहिंग्या को शरणार्थी नहीं, अवैध घुसपैठिया घोषित किया
- कहा कि वे भारत की कानूनी मान्यता सूची में शामिल नहीं
सरकार बाध्य नहीं कि उन्हें:
- आवास
- सरकारी संरक्षण
- राशन
- शिक्षा दे
यह सत्य है:
- शरण लेने की प्रक्रिया आधिकारिक दस्तावेज़ से गुजरती है
- सीमाएँ तोड़कर आए लोगों को स्वतः अधिकार नहीं
न्यायालय ने सहानुभूति नहीं, संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार बोला।
3. खुला पत्र लॉबी — संवैधानिकता की आड़ में राजनीति
4—5 दिसंबर को CJAAR, पूर्व न्यायाधीशों और वामपंथी कानूनी समूहों ने पत्र जारी किया:
- जज की टिप्पणी को अमानवीय, गैर–नैतिक, असंवैधानिक बताया
- अनुच्छेद 21 को रोहिंग्या पर लागू करने की मांग की
पर गंभीर प्रश्न:
- क्या हर अवैध घुसपैठिया अनुच्छेद 21 का दावेदार है?
- क्या राष्ट्रीय सुरक्षा संवेदनशीलता के नीचे दब जाएगी?
मानवाधिकार का अर्थ राष्ट्रहित की हत्या नहीं हो सकता।
4. कांग्रेस–थगबंधन मानसिकता — संविधान को अपनी सुविधानुसार रंग देना
l कांग्रेस और ठगबंधन का स्थायी सिद्धांत:
- जो उनके वोट, सत्ता, धर्मतुष्टिकरण के लिए लाभकारी — वही “संवैधानिक”
- जो राष्ट्रहित में कठोर, सुरक्षा आधारित, जनसांख्यिकीय नियंत्रण वाला — वही “असंवैधानिक”
वे संविधान को नैतिक दस्तावेज़ के रूप में नहीं, राजनीतिक ढाल के रूप में उपयोग करते हैं।
उदाहरण:
- नूपुर मामले में न्यायपालिका को उन्होंने हथियार बनाया
- रोहिंग्या मामले में उसी न्यायपालिका पर हमला
यह चयनित संवैधानिकता है— जहाँ कानून का मूल्य उसके अनुपालन में नहीं, किसके ख़िलाफ़ लागू हो रहा है इसमें है।
5. एनजीओ–विदेशी फंडिंग और लॉबी तंत्र
रोहिंग्या विवाद में सक्रिय:
- विदेशी फंडेड NGO
- ओपन सोसायटी / जॉर्ज सोरोस नेटवर्क
- UNHCR, एमनेस्टी, HRW
- कट्टर इस्लामी लॉबी
- भारत में Left–Activist–Lawyers Group
ये सभी लगातार भारत को संदेश दे रहे हैं:
- “रोहिंग्याओं को स्थाई शरण, नागरिकता और कल्याण योजनाएँ दो।”
पर विरोधाभास:
- यही नेटवर्क तिब्बती हिंदुओं, पाकिस्तानी हिंदुओं, श्रीलंकाई तमिलों पर कभी मुखर नहीं
यह मानवता नहीं, चयनित संवेदनशीलता है।
6. सुरक्षा आयाम — यह सिर्फ दया नहीं, जनसंख्या रणनीति भी
IB और सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट:
- हवाला रैकेट संबंध
- तस्करी नेटवर्क
- ARSA और ISIS लिंक
- जाली दस्तावेज़ सिंडिकेट
- रोहिंग्या बस्तियाँ सीमावर्ती जिलों में संगठित बढ़ोतरी
चिंता:
- यदि इन्हें “मानवाधिकार” के नाम पर बसाया गया,
- तो यह सिर्फ सामाजिक बोझ नहीं,
- बल्कि जनसंख्या दबाव और राजनीतिक बैलेंस बदलने का औजार होगा।
7. वाम–कांग्रेस पाखंड — न्याय तब तक पवित्र जब तक लाभकारी
जस्टिस सूर्यकांत:
- नूपुर पर “संवैधानिक योद्धा”
- रोहिंग्या पर “असंवैधानिक खलनायक”
क्योंकि मुद्दा अब:
- “धर्मनिरपेक्षता” नहीं, “घुसपैठ” है
- “सहानुभूति” नहीं, “राष्ट्रीय सुरक्षा” है
वे न्यायपालिका की “स्वतंत्रता” की बात तब करते हैं जब न्याय उनके पक्ष में झुका हो।
8. ऐतिहासिक संदर्भ — कांग्रेस द्वारा संविधान बंधक बनाने का मॉडल
- 1975 इमरजेंसी में सुप्रीम कोर्ट का अपमान
- 1980–1990 में नियुक्तियों पर दबाव
- 2004–2014 में एक्टिविस्ट न्याय–विधि टूलकिट
आज भी वही जारी है:
- ओपन लेटर
- विदेशी मीडिया कवरेज
- NGO सामूहिक अभियान
न्याय का सम्मान नहीं, न्याय का अपहरण
9. असल प्रश्न — क्या भारत शरणार्थी आश्रम है या संप्रभु राष्ट्र?
- क्या भारत हर इस्लामी संघर्ष का स्थाई आश्रय है?
- क्या अनुच्छेद 21 का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा से बड़ा है?
- क्या कोई भी अवैध घुसपैठिया इस देश में अनंत अधिकारों का दावा कर सकता है?
- क्या न्याय का अर्थ सत्ता–तुष्टिकरण है या राष्ट्र–संरक्षण?
10. यह संघर्ष दया बनाम कठोरता नहीं, राष्ट्रहित बनाम एजेंडा है
- रोहिंग्या विवाद का मूल:
- मानवता नहीं
- राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा नियंत्रण, संप्रभुता और जनसांख्यिकीय संतुलन है
- CJI सूर्यकांत पर हमला न्याय नहीं, उनके द्वारा तुष्टिकरण सीमा तोड़ने पर दंड है।
क्योंकि कांग्रेस–ठगबंधन दर्शन सदैव यही रहा है:
- “जो हमारे हित में, वही संवैधानिक। जो राष्ट्रहित में, वही असंवैधानिक।”
यही भारत और घुसपैठ एवं कट्टर विचारधाराओं की वास्तविक लड़ाई है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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