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रोशनी एक्ट कश्मीरी हिंदू

“रोशनी एक्ट” – वैधानिक रूप से हिंदुओं की ज़मीन हड़पने का षड्यन्त्र

रोशनी एक्ट का विवाद और आलोचना

🧠 पृष्ठभूमि: रोशनी एक्ट का नकाब

  • 1990 के दशक में जब पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामी आतंकवाद ने कश्मीर को हिंसा में झोंक दिया, उस समय लगभग 3.5 लाख कश्मीरी हिंदुओं को जान बचाकर घाटी से पलायन करना पड़ा।
  • उनके पीछे जो कुछ बचा—मकान, खेत, दुकान, मंदिर, गौशालाएं, बाग-बगिचे—उन्हें या तो जला दिया गया या कब्जा कर लिया गया।
  • इस अत्याचार के बाद राज्य की सत्ता में आने वाले नेताओं और अधिकारियों ने एक अलग ही कुटिल योजना बनाई।
  • 1996 में फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने यह कानून लाया, जिसे 2001 में औपचारिक रूप से “जम्मू एंड कश्मीर स्टेट लैंड (वेस्टिंग OF OWNERSHIP TO OCCUPANTS) ACT” कहा गया, जिसे बाद में “रोशनी एक्ट” के नाम से जाना गया।

📜 कानून का ढोंग: उद्देश्य कुछ और, परिणाम कुछ और

दिखावटी उद्देश्यथा कि जिन लोगों ने सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा किया है, उन्हें एक नाममात्र की राशि पर वैध मालिकाना हक़ दे दिया जाए और उस राशि का इस्तेमाल बिजली परियोजनाओं के लिए किया जाए—इसीलिए इसे “रोशनी” एक्ट कहा गया।

असल साजिश:

  • हिंदुओं के पलायन के बाद खाली पड़े घरों को कब्जाने वाले मुसलमानों को लाभ पहुंचाना।
  • कब्जे को वैधानिक रूप देना और हिंदुओं की वापसी को असंभव बनाना।
  • धर्म और राजनीति का ऐसा गठजोड़ बनाना जिससे घाटी पूरी तरह से इस्लामी प्रभाव में रहे।

💣 संख्यात्मक सच्चाई: घोटाले की भयावहता

20 लाख कनाल ज़मीन इस एक्ट के तहत बेची गई।
₹25,000 करोड़ से अधिक की ज़मीन मात्र ₹305 करोड़ में बांटी गई।
• अधिकांश लाभार्थी सरकारी अफसर, स्थानीय मुस्लिम नेता, अलगाववादी समर्थक, और रसूखदार मुस्लिम व्यापारी थे।
• जम्मू जैसे हिंदू बहुल क्षेत्र को भी नहीं छोड़ा गया।
• राम मंदिर, गौशालाएं, आश्रमों की ज़मीनें तक छीनी गईं।

⚖️ राजनीतिक मिलीभगत: कांग्रेस और अलगाववादियों का गठजोड़

• फारूक अब्दुल्ला और उनकी पार्टी की शह पर यह एक्ट लाया गया।
• कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इस एक्ट को और विस्तार दिया।
• घाटी में “जनसंख्या परिवर्तन” (Demographic Change)का यह एक सुनियोजित मॉडल था।
• इस कानून को लागू करने में नौकरशाही, वक्फ बोर्ड, तहसीलदार और पटवारी भी शामिल थे।
• सत्ता और मज़हब का घातक गठबंधन हिंदुओं की वापसी के सारे रास्ते बंद करने की साजिश थी।

📺 मीडिया की ग़द्दारी: सन्नाटा ही साजिश है

• तीन दशकों तक NDTV, Scroll, Wire, Quint, TOI, Indian Express जैसे मीडिया हाउस चुप रहे।
• कोई पत्रकार घाटी में जाकर यह नहीं दिखाना चाहता था कि हिंदुओं के घरों पर कौन कब्जा कर रहा है
• टीवी डिबेट्स में “रोशनी एक्ट” शब्द तक नहीं बोला गया।
“सेक्युलरिज़्म” के नाम पर ग़ुलामी का नैरेटिव चलाया गया।

🧭 मोदी सरकार और न्याय की दिशा

2018 में CAG रिपोर्ट ने इस घोटाले का पर्दाफ़ाश किया।
2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर केंद्र की सीधी निगरानी शुरू की।
2020 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने इसे पूरी तरह असंवैधानिक घोषित किया।
• अब CBI जांच चल रही है और हजारों रजिस्ट्रियों को रद्द किया जा चुका है।

🙏 अब क्या ज़रूरी है? — एक राष्ट्रवादी जवाबदेही की माँग

  • इस घोटाले में शामिल नेताओं पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।
  • सभी अवैध कब्जों को हटाकर मूल हिंदू मालिकों को पुनर्स्थापित किया जाए।
  • पूरा दस्तावेज़ी रिकॉर्ड जनता के सामने जारी किया जाए।
  • देशभर में “रोशनी एक्ट” की सच्चाई का जनजागरण अभियान चले।
  • जो लोग “सेक्युलरिज़्म” की आड़ में यह लूट को जायज़ ठहराते रहे, उनकी बौद्धिक गद्दारी को बेनकाब किया जाए।

🚨 यह सिर्फ़ ज़मीन का सवाल नहीं है, यह भारत के मान और हिंदू अस्तित्व का सवाल है।

  • आज “रोशनी एक्ट” केवल एक कानून नहीं, कश्मीरी हिंदुओं पर हुए सबसे सुनियोजित वैधानिक अत्याचार का प्रमाण है
  • अब देर नहीं, न्याय की सुबह आनी ही चाहिए।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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