🕌 कांग्रेस की योजनाओं की पृष्ठभूमि — भारत की आत्मा को बदलने का प्रयास
कांग्रेस ने आज़ादी के बाद जिस “सेक्युलरिज़्म” का झंडा उठाया, वह वास्तव में एक “छलावरण (camouflage)” था — ताकि वह इस्लामिक तुष्टीकरण को संविधान के भीतर कानूनी रूप से स्थापित कर सके।
यह योजना एक-दो साल की नहीं थी, बल्कि दशकों से सोची-समझी साजिश थी, जो सच्चर कमेटी, वक्फ बोर्ड कानून, RTE, और फिर अंत में कम्युनल वायलेंस बिल के रूप में सामने आई।
📘 सच्चर कमेटी रिपोर्ट (2006): मुस्लिमों को भारत का ‘प्राथमिक नागरिक’ घोषित करने की कोशिश
🔹सोनिया गांधी के निर्देश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह कमेटी गठित की।
🔹रिपोर्ट में कहा गया कि “मुस्लिम भारत में सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, इसलिए संसाधनों पर उनका पहला हक़ है।”
🔹परिणामस्वरूप:
- मुस्लिमों के लिए विशेष स्कॉलरशिप
- मुस्लिम बहुल इलाकों को विशेष आर्थिक पैकेज
- सरकारी नौकरियों में prathmikta
- मदरसों को अधिक वित्तीय सहायता
🔴 यह रिपोर्ट जातीय/धार्मिक भेदभाव को संवैधानिक आधार देने की कोशिश थी — यानी एक देश, दो कानून।
⚖️ Communal Violence Bill (2005, 2011, 2013): हिंदुओं को गुलाम बनाने का विधायी प्रयास
❗ अगर यह कानून पास हो जाता तो:
🔻हर दंगे में दोषी सिर्फ हिंदू होता, भले ही हमला किसने किया हो।
🔻अल्पसंख्यक के आरोप मात्र पर हिंदू की गिरफ्तारी संभव थी — साक्ष्य की आवश्यकता नहीं।
🔻किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए अल्पसंख्यकों की NOC लेना अनिवार्य हो जाता।
🔻हिंदू महिला पर दंगे में बलात्कार होता — तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता।
🔻जज भी सिर्फ अल्पसंख्यक होते, और हिंदुओं को अपने दोषमुक्त होने का प्रमाण देना पड़ता।
🔻अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी सहायता अनिवार्य, हिंदुओं को वंचित किया जाता।
💣 मकसद साफ था — भारत का इस्लामीकरण बिना बंदूक चलाए
कांग्रेस ने अपने रणनीतिक एजेंडे में यह मान लिया था कि:
- संविधान को हथियार बनाकर बहुसंख्यकों को कानूनी रूप से निष्क्रिय किया जाए।
- आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में मुस्लिमों को प्रमुख स्थान दिलाया जाए।
- मुस्लिम नाम (जैसे रेहान वाड्रा) के साथ गांधी परिवार को “नेहरू की विरासत + मुस्लिम भावनाएं” दोनों मिलें।
- 2020–2022 तक भारत को शरिया आधारित ‘Soft Islamic State’ में बदल दिया जाए।
🔥 मोदी का 2014 में आना: भारत को इस्लामीकरण से बचाने वाला ऐतिहासिक मोड़
2014 का चुनाव केवल एक राजनीतिक बदलाव नहीं था — वह भारत के भविष्य की दिशा का टर्निंग पॉइंट था।
अगर कांग्रेस फिर सत्ता में आ जाती:
- Communal Violence Bill पास हो चुका होता,
- हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता सीमित हो जाती,
- भारतीय सेना में भी ‘धार्मिक संतुलन’ के नाम पर हस्तक्षेप शुरू हो जाता,
- और आने वाले दशकों में भारत पाकिस्तान-बांग्लादेश जैसे इस्लामी राष्ट्रों की राह पर होता।हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता सीमित हो जाती,
- भारतीय सेना में भी ‘धार्मिक संतुलन’ के नाम पर हस्तक्षेप शुरू हो जाता,
- और आने वाले दशकों में भारत पाकिस्तान-बांग्लादेश जैसे इस्लामी राष्ट्रों की राह पर होता
🧠 ब्रेनवॉश: अंग्रेजों + कांग्रेस का मिला-जुला प्रोजेक्ट
🔸 अंग्रेजों ने पहले गुरुकुल तोड़े, वेदों और उपनिषदों को तुच्छ बताकर मैकाले की शिक्षा थोप दी।
🔸 कांग्रेस ने उसी को आगे बढ़ाते हुए “सेक्युलरिज़्म” की आड़ में:
- मराठों को दबा दिया,
- राजपूताना इतिहास को भुला दिया,
- मुगलों को “गंगा-जमुनी” संस्कृति का प्रतीक बना दिया,
- और युवाओं को “इतिहास पढ़ने के बजाय पैसा कमाने” में व्यस्त कर दिया।
आज का हिन्दू युवा — न नौकरी में धर्म देखता है, न समाज की सुरक्षा में रुचि लेता है।
🚨 अब क्या करें? — राष्ट्र और सनातन की रक्षा की रणनीति
✅1. सच्चर रिपोर्ट और Communal Bill के बारे में हर हिंदू को बताएं।
✅2. बच्चों को सनातन इतिहास और गौरव गाथाएं पढ़ाएं — शिवाजी, प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, अहोम योद्धा।
✅3. “रेहान वाड्रा” जैसे मुस्लिम नामों के पीछे की मंशा को उजागर करें।
✅4. सनातन की सुरक्षा को सिर्फ मंदिरों तक सीमित न रखें — आर्थिक, वैचारिक, सामाजिक सुरक्षा भी आवश्यक है।
✅5. 2024 और आगे के चुनावों में ऐसे “वोट बैंक” दलों को पूर्णतः बहिष्कृत करें जो भारत की आत्मा पर हमला कर रहे हैं।
“अगर आज हम नहीं जगे, तो आने वाली पीढ़ियां न मंदिर जानेंगी, न तिरंगा। वो पूछेंगी — ‘हमें हिंदू किसने बनाया?’”
- कांग्रेस, सच्चर रिपोर्ट, और Communal Bill भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने का रोडमैप था। 2014 में मोदी सरकार का आना हिंदू समाज के अस्तित्व की आखिरी सुरक्षा रेखा बन गया।
- अब समय है कि हम चुप रहना छोड़ें — और संपूर्ण राष्ट्र, समाज और सनातन की रक्षा के लिए उठ खड़े हों।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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